राजपथ - जनपथ
यहां से आगे कहाँ?
लॉकडाउन खत्म होने के बाद पुलिस में एक छोटा सा फेरबदल हो सकता है। इसमें दो-तीन जिलों के एसपी को बदला जा सकता है। सुनते हैं कि रायपुर एसएसपी आरिफ शेख भी बदले जा सकते हैं। वैसे तो, उनके कामकाज को लेकर किसी तरह की शिकायतें नहीं है। उन्हें रिजल्ट ओरिएंटेड अफसर माना जाता है। अपने सालभर के कार्यकाल में उन्होंने प्रवीण सोमानी अपहरण कांड जैसे बेहद संवेदनशील और कठिन प्रकरणों को सुलझाया। इसकी काफी तारीफ भी हो रही है। अब ऐसे में उन्हें बदला जाएगा, तो कोई अहम दायित्व ही मिलेगा। कुछ लोगों का अंदाजा है कि आरिफ का अगला ठिकाना परिवहन विभाग हो सकता है।विभाग के मंत्री मोहम्मद अकबर हैं, और आरिफ उनकी पहली पसंद बताये जाते हैं।
अगला कौन?
पुलिस जवानों को युद्धकला की ट्रेनिंग के लिए 14 साल पहले कांकेर में जंगलवार ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना की गई थी। इस ट्रेनिंग स्कूल में हजारों जवान ट्रेंड होकर नक्सल मोर्चे पर डटे हुए हैं। न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों के जवानों को भी यहां ट्रेनिंग दी जाती है। जवान बसंत पोनवार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग पाते हैं। पोरवार सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर हैं और वे पिछले 15 साल से संविदा पर ट्रेनिंग स्कूल में संचालक के पद पर पदस्थ हैं। उनकी संविदा अवधि जल्द ही खत्म होने वाली है। सुनते हैं कि पोरवार की संविदा अवधि बढ़ाने के लिए फाइल भेजी गई थी, लेकिन मंजूरी नहीं मिल पाई है। चर्चा है कि सरकार अब उनकी संविदा नहीं बढ़ाना चाहती है। ट्रेनिंग स्कूल आगे किस तरह काम करेगा, इसका खुलासा नहीं हो पाया है। फिलहाल तो लॉकडाउन की वजह से जवानों की ट्रेनिंग बंद है।
सरकार की तुरंत प्रतिक्रिया
इन दिनों सोशल मीडिया की मेहरबानी से उन लोगों को अपने कामों पर जनप्रतिक्रिया तुरंत मिल जाती है जो कि सोशल मीडिया पर चर्चित हैं. लेकिन इसे पूरी प्रतिक्रिया मान लेना ठीक नहीं. बुरी आलोचना करने वाले लोग बिगाड़ करने सामने नहीं आते, और तारीफ करने वाले मौका नहीं छोड़ते. इस तरह सार्वजनिक प्रतिक्रिया अमूमन तारीफ की ओर झुकी रहती है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोटा में कोचिंग पा रहे बच्चों को वापिस लाने के लिए बसें भेजने की घोषणा की, तो उनकी ट्वीट पर लोगों ने तुरंत तारीफ की बौछार कर दी. लेकिन इस बात को लिखने वाले भी कम नहीं थे कि सिर्फ पैसे वालों के बच्चों को ला रहे हैं, गरीब मजदूरों का क्या? उनको भी वापिस लाएंगे? आलोचना की ट्वीट भी कम नहीं थीं. अच्छा है कि वोट के दिन के पहले भी सरकार को अपने फैसलों को लेकर कम से कम कुछ लोगों की लिखी बातों का पता चलते ही रहता है. भूपेश सरकार के बारे में एक दूसरी बात जिस पर खूब लिखा जा रहा है, वह है शराब को लेकर. अब बहुत से लोग मानने लगे हैं कि एक महीने से ज्यादा तो कोई मेडिकल प्रयोग भी नहीं हो सकता. जब लोग इतने लम्बे वक़्त तक शराब के बिना रह ही चुके हैं, उनकी सेहत और घर की माली हालत दोनों सुधर रहे हैं, तो फिर अब चुनावी वायदे के मुताबिक दारूबंदी कर ही दी जाये !([email protected])