राजपथ - जनपथ
सरकारी स्कूली किताब की गलत जानकारी
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग की पांचवीं कक्षा की हिंदी की किताब में हरिवंश राय बच्चन की एक कविता, हार नहीं होती, बड़ी प्रमुखता से छपी है। अब इसके साथ एक छोटी सी दिक्कत यह है कि यह कविता हरिवंश राय बच्चन की लिखी हुई नहीं है और यह एक दूसरे कवि सोहनलाल द्विवेदी की लिखी हुई है। भारतीय हिन्दी साहित्य की एक प्रमुख वेबसाईट कविताकोष में इस कविता के साथ यह साफ किया गया है कि इसे बहुत से लोग हरिवंश राय बच्चन की लिखी मानते हैं, लेकिन उनके बेटे अमिताभ बच्चन ने ही अपनी फेसबुक पोस्ट में यह साफ किया है कि यह कविता सोहनलाल द्विवेदी की है। द्विवेदीजी 1906 से 1988 तक रहे, और उन्होंने खूब साहित्य सृजन किया है।
अमिताभ बच्चन ने कोई पांच बरस पहले, 4 दिसंबर 2015 को फेसबुक पर यह लिखा था- एक बात आज स्पष्ट हो गई, ये जो कविता है, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, ये कविता बाबूजी की लिखित नहीं है, इसके रचयिता हैं सोहनलाल द्विवेदी। कृपया इस कविता को बाबूजी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन के नाम पर न दें, ये उन्होंने नहीं लिखी है।
कुछ ऐसा ही अमिताभ बच्चन से अभी-अभी तीन दिन पहले हुआ, उन्होंने प्रसून जोशी की लिखी एक कविता अपने पिता के नाम से पोस्ट कर दी थी, और लोगों ने जब उनकी गलती पर टोका, तो फिर अमिताभ ने तुरंत ही इस पर माफी मांग ली।
उम्मीद पे दुनिया कायम है...
निगम-मंडलों की एक और सूची जल्द जारी हो सकती है। चर्चा है कि सभी प्रमुख नेता अपने समर्थकों को एडजस्ट कराने में जुटे रहे। सीएम भूपेश बघेल मंत्रियों से अनौपचारिक चर्चा कर उनसे राय ले चुके हैं। इसके अलावा पीसीसी से भी नाम लिए गए हैं। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया सिर्फ नियुक्तियों पर चर्चा के लिए ही आए थे। सुनते हैं कि उन्होंने अपनी तरफ से कुछ नाम जुड़वाए हैं। दूसरी सूची में टीएस सिंहदेव के कुछ और समर्थक जगह पा सकते हैं। हल्ला है कि दूसरे मंत्रियों की तुलना में उन्हें ज्यादा महत्व मिला है।
पार्टी के एक और बड़े नेता ने तो अपनी तरफ से दो दर्जन से अधिक नामों की लिस्ट सौंपी है। ये अलग बात है कि ज्यादातर नामों को नजर अंदाज कर दिया गया है। पिछले दो दशक से सक्रिय राजनीति से बाहर रहे अरविंद नेताम भी अपने करीबियों को निगम-मंडल में जगह दिलाने के लिए मेहनत करते नजर आए। उनकी पुनिया से एकांत में मंत्रणा भी हुई है। चर्चा है कि दूसरी सूची में दो दर्जन से अधिक नेताओं के नाम होंगे। नए जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के भी कुछ नेताओं को निगम-मंडलों में जगह मिल सकती है। इस बात के संकेत हैं कि सीएसआईडीसी, ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन, मार्कफेड और दुग्ध महासंघ जैसे मलाईदार संस्थानों में फिलहाल नियुक्तियां नहीं होंगी। इन संस्थानों में मरवाही उपचुनाव के बाद नियुक्तियांं होने की बात कही जा रही है।
कोरोना प्रसन्न भये...
पीएल पुनिया के इस बार के दौरे में सामाजिक दूरी की जमकर धज्जियां उड़ी। पुनिया वीआईपी रोड स्थित जिस होटल में ठहरे थे वहां रेलमपेल भीड़ रही। कार्यकर्ता पुनिया से मिलकर अपनी दावेदारी पेश करने की कोशिश करते देखे गए। कोरोना के खतरे के बीच कार्यकर्ताओं की भीड़ देखकर पुनिया का मूड बिगड़ गया। कुछ लोगों को उन्होंने फटकार भी लगाई।
सांसदों की नाराजगी दिल्ली में निकली...
विष्णुदेव साय की ताजपोशी के बाद भी भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के दो सांसदों ने पिछले दिनों दिल्ली में संगठन की कार्यप्रणाली की हाईकमान से शिकायत की है। खास बात यह है कि दोनों ही सांसद पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष से अलग-अलग मिले थे।
एक का दुख यह था कि विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारे एक नेता ने अपने जिले में पसंद की कार्यकारिणी पर मुहर लगवा ली। सांसद को पूछा तक नहीं गया। दूसरे सांसद की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि उनके जिले में अभी तक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है। कुछ बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन कोई चर्चा करने वाला नहीं है। उन्होंने इस पूरे मामले में हाईकमान से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
विधानसभा कोरोना रोकने कमर कस रही...
कोरोना संक्रमण के बीच विधानसभा के मानसून सत्र की व्यवस्था को लेकर माथापच्ची चल रही है। इस सिलसिले में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत सीएम भूपेश बघेल और संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे के साथ बैठक कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से भी पहले उनकी बात हो चुकी है।
कौशिक जो कि मात्र चार दिन का सत्र रखने पर गुस्साए हुए थे। वे खुद कोरोना की चपेट में आ गए हैं और उनके सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने की संभावना नहीं है। इससे पहले कांग्रेस विधायक दलेश्वर साहू भी संक्रमित हुए थे। रायपुर में कोरोना के तेजी से फैलाव को देखते हुए सामाजिक दूरी का कठोरता से पालन करने का फैसला लिया गया है।
सुनते हैं कि इस बार दर्शक दीर्घा, अध्यक्षीय दीर्घा और पत्रकार दीर्घा पूरी तरह बंद रहेंगे। बैठक व्यवस्था कुछ इस तरह की जा रही है कि सभी सदस्य एक साथ सदन में मौजूद न रहें, यानी प्रश्नकाल में जिस सदस्य का सवाल हो चुका है, वे सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेंगे। जिनका ध्यानाकर्षण है, या अन्य विषयों पर चर्चा है वे प्रश्नकाल में अनुपस्थित रहेंगे। कुल मिलाकर सदन में सामाजिक दूरी का पालन हो , यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।
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