राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मिठास लौटने का राज?
02-Jul-2020 6:28 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मिठास लौटने का राज?

मिठास लौटने का राज? 

खबर है कि टीएस सिंहदेव की बयानबाजी से कांग्रेस हाईकमान खफा है। उन्होंने पहले सीएम हाऊस के पास बेरोजगार युवक की आत्महत्या की कोशिश पर अलग ही अंदाज में शर्मिंदगी दिखाई। फिर टीवी डिबेट में यह कह गए कि यदि अगली फसल से पहले धान के अंतर की पूरी राशि नहीं मिली, तो वे इस्तीफा दे देंगे। फिर क्या था, भाजपा को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। और सरकार पर हमले तेज कर दिए। पूर्व सीएम रमन सिंह ने तो सिंहदेव की तारीफों के पुल बांध दिए। इसके बाद कांग्रेस-सरकार के भीतर सिंहदेव के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया। 

चर्चा है कि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने इस पूरे मामले की जानकारी ली और फिर बात दस जनपथ तक पहुंचाई। शाम होते-होते सिंहदेव के सुर बदलने लगे। पहले उन्होंने विपक्ष को कोसा फिर पूर्व सीएम रमन सिंह से अपनी घनिष्ठता को नकारा। और फिर एक कदम आगे जाकर पूरे मामले को ठंडा करने की नीयत से सीएम के साथ अपने संबंधों को मधुर बताते हुए जय-वीरू की जोड़़ी बताया। शालीन स्वभाव के सिंहदेव के भूपेश बघेल के लिए शब्दों में इतनी मिठास सरकार बनने के बाद पहली बार सुनने को मिली। इससे पहले जब कांग्रेस विपक्ष में थी, तब सिंहदेव-भूपेश की जोड़ी को जय-वीरू की संज्ञा दी जाती थी। अब 18 महीने बाद सिंहदेव को पुरानी जोड़ी याद आई है, तो कुछ तो बात होगी।

रमन सिंह से लंबा कार्यकाल

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया विभाग को 20 साल पूरे हो गए हैं। पार्टी संगठन के भीतर मीडिया विभाग का रोल अहम रहता है और वरिष्ठ नेताओं के बीच इसका प्रभार पाने की होड़ मची रहती है। अब तक राजेन्द्र तिवारी, रमेश वल्र्यानी, राजेश बिस्सा और ज्ञानेश शर्मा व शैलेष नितिन त्रिवेदी ही यहां का प्रभार संभालते रहे हैं। मगर सबसे ज्यादा समय मीडिया विभाग में शैलेष नितिन त्रिवेदी का गुजरा है। वे 15 साल से अधिक समय से मीडिया की ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 

कभी वे राजेन्द्र तिवारी और रमेश वल्र्यानी जैसे वरिष्ठ नेताओं के मातहत काम करते थे। मगर अब दोनों शैलेष के अधीन काम कर रहे हैं। 80 के दशक में इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे शैलेष पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेहद करीबी रहे। बाद में उनके राजनीतिक सलाहकार रहे। नंदकुमार पटेल जब प्रदेश अध्यक्ष बने, तो अन्य दिग्गज नेताओं की दावेदारी को नजर अंदाज कर शैलेष को ही मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया। शैलेष ने भी उन्हें निराश नहीं किया। 

और जब भूपेश बघेल ने पार्टी अध्यक्ष की कमान संभाली तो उन्होंने भी शैलेष पर भरोसा किया। शैलेष के पूर्ववर्ती, पत्रकारों की भूख को रबड़ी और मिक्चर से शांत करने की कोशिश में लगे रहते थे, तो शैलेष खबरों के जरिए पेट भरने की कोशिश करते थे। यही वजह है कि वे बाकियों की तुलना में ज्यादा सफल रहे। ये अलग बात है कि पार्टी के भीतर उन्हें उलाहना देने वालों की कमी नहीं है। फिर भी वे मजबूती से डटे हैं। शैलेश नितिन त्रिवेदी की एक और खूबी है कि वे पार्टी की रीति नीति को बहुत बारीकी से समझते हैं।

पीएचक्यू के बाद आंखें खुली

मंत्रालय में कामकाज शुरू होने के कुछ दिन तक तो कोरोना को लेकर अफसर-कर्मी जागरूक और सतर्क रहे। मगर बाद में बेपरवाह हो गए। अब पुराने पीएचक्यू में एक साथ 9 लोगों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप मचा है और एक बार फिर अफसर-कर्मी सतर्क दिख रहे हैं। सचिव स्तर के अफसर आर प्रसन्ना और सीआर प्रसन्ना के चपरासी भी मास्क लगाए और दस्ताना पहने दिखते हैं। दोनों के यहां के चपरासी बिना दस्ताना पहने फाइल नहीं छू सकते। अब अरण्य भवन में भी कोरोना के चलते अतिरिक्त सतर्कता बरती गई है। हर दो-तीन हफ्ते में ऑफिस टाइम में पूरी बिल्डिंग को सैनिटाइज किया जा रहा है। फिर भी प्रसन्ना जैसी सतर्कता का मंत्रालय और पीएचक्यू में देखने को नहीं मिल रहा है। अब जब पीएचक्यू में कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, तो अब जाकर कड़ाई बरती जा रही है।

 

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