राजपथ - जनपथ
छत्तीसगढ़ के प्रमुख न्यूरोफिजिशियन डॉ. संजय शर्मा फोटोग्राफी के भी बड़े शौकीन हैं। मरीजों से थक जाते हैं तो कैमरा उठाकर जंगल निकल जाते हैं. फिलहाल यह तस्वीर उनका आम का इंतजार बता रही है !
36 गढ़ी कलेक्टर का मॉडल हिट
कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए पीलीभीत मॉडल सुर्खियों में है। ऐसे समय में जब देश के कई जगहों पर कोरोना संक्रमण कम्युनिटी स्टेज पर पहुंच गया है। वहां अब कोरोना को नियंत्रित करने के लिए पीलीभीत मॉडल अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो सभी जिला प्रशासन को पीलीभीत के तौर तरीके अपनाने के लिए कहा है।
पीलीभीत को कोरोना मुक्त कराने में वहां के कलेक्टर वैभव श्रीवास्तव की अहम भूमिका रही है। वे बिलासपुर के रहवासी हैं और खालिस छत्तीसगढिय़ा हैं। वे खेल संचालक श्वेता सिन्हा के भाई हैं। कोरोना देश में शुरूआती दौर में था, तब पीलीभीत जिला प्रशासन के पास सूचना आई कि 20 मार्च को सऊदी अरब से उमरा करके करीब 37 लोग पास के ही एक गांव में आए हैं। प्रशासन ने बिना देरी किए सभी लोगों की पहचान कर ली और सभी की कोरोना जांच कराई गई। 22 तारीख को जांच रिपोर्ट आई और इसमें खुलासा हुआ कि दो कोरोना संक्रमित हैं। ये दोनों मां-बेटे हैं। इससे हड़कंप मच गया। उस समय यूपी में गिनती के कोरोना मरीज थे।
इसके बाद पीलीभीत प्रशासन हरकत में आया और दोनों मां-बेटे को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। प्रशासन ने विदेश यात्रा से लौटने की सूचना न देने पर बाकी सभी के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए। इसके बाद सभी विदेश यात्रियों और उनके परिवार वालों को क्वारंटाइन कर दिया गया। वैभव श्रीवास्तव ने तुरंत जिले की सीमा को सील करने के आदेश दिए। आसपास के दो दर्जन गांवों को सेनेटाइज किया गया। जिला प्रशासन और पुलिस ने आम लोगों को भरोसे में लेकर जनजागरूकता अभियान चलाया।
गांव-गांव और शहर के हर मोहल्ले में प्रशासन और पुलिस के लोगों ने कोरोना से बचाव के तौर तरीके समझाए। जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों को भरोसे में लिया। जिला प्रशासन- पुलिस की मेहनत रंग लाई, तबलीगी जमात के मरकज से कई लोग लौटे, तो खुद होकर सूचना दी। सामाजिक सदभाव बनाए रख मस्जिद और मदरसों को सेनेटाइज किया गया। जिसे भी क्वारंटाइन किया गया, उसने प्रशासन-चिकित्सा स्टॉफ को पूरा सहयोग किया। इसका अच्छा रिजल्ट भी सामने आ गया। मां-बेटे ने कोरोना को मात दे दी और स्वस्थ होकर घर लौट गए।
लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया गया और कोई भूखा न रहे, इसके लिए व्यापक अभियान चलाया गया। सामुदायिक रसोई की स्थापना की गई। समाजसेवी संस्थाओं ने भरपूर सहयोग किया। इसका प्रतिफल यह रहा कि पीलीभीत यूपी का पहला जिला है जो कि कोरोना मुक्त हो गया है। कोरोना को लेकर लोगों में जनजागरूकता इस बात के संकेत दे रहे हैं कि भविष्य में भी जिले में कोरोना को लेकर बुरी खबर नहीं आने वाली है। वैभव श्रीवास्तव की अब तक की मेहनत रंग लाई है और पीलीभीत कोरोना रोकथाम का रोल मॉडल बन गया है।
पत्रकारिता में शह-मात का खेल
मध्यप्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में फेरबदल की खबर से छत्तीसगढ़ के लोग चकित हैं। दरअसल, कांग्रेस शासनकाल में कुलपति बनाए गए दीपक तिवारी ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 24 घंटे से भी कम समय में यहां प्रभारी कुलपति के साथ पुराने कुलसचिव की वापसी का आदेश जारी हो गया। छत्तीसगढ़ में लंबे समय तक पत्रकारिता करने वाले संजय द्विेदी की कुलसचिव पद पर वापसी हुई है। लोगों को आश्चर्य इस बात पर है कि जब पूरे देश में कोरोना का कोहराम मचा हुआ है, तब भी अपने लोगों को एडजेस्ट करने का सियासी खेल वहां चल रहा है। जबकि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर तो कोरोना के हॉटस्पॉट बने हुए हैं।
