राजपथ - जनपथ
लाइन से तबादले...
तेजतर्रार आईपीएस अफसर जितेंद्र शुक्ला की चार महीने में ही बदली हो गई। उनका पन्द्रह महीने में चौथी बार तबादला हुआ है। सबसे पहले सुकमा में एसपी रहते मंत्री कवासी लखमा से विवाद के बाद हटाए गए थे। इसके बाद पीएचक्यू में पोस्टिंग हुई। फिर जल्द ही उन्हें महासमुंद एसपी बनाया गया। महासमुंद में उनके बेहतर काम को देखकर राजनांदगांव एसपी बनाया गया था। यहां भी अच्छा कर रहे थे कि दो टीआई के तबादले को लेकर सत्ताधीशों की नाराजगी मोल ले ली। चर्चा है कि एक टीआई के लिए तो एचएम के यहां से भी सिफारिश आई थी। पर शुक्ला मान नहीं रहे थे। आखिरकार उन्हें ही बदल दिया था। शुक्ला जी के चक्कर में पांच लोगों को इधर से उधर किया गया।
सैमसंग का ऐसा फोन जो बना ही नहीं...
इंटरनेट पर झूठे विज्ञापनों की भरमार रहती है। और जो वेबसाईटें ऐसी झूठी, धोखेबाज चीजों को दिखाने के लिए तैयार रहती हैं, शायद उन्हें इसका भुगतान भी अच्छा मिलता होगा। आप जिस शहर से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उस शहर के एक नौजवान की फोटो महंगी विदेशी कार के साथ दिखाई जाएगी जो कह रहा है कि पैसा कमाना मुश्किल भी नहीं है। न वह नौजवान उस शहर का रहता, न उस नाम का कोई उस शहर में रहता, और न ही पैसा कमाने की वह तरकीब सच रहती। वह पैसे लूटने की एक साजिश रहती है, और देश की बड़ी-बड़ी वेबसाईटें खुशी-खुशी ऐसे विज्ञापन दिखाने को तैयार हो जाती हैं। बड़े-बड़े अखबारों और टीवी चैनलों की वेबसाईटों पर ऐसे झांसे सजे रहते हैं, जिनमें शायद गूगल ही उन पर डालता है।
जिस फेसबुक को अपने एल्गोरिद्म पर इतना गर्व है कि वह फेसबुक की किसी तस्वीर से चेहरे पहचानकर उन पर नाम जोडऩे के लिए उकसाते रहता है, उस फेसबुक पर भी फर्जी इश्तहारों की बाढ़ रहती है। अब आज ही सुबह फेसबुक पर यह इश्तहार दिख रहा था जो सैमसंग की अब तक न बनाई हुई एक डिजाइन का फोन दिखाते हुए कह रहा था कि सैमसंग पर भारी बचत, सैमसंग के इन मॉडलों को देखे बिना कोई फोन न खरीदें। और जब इस अनोखी डिजाइन को देखने के लिए इस पर क्लिक किया गया, तो उस पर एलजी कंपनी के तमाम फोन दिखाए जा रहे थे। उस पर सैमसंग का कोई फोन नहीं था, और जो डिजाइन फोटो में दिख रही थी, उस डिजाइन का भी कोई फोन नहीं था। अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि फेसबुक के माहिर कम्प्यूटर ऐसे झांसे और धोखाधड़ी वाले इश्तहार पकड़ न सकते हों। लेकिन एक वक्त लोगों को याद होगा जब हिन्दुस्तान की बड़ी लोकप्रिय पत्रिकाओं में भी तांत्रिक अंगूठियों के इश्तहार छपते थे। फेसबुक पर आज भी झांसे चल रहे हैं, बड़े से बड़े अखबार-चैनल की वेबसाइटों पर खुली धोखाधड़ी के इश्तहार चल रहे हैं।