राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक आईपीएस जोड़ा आया
10-Nov-2020 4:32 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक आईपीएस जोड़ा आया

एक आईपीएस जोड़ा आया

मध्यप्रदेश कैडर की आईपीएस खन्ना दंपत्ति तीन साल की प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ आ गई है। उन्होंने यहां पीएचक्यू में जॉइनिंग भी दे दी है।  डीआईजी विनीत खन्ना को भर्ती और उनकी पत्नी डीआईजी हिमानी खन्ना को सीआईडी का प्रभार दिया गया है। खन्ना दंपत्ति राज्य पुलिस सेवा के वर्ष-1990 बैच के अफसर हैं, जिन्हें मध्यप्रदेश में आईपीएस अवार्ड होने के बाद वर्ष-2006 बैच आबंटित किया गया। जबकि छत्तीसगढ़ में उन्हीं के राज्य पुलिस सेवा के बैचमेट संजीव शुक्ला, हेतराम मनहर और बीएस ध्रुव को आईपीएस अवार्ड होने के बाद वर्ष-2004 बैच आबंटित किया गया था। चूंकि खन्ना दंपत्ति यहां अपने ही बैच के अफसरों से आईपीएस अवार्ड में पीछे रह गए।

डीआईजी हिमानी खन्ना मध्यप्रदेश भाजपा के बड़े नेता और हरियाणा के गर्वनर कप्तान सिंह सोलंकी की बेटी हैं। जबकि विनीत खन्ना राजनांदगांव के रहवासी हैं। वे दिग्विजय कॉलेज में पढ़े हैं, और छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। दोनों पति-पत्नी की साख अच्छी है। दोनों रायपुर में सीएसपी के पद पर काम कर चुके हैं। यही वजह है कि उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर आने की इच्छा जताई, तो सरकार ने फौरन हामी भर दी। आम तौर पर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित होने के कारण विशेषकर पुलिस अफसर यहां आने से कतराते हैं। वैसे भी पोस्टिंग के मामले में मध्यप्रदेश को काफी अच्छा माना जाता है। सिर्फ टीजे लांगकुमेर और बाबूराव ही ऐसे पुलिस अफसर थे जो कि प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में रहे। बाद में लांगकुमेर नागालैंड के डीजीपी बने। छत्तीसगढ़ में काम करने के बेहतर अवसर हैं, और अच्छी साख वाले अफसरों के आने से  यह साबित भी होता है।

दुआ लेने जाने की चर्चा

राजनांदगांव के रूआंतला में एक धार्मिक व्यक्ति रहते हैं। उन्हें सिद्ध पुरूष माना जाता है, और अपने अनुयायियों के बीच वे दाऊजी के नाम से जाने जाते हैं। दाऊजी का आशीर्वाद लेने आम लोगों के अलावा राजनेता और अफसर जाते हैं। पिछले दिनों पुलिस के एक बड़े साब सपत्नीक दाऊजी के दरबार में पहुंचे, तो यह खबर उड़ गई कि साब की कुर्सी खतरे में पड़ गई है, इसलिए वे दाऊजी का आशीर्वाद लेने आए हैं। वैसे साब कुर्सी खतरे में पड़ गई है, यह प्रचारित उनके मातहत ही करते हैं। जब से उनसे ठीक नीचे के अफसर प्रमोट हुए हैं, तब से यह चर्चा जोरों पर है। मगर सिविल लाइन के दाऊजी उनके कामकाज से संतुष्ट बताए जाते हैं, और रूआंतला वाले दाऊजी का आशीर्वाद तो है ही। ऐसे में साब का निश्चिंत होना स्वाभाविक है।

पर्ची वाले सट्टेबाज तो कैद, पर ऑनलाईन जारी

देश भर में आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट पर लगने वाले सट्टे में हजारों लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, और जिन लोगों के पास लाख-दो लाख भी जब्त होते हैं उनके पास आधा-एक करोड़ रूपए का हिसाब निकलता है। एक तरफ तो पुलिस हर प्रदेश में सट्टेबाजों को गिरफ्तार कर रही है, दूसरी तरफ इंटरनेट पर कुछ वेबसाईटें आईपीएल पर सट्टा लगवा रही है। और यह काम दबे-छुपे नहीं हो रहा, डंके की चोट पर हो रहा है। किसी कम्प्यूटर पर आईपीएल को चार बार सर्च कर लिया जाए, तो स्क्रीन पर एक कोने में एक नोटिफिकेशन तैरने लगता है जो लोगों को क्रिकेट के किसी पेज पर ले जाने की बात कहता है। अगर आपने क्लिक कर दिया, तो आईपीएल पर सट्टा लगाने का पेज खुल जाता है। यह पेज बहुत दिनों से जिंदा है, काम कर रहा है, और सरकार ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की हो ऐसा लग नहीं रहा है। और तो और सट्टेबाजी का यह पेज दावा करता है कि उसके डेढ़ करोड़ रजिस्टर्ड ग्राहक हैं। बेटविनरडॉटकॉम नाम की यह वेबसाईट साफ-साफ लिखती है कि वह स्पोर्ट और केसिनो है, और आखिरी में यह भी लिखती है कि 18 बरस से अधिक उम्र के लोग ही इस पर दांव लगाएं। यह भी लिखती है कि जुआं खेलना आदत बन सकता है, इसलिए सावधानी से जुआं खेलें। अब गली के कोने में कागज की पर्ची पर सट्टा लिखने वाले लोग तो गिरफ्तार हो रहे हैं, लेकिन डंके की चोट पर ऑनलाईन गैम्बलिंग चल रही है, और सरकारों का इस पर कोई काबू नहीं है, न केन्द्र सरकार का, न किसी राज्य सरकार का!

