राजपथ - जनपथ
फेसबुक पर दर्द छलका...
श्रीचंद सुंदरानी के शहर जिला की कमान संभालते ही भाजपा में जंग शुरू हो गई है। सुंदरानी के पूर्ववर्ती राजीव अग्रवाल ने शंकर नगर मंडल की कार्यकारिणी को मंजूरी क्या दी, सुंदरानी समर्थक खफा हैं। सुंदरानी ने खुले तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन मीडिया के जरिए छोटी सी बात को लेकर विवाद खड़ा करने से राजीव अग्रवाल खफा हैं। उन्होंने फेसबुक के जरिए अपना दर्द और गुस्सा जाहिर किया। भाजपा की गुटीय राजनीति में वैसे भी श्रीचंद और राजीव अग्रवाल एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं।
राजीव ने किसी का नाम तो नहीं लिखा, लेकिन इसको श्रीचंद के खिलाफ माना जा रहा है। राजीव अग्रवाल ने लिखा है-अगर कोई व्यक्ति आपको नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो वह इस बात को अवश्य जानता है कि वह आप से कमजोर है। इसलिए अपनी कमियों को छुपाने के लिए वह हमें नीचा दिखाना चाहता है, ताकि वह कुछ देर के लिए अपने आपको संतुष्ट कर सके। ऐसे लोग हमारे समाज में भरे पड़े हैं जिनका काम सिर्फ दूसरों की बुराई करना एवं उन्हें नीचा दिखाना होता है। इससे उनके मन को शांति मिलती है। भगवान उन्हें बुद्धि प्रदान करें। संकेत है कि आने वाले दिनों में विवाद और बढ़ सकता है।
कोरोना की नौबत गंभीर, लोग नहीं...
अब छत्तीसगढ़ में कोरोना देश में शायद सबसे अधिक रफ्तार से बढ़ते जा रहा है। अब तक जांच कम हो रही थीं, तो लोग नावाकिफ रहते हुए दूसरों को प्रसाद बांट रहे थे, और खुद ठीक हो जा रहे थे। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी, कोरोना उनके सिर पर चढक़र बोलता था, और जांच में वे पॉजिटिव निकलते थे। लेकिन बहुत से मामलों में जिससे उन्हें कोरोना मिला, वे बिना पकड़े रह जाते थे।
अब जब कोरोना छलांग लगा-लगाकर बढ़ रहा है, जिस तरह से चीन से आई हुईं रबर की रंगीन गेंदें जो कि कोरोना जैसी दिखती हैं, उछल-उछलकर दूर तक टप्पे खाती हैं, उसी तरह कोरोना फैल रहा है। अब लोग अस्पताल की सोच रहे हैं, खर्च की सोच रहे हैं, बिस्तर खत्म हो रहे हैं, और लोगों के खत्म होने की गिनती भी बढ़ती चल रही है। शहर के एक नामी-गिरामी और महंगे अस्पताल, जो कि शहर से थोड़ा परे कमल विहार के पास है, उसमें कोरोना मरीज से किस तरह पांच लाख रूपए ले लिए गए, और डॉक्टर देखने तक नहीं आए, इसका एक ऑडियो तैर रहा है। वॉट्सऐप पर मिले इस ऑडियो में बहुत सी बातचीत छापने लायक भी नहीं है, लेकिन कोरोना मरीज रहते हुए किसी ने अगर अस्पताल को, डॉक्टरों को मां-बहन की गालियां दी हैं, तो उस पर सभी को सोचना चाहिए।
आज ही उत्तरप्रदेश का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वहां की एक सरकारीकर्मी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बरामदे में बैठी है, और वहीं पर उसे ऑक्सीजन दिया जा रहा है क्योंकि अस्पताल में कोई बिस्तर खाली नहीं है, और वहीं पर उसके मर जाने की बात भी वीडियो में कही गई है। छत्तीसगढ़ में लोगों को अगर अब तक यह समझ नहीं आ रहा है कि उनकी जिंदगी पर सचमुच का एक खतरा मंडरा रहा है, तो कम से कम उन्हें कॉल कनेक्ट होने के पहले की सरकारी घोषणा सुन लेना चाहिए कि उसी हालत में बाहर निकलें जब निकलना बहुत जरूरी हो। आज छत्तीसगढ़ में बड़े लोगों की मिसालों का इस्तेमाल करके आम लोग धड़ल्ले से भीड़ बना रहे हैं, मजे से बिना मास्क घूम रहे हैं। इन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि अब एक-एक घर से पांच-दस लोग भी पॉजिटिव निकल रहे हैं, और अधिक वक्त नहीं है कि यहां भी बरामदे में फर्श पर बिठाकर ऑक्सीजन दिया जाएगा।