राजपथ - जनपथ
विपक्ष का लंच
विधानसभा में गुरूवार को सीएम की तरफ से लंच में विपक्ष के विधायक शामिल नहीं हुए। विपक्ष के विधायकों ने लंच का बहिष्कार नहीं किया था, बल्कि नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में सीएम का न्योता आने से पहले ही विपक्ष के विधायकों के लिए अपने लिए अलग लंच का इंतजाम कर रखा था। यह इंतजाम जोगी पार्टी के नेता धर्मजीत सिंह की पहल पर किया गया था, और इसका जिम्मा पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी को दिया गया था।
धर्मजीत की पसंद पर सुंदरानी घर से ढेंस की सब्जी और सिंधी पकवान बनवाकर लाए थे। हालांकि जोगी पार्टी के दो विधायक रेणु जोगी और देवव्रत सिंह, विपक्षी लंच में शामिल नहीं हुए, वे सीएम के लंच में शामिल हुए। सदन की कार्रवाई के बीच लंच का दौर चलता रहा। एक समय ऐसा आया, जब सदन में एक-दो विपक्षी विधायक ही मौजूद थे। तब खाद्यमंत्री अमरजीत भगत नेता प्रतिपक्ष के कमरे में आए, और बृजमोहन अग्रवाल से लंच जल्द खत्म कर सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने का अनुरोध किया, और कहा-भईया आप लोगों के बिना मजा नहीं आ रहा है।
बृजमोहन ने उन्हें बिठा लिया, और उन्हें भी ढेंस की सब्जी खिलाई। दरअसल, विपक्ष के विधायकों की संख्या इतनी कम है, कि अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल, धर्मजीत सिंह और नारायण चंदेल सदन में गैर हाजिर रहे, तो विपक्ष में शून्यता आ जाती है। इसीलिए कहा भी जाता है कि मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है।
आपसी मतभेद भुला रहे आदिवासी नेता
खबर है कि भाजपा के आदिवासी नेता आपसी मतभेद को भुलाकर एकजुट हो रहे हैं। पिछले दिनों नंदकुमार साय ने अपने निवास पर कुछ आदिवासी नेताओं के साथ बैठक की, तो पार्टी में हडक़ंप मच गया। अब इस तरह की बैठकें जिलेवार होंगी। साय की पहल का नतीजा यह रहा कि सरगुजा के एक-दूसरे के धुर विरोधी नेता रेणुका सिंह और रामविचार नेताम, भी अब एक-दूसरे की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
पिछले दिनों रामानुजगंज के कार्यकर्ता सम्मेलन में रेणुका सिंह ने रामविचार नेताम की जमकर तारीफ की, और कहा कि रामविचारजी के गृहमंत्री रहते प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर रही है। पार्टी के अंदरखाने में रेणुका सिंह के बदले रूख की जमकर चर्चा है। कहा जा रहा है कि रेणुका सिंह भी नंदकुमार साय की तरह प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में नहीं बुलाए जाने से खफा हैं। रेणुका सिंह रायपुर में थीं, और एकमात्र केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया।
पार्टी के कुछ लोग मान भी रहे हैं, कि कार्यालय में होने के बावजूद साय को बैठक से दूर रखना एक बड़ी चूक थी। जिससे सारे आदिवासी नेता नाराज हो गए हैं। अब जल्द ही आदिवासी एक्सप्रेस को पटरी पर नहीं लाया गया, तो आगामी चुनावों में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
गोबर के पैसों से पति को गिफ्ट में दी बाइक
ग्रामीण इलाकों में अतिरिक्त पैसे आने पर इन दिनों कौन सा शौक पूरा करने की ओर सबसे पहले सोचा जा रहा है? कर्ज माफी, 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदी और अब गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी। मनेन्द्रगढ़ के पिपरिया की सीता देवी ने बीते कुछ माह में 80 हजार रुपये का गोबर बेचा। इन रुपयों का क्या किया जाये, विचार किया तो उसने पाया कि उसका पति विष्णु, है तो बड़ी गाड़ी का ड्राइवर लेकिन बहुत दिनों से इच्छा है कि वह एक बाइक खरीदे। सीता देवी ने अपने पति को शानदार होंडा बाइक खरीदकर उपहार में दी है। छत्तीसगढ़ सरकार दो साल में ग्रामीणों की तरक्की का आधार बताते हुए कहती है कि आटोमोबाइल की बिक्री में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। सीतादेवी का फैसला इसकी पुष्टि करता है।
नये साल के उत्सव में भी कलाकार खाली..
