राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक पॉजिटिव, तो सोच नेगेटिव...
02-Aug-2020 6:06 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक पॉजिटिव, तो सोच नेगेटिव...

एक पॉजिटिव, तो सोच नेगेटिव...

उद्योग विभाग के एक अफसर परिवार समेत कोरोना के चपेट में आ गए हैं। अफसर का दफ्तर तो शहर में ही है। जिस कॉम्पलेक्स में अफसर का दफ्तर है, वहां कई और सरकारी निगमों के दफ्तर भी हैं। लॉकडाउन के चलते बाकी दफ्तर तो बंद है, लेकिन कॉम्पलेक्स में निगमों के एक-दो दफ्तरों में काम चल रहा था। यहां एसीएस और प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों का आना-जाना लगा रहता है। शहर के भीतर सरकारी कामकाज के लिए यहां का दफ्तर उपयुक्त है।

एक प्रमुख सचिव ने तो अस्थाई तौर पर एमडी के कक्ष में बैठकर फाइलें निपटाना भी शुरू कर दिया था। अब उद्योग अफसर और परिवार के कोरोनाग्रस्त होने की खबर आई, तो पूरे कॉम्पलेक्स में हडक़ंप मचा हुआ है। उद्योग अफसर भी काफी सक्रिय रहे हैं और लगातार बैठकों में उपस्थित रहते थे। अब जब उनके कोरोनाग्रस्त होने की खबर आई है, तो कुछ चिंतित अफसर अपना कोरोना टेस्ट कराने की सोच रहे हैं। फिलहाल तो दफ्तर आना छोड़ घर से काम निपटा रहे हैं।

इन्हें भजिये की तरह तला जा सके

चार दिन पहले छत्तीसगढ़ में वॉट्सऐप पर एक वीडियो तेजी से फैला जिसमें किसी एक अस्पताल-वार्ड में लेटे, खड़े, और घूमते हुए लोग दिख रहे थे जिनके पास शिकायतें ही शिकायतें थीं। जाहिर तौर पर वे कोरोना पॉजिटिव लोग दिख रहे थे, लेकिन उनमें कोई गंभीर मरीज नहीं थे, सारे पुरूष थे। इस वीडियो को यह लिखकर चारों तरफ फैलाया गया कि यह एम्स रायपुर का वीडियो है और वहां की यह बदहाली है। दो दिन के भीतर ही एम्स ने इस वायरल किए गए वीडियो को अपने अस्पताल का न होना बताया, और इससे एम्स का नाम जोडऩा एक फर्जी काम कहा। वैसे भी समझदार लोग इस वार्ड की हालत देखकर समझ सकते थे कि यह एम्स का नहीं हो सकता। दिक्कत यह है कि वॉट्सऐप कारोबार में समझदारी का चलन थोड़ा कम है, और लोग घटिया से घटिया अफवाह को तेजी से फैलाने का काम करते हैं। ऐसे में एम्स को बदनाम करना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए एक किस्म से नमकहरामी भी है। इसके इंतजाम से इस राज्य में कोरोना की मौतें होना शुरू नहीं हुआ, और जिसने राज्य सरकार का इंतजाम हो जाने तक जांच से लेकर इलाज तक का, और राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों, कर्मचारियों, और डॉक्टरों के प्रशिक्षण तक का जिम्मा अकेले उठाया, उसे गैरजिम्मेदारी से बदनाम तो कोई नमकहराम ही कर सकते हैं। एम्स ने ट्वीट करके इस वीडियो के साथ अपना नाम जोडऩा फर्जीवाड़ा कहा, लेकिन एम्स के ट्वीट की बहुत छोटी सी पहुंच है, उसके नाम पर फैलाए गए फर्जी वीडियो की पहुंच उससे लाखों गुना हो चुकी होगी, लेकिन यह अकेले एम्स का मामला नहीं है, यह तो वॉट्सऐप पर फैलने वाली हर अफवाह का मामला है कि सच जब तक जूते के फीते बांध पाता है, तब तक झूठ पूरे शहर का फेरा लगा आता है। खैर, सुना है कि नर्क और दोजख में एक कढ़ाही में गर्म तेल ऐसे ही नमकहराम लोगों के लिए खौलाते हुए रखा जाता है ताकि इनके वहां पहुंचते ही इन्हें भजिये की तरह तला जा सके।

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