राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजधानी में जनता पर नजर रखी जा रही?
06-May-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजधानी में जनता पर नजर रखी जा रही?

राजधानी में जनता पर नजर रखी जा रही?

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में क्या कोई कंपनी लोगों पर नजर रखने और निगरानी करने की तरकीबें सार्वजनिक जगहों पर लगाने जा रही है? ये सवाल कल तब उठा जब इस अखबार को ऐसा एक गोलमोल प्रेस नोट मिला जिसमें ऐसी जानकारी दी गई थी, और एक कंपनी का नाम भी लिखा हुआ था कि वह शहर में कैमरे और निगरानी उपकरण लगाने जा रही है। कंपनी की ओर से फोन करने वाली महिला से जब पूछा गया कि शहर में ऐसा करने की इजाजत उन्हें सरकार की किस विभाग से मिली है, तो कुछ मशक्कत के बाद उसने यह जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी ने उन्हें यह इजाजत दी है। जब इस बारे में स्मार्ट सिटी के एमडी सौरभ कुमार से पूछा गया कि उन्होंने ऐसी किसी कंपनी का नाम भी सुना हुआ नहीं था। उन्होंने साफ-साफ बताया कि किसी भी कंपनी को ऐसा कुछ करने की कोई इजाजत नहीं दी गई है।

अब आज कोरोना की रोकथाम के नाम पर कोई भी सरकार, कोई भी कंपनी लोगों की निजी जिंदगी में ताकझांक करने वाली टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करना राष्ट्रवाद मान रही हैं। केन्द्र सरकार के लाए गए एक आरोग्य-सेतु नाम के मोबाइल ऐप के बारे में कहा गया है कि वह लोगों के कोरोनाग्रस्त होने पर उनके बचाव और उनसे बचाव का काम करेगा। लेकिन इसमें जुटाई जा रही जानकारी को लेकर देश के बहुत से लोगों को आशंका है कि सरकार में बैठे लोग अगर चाहेंगे तो इसे निगरानी और जासूसी के एक औजार और हथियार की तरह भी इस्तेमाल कर सकेंगे। कल ही एक फ्रेंच हैकर ने ट्विटर पर यह पोस्ट किया था कि भारत सरकार के आरोग्य सेतु नाम के मोबाइल ऐप में गंभीर समस्याएं हैं और भारत सरकार जानना चाहती है तो उससे संपर्क करे। आज उसने पोस्ट किया है कि भारत सरकार की ओर से उससे संपर्क किया गया और उसने इस ऐप की कमजोरी की जानकारी दे दी है। अब वह लिख रहा है कि वह इंतजार कर रहा है कि भारत सरकार इस ऐप की मरम्मत कर लेती है तो ठीक है, वरना वह इस कमजोरी को उजागर करेगा।

अब छत्तीसगढ़ की राजधानी में निगरानी रखने वाले ऐसे कैमरों या टेक्नालॉजी या दोनों को लगाने का दावा करने वाली कंपनी ने इस अखबार के मांगने पर कल से आज तक उसे मिली किसी इजाजत का कागज भी नहीं दिखाया है, दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी ने उसके दावे का खंडन किया है। वीहांत टेक्नालॉजीज नाम की यह कंपनी कई तरह की निगरानी रखने की तकनीक का दावा तो कर रही है, लेकिन जनता के निजता के अधिकार की निगरानी रखने वाले अखबार के एक साधारण से सवाल के जवाब में उसने चुप्पी साध ली है। अब यह कंपनी और स्मार्ट सिटी प्रा.लि. दोनों तो सच बोलते हो नहीं सकते। राज्य सरकार की पुलिस में साइबर महकमा देखने वाले अफसरों को भी ऐसी किसी कंपनी और ऐसी किसी निगरानी की कोई खबर नहीं है। कुल मिलाकर यह जांच के लायक एक पुख्ता मामला है।

एक तो कोरोना, फिर गर्मी से बेहाल...

वैसे तो लॉकडाउन के बीच सरकारी दफ्तरों में एक तिहाई अधिकारी-कर्मचारियों के साथ कामकाज शुरू हो गया है। मंत्रालय का हाल यह है कि प्रमुख सचिव-सचिव स्तर के ज्यादातर अफसर बंगले से ही काम कर रहे हैं। कुछ अफसर शहर में स्थित अपने विभाग के निगम-मंडल दफ्तरों में बैठकर काम निपटा रहे हैं। मंत्रालय में नहीं बैठने की एक वजह यह भी है कि वहां सेंट्रल एसी को बंद कर दिया गया है। कुछ के कमरे में पंखा जरूर लग गया है, लेकिन गर्मी इतनी है कि वहां काम करना मुश्किल हो गया है।

छोटे अधिकारी-कर्मचारियों का तो और बुरा हाल है। अवर सचिव स्तर के एक अफसर ने इधर-उधर से अपने लिए एक टेबल फैन का जुगाड़ कर लिया था। वे थोड़ी देर हवा ले पाए और किसी काम से सीनियर अफसर के कक्ष में गए। वापस लौटे, तो उनका पंखा गायब था। पंखा उनका अपना तो था नहीं, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह पाए।   गर्मी के बेहाल कर्मचारियों सीएस से मिलने भी गए और सीएस ने भरोसा दिलाया कि एक हफ्ते के भीतर सभी कक्ष में पंखा लगा दिया जाएगा। तब तक तो कर्मचारी पसीना-पसीना हो रहे हैं।

नींद उड़ा दी है

सरकार के एक दफ्तर में अफरा-तफरी का माहौल है। वजह यह है कि दफ्तर के चपरासी के बेटा का दोस्त कोरोना पीडि़त है। पहले यह खबर उड़ी थी कि चपरासी का बेटा ही कोरोना पीडि़त है। बाद में चपरासी ने वस्तु स्थिति स्पष्ट की, तब कहीं जाकर अफसरों ने चैन की सांस ली, लेकिन आपसी चर्चा में छत्तीसगढ़़ से जुड़ी एक और खबर ने उनकी नींद उड़ा दी है।

छत्तीसगढ़ के चीफ जस्टिस रहे और लोकपाल सदस्य अजय कुमार त्रिपाठी की कोरोना से मौत हो गई। पूर्व चीफ जस्टिस सीधे कोरोना संक्रमित नहीं थे। बल्कि पहले उनका रसोईया कोरोना पीडि़त हुआ। इसके बाद पूर्व चीफ जस्टिस की बेटी कोरोना संक्रमित हो गई और फिर पूर्व चीफ जस्टिस भी इसकी जद में आ गए। कोरोना के तेजी से फैलाव को देखते हुए अफसरों ने चपरासी और उनके बेटे को कोरोना टेस्ट कराने के लिए कहा है। जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक बैचेन रहना स्वाभाविक है। 

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