क्रिसमस और न्यू ईयर किस तरह मनाना है इसकी गाइडलाइन अंतिम समय में जारी की गई। पहले भी ऐसा हो चुका है। गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव, ईद, दशहरा और दीपावली में लोगों को एक दो दिन पहले ही पता चला कि किस तरह की पाबंदी या छूट होगी। राजधानी समेत सभी बड़े शहरों में बीते कुछ सालों से न्यू ईयर सिलेब्रेशन के लिये होटलों, रेस्तरां में ग्रैंड गाला कार्यक्रम रखने का चलन बढ़ा है। इसके लिये कलाकारों, सितारों की बुकिंग बहुत पहले करनी होती है। सजावट भी कई दिन पहले शुरू करनी होती है, फिर प्रचार करना होता है ताकि लोग पहुंचें। इस बार होटल और इंवेट मैनेजर लगातार प्रशासन के सम्पर्क में गाइडलाइन के बारे में पूछते रहे, पर राज्य सरकार से दिशा-निर्देश नहीं मिलने का हवाला देकर उन्हें कुछ नहीं बताया जा रहा था। तब उन्होंने खुद से ही तैयारी शुरू कर दी। अब लगभग सभी बड़े होटलों में न्यू ईयर के कार्यक्रम रखे जा रहे हैं। हां, इतना जरूर है कि वे ग्राहकों की भीड़ को लेकर सशंकित हैं। ज्यादा भीड़ जुटने पर कार्रवाई का खतरा भी है। इसलिये इस बार बहुत कम कलाकारों, डांसरों को बुकिंग मिल पाई। इवेंट मैनेजरों को डर था कि पर्याप्त कलेक्शन नहीं होने पर उन्हें भुगतान करने में दिक्कत होगी। इससे पहले कोरोना के बाद से लगातार कलाकारों को घर ही बैठना पड़ा है। पूरे सालभर उन्हें तंगी से जूझना पड़ा। इन्हें अब सन् 2021 से ही कोई उम्मीद है।
हवाई व रेल यात्रा के अलग-अलग पैमाने
कोरोना काल से बंद यात्री ट्रेनों को रेलवे एक के बाद शुरू करने जा रही है लेकिन स्पेशल ट्रेनों के रूप में। यात्रियों की मांग बताकर शुरू की गई कई ट्रेनें खाली जा रही हैं। बिलासपुर से इंदौर चलने वाली नर्मदा एक्सप्रेस को 10 माह के बाद 26 दिसम्बर से शुरू किया जा रहा है, पर स्पेशल ट्रेन के रूप में। ऐसी कई ट्रेनों को स्पेशल नाम से चलाया जा रहा है। इसके बावजूद कि उन्हें लगातार चलाने की बात कही जा रही है। दरअसल, स्पेशल ट्रेनों के नाम पर ज्यादा भाड़ा लेने का रास्ता खुल जाता है। यात्रियों को ट्रेन यात्रा में पहले से कहीं ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं क्योंकि ये साधारण नहीं स्पेशल ट्रेनें हैं। पहले भी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाकर रेलवे अनेक ट्रेनों को सुपर फास्ट दर्जा दे चुकी है, लोगों का ज्यादा समय तो इससे बचता नहीं पर किराया जरूर ज्यादा देना पड़ता है। इसके ठीक उलट हवाई यात्रा का हाल है। कोरोना काल के मुकाबले सभी प्रमुख शहरों के लिये टिकटों की दर घटी हुई है। न्यू ईयर में ज्यादा बुकिंग के चांस होने के बावजूद। रेलवे ने पहले ही कह दिया है कि कोरोना काल में वह लोगों को अनावश्यक यात्रा के प्रति हतोत्साहित करना चाहती है, इसीलिये सभी तरह की रियायतें बंद की गई है। दूसरी ओर विमानन कम्पनियां हैं जो रियायत देकर यात्रा को प्रोत्साहित कर रही हैं। आखिर क्या सही है, यात्रा करना या नहीं करना?