राजपथ - जनपथ
पितरों से लेकर मरवाही तक की रोक...
निगम-मंडलों की दूसरी सूची अटक गई है। चूंकि पितृपक्ष शुरू हो गया है, ऐसे मौके पर कोई शुभ कार्य या नई नियुक्ति नहीं करने की पुरानी परम्परा है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार भी पुरानी परम्पराओं का निर्वाह किया जाएगा और पितृपक्ष खत्म होने तक, अगले 15 दिन कोई सूची जारी नहीं होगी।
कहा जा रहा है कि सूची के नामों को लेकर पहले ही सहमति बन गई थी और विधानसभा का सत्र निपटने के बाद जारी करने की उम्मीद थी। मगर सीएम और कुछ मंत्रियों के क्वॉरंटीन होने के कारण सूची अटल गई है। हल्ला यह भी है कि सूची मरवाही चुनाव के बाद ही जारी होगी। वजह यह है कि कुछ नामों को लेकर पार्टी के अंदरखाने में विवाद है, और सीएम भी इससे सहमत नहीं हैं। मरवाही के नतीजे आने के बाद ही सूची जारी होगी। स्वाभाविक है तब तक दावेदारों में बेचैनी रहेगी।
पबजी के बगैर ऑनलाइन पढ़ाई
स्कूल-कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के कारण माता-पिता बच्चों को मोबाइल फोन से दूर नहीं रख पा रहे हैं। समस्या यह थी कि ऑनलाइन क्लास कब खत्म हो गई और बच्चे कब पबजी खेलने लग गये पता नहीं चलता था। अब जब पबजी पर बैन लग गया तो बच्चों के पास क्या रह गया? पबजी को बंद किया जाना कितना बड़ा मुद्दा है यह अखबारों की हेडलाइन को देखकर समझा जा सकता है। पबजी की लत के चलते देशभर में अनेक आत्मघाती और हिंसक घटनायें होती रही हैं। इसे चीन के साथ सीमा पर तनाव से जोड़े बगैर भी बंद किया जा सकता था। सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंता, बच्चों के अवसादग्रस्त और आक्रामक होने की बातें पहले से आ रही थीं। वैसे भी यह कोरिया का ऐप है हालांकि इसमें चीनी निवेश है। कई लोग जिन्हें स्ट्राइक शब्द पसंद है वे इसे चीन के खिलाफ ‘डिजिटल स्ट्राइक’ बताने लग गये हैं। बच्चे इसी बहाने चीन की करतूत से परिचित हो गये हैं और पालक खुश कि बच्चों में इसकी लत छूटेगी। बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा संजीदगी से लेंगे और मोबाइल फोन से मनोरंजन और ज्ञान के नये रास्ते निकालेंगे। लेकिन यह समझना बाकी है कि चीनी एप्प काम करना तुरंत बंद कर देंगे, या अपडेट होना बंद हो जायेगा, मौजूदा एप्प का करते रहेंगे? कई चीनी एप्प जो पहले से फ़ोन पर थे वे अब भी काम कर रहे हैं।
जेईई एग्जाम में अच्छी हाजिरी के मायने
रायपुर में जेईई एग्जाम के दूसरे दिन 84 प्रतिशत परीक्षार्थी शामिल हुए। पहले दिन 55-60 प्रतिशत प्रतियोगी शामिल हुए थे। कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए अनेक लोगों ने यह एग्जाम कम से कम एक माह और आगे बढ़ाने की मांग की थी पर सुप्रीम कोर्ट के बाद केन्द्र सरकार के हाथ में ही इसे टालना संभव था। खतरों के बीच परीक्षा देने विद्यार्थियों का पहुंचना बताता है कि उन्हें भविष्य और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने की कितनी फिक्र है। परीक्षा केन्द्रों में तो तमाम ऐहतियात बरते भी जा रहे हैं पर प्रतिभागी ट्रेन, बसों का लॉकडाउन जारी रहने के कारण घर से परीक्षा केन्द्र तक कैसे पहुंचेंगे और कैसे वापस लौटेंगे यह बड़ी समस्या थी। राज्य सरकार ने यह समय व्यवस्था कर दी। इसके चलते बस्तर और बलरामपुर जैसे सुदूर क्षेत्रों से परीक्षार्थी एग्ज़ाम देने केन्द्रों तक पहुंच सके। इनकी मांग पर आवास और भोजन की सुविधा दी जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले के बाद बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से भी इसी तरह की सुविधा देने की खबर आई है। जेईई और नीट में तो हर बार कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है, पर इस बार कोरोना ने इसे थोड़ा आसान कर दिया। इसलिये नहीं कि सरल प्रश्न पूछे जा रहे हैं बल्कि इसलिये कि पिछली बार के 2.40 लाख के मुकाबले इस बार 2 लाख ही परीक्षा दे रहे हैं। इस बार बहुत से परीक्षार्थी अनुपस्थित भी हैं।