राजपथ - जनपथ
सरकार पर लोगों का भरोसा कुछ कम
छत्तीसगढ़ में कोरोना का हाल यह है कि दस-दस दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं आ रही हैं। आमतौर पर संक्रमण के दो-चार दिन बाद लोग जांच कराते हैं, और अगर दस दिन रिपोर्ट नहीं आई तो रिपोर्ट आने तक वे वैसे भी ठीक हो सकते हैं। जांच के लिए एम्स भेजी गई रिपोर्ट लेट होने की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि वहां लैब में कुछ कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव निकल गए हैं, और काम धीमा हो गया है।
लेकिन सरकार के काम, और सरकार की नीयत पर लोगों को हमेशा ही शक रहता है, जो कि कई बार जायज भी साबित होता है। अब लोगों को यह लगने लगा है कि सरकार जांच धीमी कर रही है ताकि लोग खुद ही ठीक होने लगें। अधिक बीमार होंगे तब तो अस्पताल पहुंच ही जाएंगे, लेकिन जांच रिपोर्ट देर होने से भी लोग बिना अस्पताल गए ठीक हो सकते हैं।
इसमें खतरा यही है कि लोग रिपोर्ट आने में देर होने से धीरे-धीरे करके इतने लापरवाह हो जाते हैं कि मानो रिपोर्ट न आने का मतलब पॉजिटिव न होना है। यह एक बड़ा खतरा छत्तीसगढ़ पर मंडरा रहा है जिसमें शुरू के महीनों में तो रफ्तार कम रही, लेकिन अब रफ्तार बढ़ी है। जो लोग दूसरे प्रदेशों का हालचाल पूछते हैं, उन्हें छत्तीसगढ़ में कम मौतों की खबर जानकर बड़ी हैरानी भी होती है। नागपुर से एक अखबारनवीस ने बताया कि वहां एक शहर में कल एक दिन में 52 कोरोना मौतें हुई हैं। उस हिसाब से पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में कल चौबीस घंटों में कुल 13 मौतें बहुत कम लग रही हैं। लेकिन लोगों को सरकार के आंकड़ों पर पूरा भरोसा हो नहीं रहा है।
छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख चार्टर्ड एकाउंटेंट ओपी सिंघानिया ने कल और आज सुबह फिर स्वास्थ्य मंत्री के नाम से ट्वीट किया है कि उनका सैम्पल स्वास्थ्य विभाग 29 तारीख को लेकर एम्स भेजा था, और दस दिन बाद भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
इस माह स्कूल कॉलेजों में रौनक लौट पायेगी?
केन्द्र सरकार ने अनलॉक की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अब 9वीं से ऊपर के स्कूलों को खोलने की अनुमति दी है। 21 सितम्बर से स्कूल खोले जा सकते हैं। बच्चों को तो इसका कब से इंतजार था पर अभिभावकों के मन से डर अभी भागा नहीं है। इस उम्र में बच्चों से अधिक अनुशासन या पाबंदी की उम्मीद नहीं की जा सकती। पूरा दारोमदार स्कूल प्रबंधन पर ही होगा, वे शर्तें पूरी करें और करायें। बच्चे 6 फीट की दूरी पर बैठेंगे, 50 प्रतिशत स्टाफ से काम लेना होगा। ऑक्सीमीटर होगा, साफ-सफाई पर काफी ध्यान देना होगा। पालकों को अपनी व्यवस्था से संतुष्ट करना होगा। यहां तक तो ठीक पर इसके बाद घर से स्कूल आने-जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हुई तो? एक भी छात्र कोरोना संक्रमित हुआ तो पूरा स्कूल बंद करना पड़ सकता है।
जोखिम तो है पर इतने दिनों में यह बात सभी की समझ में आ गई है कि ऑनलाइन पढ़ाई स्थायी समाधान नहीं है। पालक फिर भी चिंतित तो हैं। दूसरी तरफ कॉलेजों में प्रवेश के लिये छात्रों में कोई उत्साह नहीं है। रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर, अटल बिहारी बाजपेयी विवि बिलासपुर, सहित प्रदेश के किसी भी यूनिवर्सिटी में खाली सीटें भर नहीं पाई हैं। अब दूसरी-तीसरी बार फिर प्रवेश की अंतिम बढ़ाई जा रही है। निजी स्कूलों की तरह कॉलेज, यूनिवर्सिटी के प्रबंधक बच्चों को धमका भी नहीं सकते कि प्रवेश, ट्यूशन की फीस नहीं देंगे तो एडमिशन रोक देंगे। कुछ संकायों को छोडक़र बाकी में कॉलेज के छात्र सेल्फ स्टडी पर ही निर्भर रहते हैं। इधर राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी कल से प्रवेश शुरू होने वाला है। कोरोना के पहले भी देखा गया, इनकी सीटें खाली रहने का सिलसिला बीते सालों से चला आ रहा है। इस बार क्या होगा, देखें। फिलहाल तो कई कॉलेजों में दाखिले के कागज लेने वाले लोग ही कोरोना पॉजिटिव होते जा रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने गाने रोकने कहा...
डब्ल्यूएचओ ने भारत में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण इन गीतों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है।
1) बाहों में चले आ...
2) लग जा गले...
3) आज गालो, मुस्कुरा लो, महफिलें सजा लो...
4) जुम्मा चुम्मा दे दे...
5) ओ साथी चल मुझे लेके साथ...
6) मेरे हाथ में तेरा हाथ हो...
7) अभी ना जाओ छोडक़र...
8) तुमसे मिलके ऐसा लगा...
9) छू लेने दो नाजुक होठों को...
10) होठों से छू लो तुम...
11) सांसों को, सांसों से, मिलने दो जरा...
12) पास वो आने लगे जरा-जरा...
13) तुम पास आये, यू मुस्कुराये...
इन गीतों की सिफारिश की है...
1) जिस गली में तेरा घर न हो..
2) तेरी गलियों में ना रक्खेंगे कदम..
3) तेरी दुनिया से दूर, चले होके मजबूर..
4) मिलने से डरता है दिल...
5) परदेसियों से ना अंखियां मिलाना...
6) चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें...
7) कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो...
8) मैं चली मैं चली देखो...
9) ये गलियां ये चौबारा यहाँ आना ना दोबारा
10) तेरी दुनिया से दूर, होके चले मजबूर ..
11) भुला देंगे तुमको सनम धीरे-धीरे..
12) अकेले हम अकेले तुम..
13) अकेले हैं तो क्या गम है..
(सोशल मीडिया)