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार का गठन तक नहीं हो पाया है। पिछले एक महीने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अकेले सरकार चला रहे हैं। मंत्रिमंडल का गठन नहीं होना एक बात है उससे महत्वपूर्ण यह है कि वहां का प्रशासनिक अमला तक कोरोना की चपेट में है। ऐसी विषम परिस्थिति में विवाद को जन्म देने वाले आदेश ने लोगों को अचरज में डाल दिया है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ में तमाम परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद भी तब के कुशाभाऊ ठाकरे और अब के चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता विवि में एक साल तक स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। नियुक्ति हुई भी तो सरकार की मर्जी के खिलाफ।
लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की तीन चौथाई बहुमत वाली सरकार को बीजेपी की शिवराज सिंह सरकार से सीख लेनी चाहिए कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी अपनों को उपकृत करने के फैसले तत्काल लिए जाते हैं। लोगों का मानना है कि फैसले लेने में देरी के कारण ही छत्तीसगढ़ में विपरीत विचारधारा के व्यक्ति को कुलपति के रुप में बर्दाश्त करना मजबूरी हो गई है। हालांकि सरकार ने नियुक्ति के बाद तत्परता दिखाते हुए कुलपति की नियुक्ति और पदच्युत करने के नियमों में बदलाव किया, लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ पाई। इसी दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने विवि का नाम बदलने की भी कार्रवाई की, लेकिन अभी तक नया नाम कागजों से बाहर नहीं आ पाया है।
याद होगा कि मप्र में कुलसचिव बनाए गए संजय द्विेदी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोला था और राज्य के मुखिया को खुला पत्र लिखकर आलोचना की थी। कयास लगाए जा रहे हैं कि भोपाल में बैठकर छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी सीएम को चुनौती देने के कारण उन्हें कुलसचिव की कुर्सी वापस मिल गई है। ध्यान होगा कि छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार में संजय द्विेदी से कुलसचिव का प्रभार छीना गया था। इतना ही नहीं उनकी प्रोफेसर पद नियुक्ति के खिलाफ भी शिकायत हुई थी। शिकायत के बाद संभावना जताई जा रही थी कि उनकी प्रोफेसरी जा भी सकती है। उन पर विधानसभा चुनाव में खास विचारधारा के लोगों के पक्ष में काम करने के आरोप भी लगे थे। मप्र के तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के खिलाफ तक काम करने की शिकायतें सामने आई थी। इसके बावजूद कांग्रेस के एक साल के शासनकाल में उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। बीजेपी की सरकार बनने के चंद दिनों बाद ही वे अपनी पुरानी प्रतिष्ठा पाने में सफल हो गए।
ऐसे में वे लोग दुखी हैं, जिन्होंने खास विचारधारा के लोगों के खिलाफ मुहिम चलाई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी वे किसी का कुछ बिगाड़ नहीं पाए हैं। लोगों को लगता है कि छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता विवि में भी ऐसे लोगों की भरमार है, जो खास विचारधारा के माने जाते हैं और उसी योग्यता के कारण नौकरी पाने में सफल हुए थे। लगातार शिकायतों के बाद कार्रवाई तो दूर ऐसे अयोग्य लोगों के मन में सरकारी कार्रवाई और नौकरी जाने का भय तक नहीं बन पाया है और वे अपने पदों पर जमे हुए हैं, सरकार के खिलाफ गतिविधियों में भी शामिल हैं। जाहिर है कि मौका मिलते ही वे फिर से पॉवरफुल हो जाएंगे, जैसा मध्यप्रदेश में हुआ है। छत्तीसगढिय़ा इस बात से चितिंत हैं कि यहां तो पहले ही सरकार की पसंद के खिलाफ कुलपति की नियुक्ति हुई है और मध्यप्रदेश की पत्रकारिता विवि में आक्रामक हिन्दू सोच के लोग फिर से मजबूत हो गए हैं। ऐसे में संभव है कि दोनों मिलकर खिचड़ी पकाने में सफल हो गए तो स्थानीय लोग हाथ मलते रह जाएंगे, क्योंकि कोरोना युग में एमपी में मामा ने शह और मात का खेल तो शुरु कर ही दिया है। ([email protected])