राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुनिया और सुनील सोनी..!
13-Oct-2020 6:54 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पुनिया और सुनील सोनी..!

पुनिया और सुनील सोनी..!

आखिरकार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया की दोबारा कोरोना जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। पुनिया के संपर्क में रहे कई नेता क्वॉरंटीन हो गए हैं। रायपुर सांसद सुनील सोनी भी पुनिया के साथ दिल्ली से आए थे। सुनते हैं कि विमान में दोनों साथ बैठे थे। यद्यपि उन्होंने मास्क तो लगाया ही था। विमान में बैठने के बाद यात्रियों को उपलब्ध कराए गए फेस कवर भी पहने हुए थे। मगर पुनिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है, तो सुनील सोनी का टेंशन में आना स्वाभाविक है।  कुछ इसी तरह सरकार के मंत्री भी परेशान हैं। ये सभी पुनिया के संपर्क में थे। मरवाही चुनाव में इन मंत्रियों की प्रचार में ड्यूटी लगी है। मगर जयसिंह अग्रवाल को छोड़ दे, तो बाकी मंत्री बाहर निकलने का जोखिम नहीं उठा पा रहे हैं। बीती देर रात पुनिया ने ट्वीट करके अपने और पत्नी के पॉजिटिव होने की खबर की. लेकिन मिलने वाले लोगों के लिए कोई सलाह पोस्ट नहीं की।

सीमेंट के दाम क्यों बढ़े?

बीते एक माह के भीतर सीमेंट के दाम ब्रांड के हिसाब से 30 से 50 रुपये तक बढ़ गये हैं। ठीक-ठाक क्वालिटी का सीमेन्ट जो 240 रुपये था इस समय 280, 290 तक मिल पा रहा है। लॉकडाउन और बारिश के कारण कंस्ट्रक्शन के कार्य लगभग रुके हुए थे। अब जब मौसम साफ हुआ है और कोरोना के बावजूद निर्माण कार्य शुरू किये जा चुके हैं, ठीक ऐसे समय में यह बढ़ोतरी भी हुई है। जब छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद तीन साल तक सीमेन्ट का दाम स्थिर था। लगभग 100 रुपये में मिल रहा था। भाजपा की जब पहली सरकार बनी तो यह 120 रुपये हो गया। उसके बाद 155 रुपये तो सन् 2006 के आसपास 200 रुपये तक बिका। 2008 में एकाएक यह 250 से 300 रुपये तक में बिकने लगा। यह वह समय था राजधानी समेत राज्य के बड़े शहरों दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, बिलासपुर में बड़े पैमाने पर कॉलोनियां और फ्लैट्स तैयार होने लगे थे। सन् 2018 में इसके दाम वैश्विक मंदी के कारण कुछ गिरे और 240, 250 रुपये में आ गया। यह दाम दो तीन साल से स्थिर था। हर बार बढ़ोतरी के बाद विरोधी दल दाम बढऩे के पीछे सरकार से सीमेन्ट विक्रेताओं के सिंडिकेट के साथ साठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं। हो-हल्ला होने पर बढ़ी कीमत में से कुछ दाम घटा भी दिये जाते हैं। सीमेन्ट डीलर्स बता रहे हैं कि असल कारण तो यही है कि फिर कार्टल बना हुआ है और निर्माताओं ने एक राय होकर दाम बढ़ाये हैं। निर्माण कार्य में तेजी आने और बारिश के गुजरने का लाभ उठाया जा रहा है। हालांकि यह भी जाहिर बात रही है कि चुनाव के समय सीमेन्ट के दाम अचानक बढ़ते हैं। इस बार ऐसा कुछ है इसकी संभावना इसलिये नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक सीट पर चुनाव है। मध्यप्रदेश में सीमेन्ट के दाम कम हैं जहां 28 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। जिन लोगों का अपना घर तैयार हो रहा है उनका बजट सीमेन्ट की बढ़ी कीमत से बिगड़ रहा है। बिल्डर्स और सरकारी प्रोजेक्ट्स की लागत भी बढ़ेगी। फिलहाल इस मुद्दे पर कोई सियासी हलचल नहीं है।

स्कूल फीस का मसला अब हल होने की उम्मीद

लॉकडाउन के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चे अपनी स्कूलों में कितनी फीस दें यह विवाद चल रहा है। हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर तय किया कि ट्यूशन फीस तो लें पर उसके अलावा कोई फीस न लें। एक अन्य याचिका अब भी लम्बित है। पालक तब भी फीस का विरोध करते रहे कि उन्होंने अपनी फीस का अनुमोदन नियमानुसार शिक्षा विभाग से नहीं कराया है। ट्यूशन फीस के नाम पर ही वे कुल फीस का 80 प्रतिशत वसूलने लगे हैं। अब पूरे प्रदेश में फीस पर निगरानी के लिये समितियों के गठन का रास्ता साफ कर दिया गया है। राजपत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस अधिनियम 2020 का प्रकाशन किया है। सरकारी स्कूलों की तरह निजी स्कूलों में भी एक समिति बनेगी जिसके अध्यक्ष तो कलेक्टर होंगे पर उनके द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी भी बैठकें ले सकेंगे। इस समिति में स्कूल प्रबंधक, पालक के प्रतिनिधि के अलावा समाज के अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति मौजूदा फीस की समीक्षा तो करेगी ही, हर वर्ष फीस का पुनर्निर्धारण और वृद्धि के मामले में भी फैसला लेगी। फीस बढ़ोतरी के लिये तर्कसंगत कारण बताना होगा। पहले भी फीस निर्धारण पर निगरानी की व्यवस्था थी। पर देखा गया कि कई स्कूलों ने तो बीते चार-पांच सालों से अपनी फीस का अनुमोदन नहीं कराया है। नई समिति भी दबावमुक्त होकर काम करे, समाज से लिये जाने वाले प्रतिनिधि पक्षपात न करें तो प्राइवेट स्कूलों पर कुछ तो नियंत्रण हो सकेगा। वैसे अच्छी बात तो यह होगी कि दिल्ली की तरह सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाने का काम किया जाये। हर ब्लॉक में प्रदेश में करीब 90 आदर्श आवासीय स्कूल भाजपा शासनकाल में खोले गये थे, पर उसका संचालन नहीं किया जा सका। उसे प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों के हाथ ही सौंपना पड़ा है। अभी नया प्रयोग 40 नये अंग्रेजी स्कूलों को खोला जाना है। इनमें प्रवेश को लेकर बड़ा आकर्षण छात्रों में है। यह ठीक से चल निकलें तो स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आशा बंधे।

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