पीएससी का फिर नये विवाद में फंसना...

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की कोई एक परीक्षा अब तक बिना विवादों के नहीं निपटी। सन् 2003 से लेकर अब तक जितनी भी परीक्षायें ली गईं, हाईकोर्ट में चली गई। बार-बार गलती पकड़ी गई और इसे पीएससी ने हाईकोर्ट में स्वीकार भी किया। अभी राज्य सेवा के बहुत से अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से स्थगन के कारण अपने पदों पर बचाये रहने का मौका मिला हुआ है, तो बहुत से काबिल उम्मीदवार गड़बडिय़ों के कारण वंचित रह गये हैं।

हाल ही में हाईकोर्ट ने पाया कि सन् 2019 में ली गई प्रारंभिक परीक्षा में जो मॉडल आंसर दिये गये उनमें से तीन के जवाब गलत थे। अब इन प्रश्नों के सही जवाब के आधार पर नये सिरे से सभी कॉपियों की जांच होगी, फिर मुख्य परीक्षा के लिये मेरिट लिस्ट निकलेगी। कोर्ट के फैसले को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि अभ्यर्थियों की एक और शिकायत पीएससी के पास दायर हो गई है।

वर्षों की प्रतीक्षा के बाद उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत 1354 पदों पर भर्ती के लिये परीक्षा ली गई जिसमें होम साइंस के परीक्षार्थियों को सिर्फ अंग्रेजी में बांटा गया, जबकि सिलेबस हिन्दी में भी था। कई ऐसे परीक्षार्थी थे जिन्होंने हिन्दी में ही पूरी तैयारी की, पर पर्चा सिर्फ अंग्रेजी में देखकर हैरान रह गये। गृह विज्ञान यानि होम साइंस विषय भी ऐसा है कि अधिकांश छात्र इसकी पढ़ाई हिन्दी में करते हैं। हिन्दी में नहीं होने के कारण उन्हें प्रश्न पत्र हल करने में खासी दिक्कत हो गई।

अब इन परीक्षार्थियों ने पीएससी को शिकायत भेजी है और तय किया है कि यदि उनकी परेशानी का निराकरण नहीं किया गया तो वे भी हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। सरकार का इसके कामकाज पर सीधे कोई हस्तक्षेप नहीं होने के बावजूद ऐसी स्थिति क्यों है? क्या वहां काबिल लोगों की कमी है या फिर किसी वजह से जानबूझकर ऐसी नौबत लाई जाती है?

मंत्रीजी के लिये रूल इज रूल 

बिलासपुर के दो थाना भवनों का वीडियो कॉन्फ्रेंस से उद्घाटन कर रहे मंत्री ताम्रध्वज साहू सहित पुलिस के आला अधिकारियों को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब विधायक ने मंच से पुलिस पर व्यापारियों और आम नागरिकों से दबावपूर्वक अवैध वसूली का आरोप लगाया और थानों में रेट लिस्ट टांगने का मश्विरा दे दिया। पांडेय का गुस्सा बता रहा था कि वे आगे और बोलने वाले हैं पर मंत्री ने रोक दिया।

मंत्री मौजूद, सारे अफसर सामने बैठे हैं और विधायक जैसे जिम्मेदार प्रतिनिधि की शिकायत! मंत्री जी तत्काल अधिकारियों को वहीं बैठे-बैठे निर्देश दे सकते थे कि विधायक से बात करके शिकायत को कलमबद्ध करें और 24 घंटे के भीतर जांच और कार्रवाई करें। लेकिन नहीं,  उन्होंने कहा कि विधायक अपनी शिकायत लिखित में दें, जांच कराई जायेगी।

अपने विभाग की इतनी फजीहत अपनी ही पार्टी के विधायक ने कर दी, पर मंत्री जी कायदे से काम करेंगे। सब उसूल से चलना चाहिये। इस घटना के एक दिन पहले ही तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ने यातायात पुलिस के खिलाफ शिकायत की थी, मगर उन्होंने मंत्री जी को फोन किया था। यह पता नहीं चला कि उन्होंने लिखित शिकायत भेजी या नहीं। जांच या कार्रवाई की उम्मीद तो तभी रखी जा सकती है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news