राजपथ - जनपथ
तो यू-ट्यूब से यह भी सीख सकते हैं...
2000 रुपये के जिस नोट को काले धन का तोड़ बताते हुए जारी किया गया था और चिप लगे होने की अफवाह तक जिम्मेदार टीवी चैनलों ने फैला रखी थी उसकी नकली छपाई करना कितना आसान है यह महासमुंद में पकड़े गये मामले से पता चलता है। छोटे-छोटे गांवों के लडक़े बिना कम्प्यूटर साधारण कलर प्रिंटर और बॉन्ड पेपर की मदद से वे जाली नोट बनाकर बाजारों में खपा रहे थे।
यू टूयब और गूगल अब अपराधियों का भी गुरु बन बैठा है। इंटरनेट, खासकर यू ट्यूब पर जाकर हत्या करने, आत्महत्या करने, एटीएम काटने, जाली एटीएम कार्ड बनाने, लूटपाट करने, चोरी करने के बाद बच निकलने जैसे अनेक जघन्य अपराध सीखे जा सकते हैं। तरीके ऐसे खतरनाक और बारीक होते हैं कि कई बार पुलिस और जांच एजेंसियों को भी भनक नहीं लगती।
ऐसे अपराधों में लिप्त लोग जब पकड़ में आते हैं तो पता चलता है उनमें ज्यादातर पढ़े-लिखे हैं। कोई आई टी इंजीनियर है, कोई तो नाबालिग भी। इन दिनों हर जिले से ऑनलाइन धोखाधड़ी, एकाउन्ट से पैसे पार होने की ख़बरें लगातार आ रही है। इनमें अंतरराज्य और अंतर्राष्ट्रीय गिरोह भी पकड़े गये हैं। सोशल मीडिया पर उपलब्ध अपराधों की शिक्षा देने वाले इन चैनलों पर लगाम लगाने का कोई कारगर तरीका अब तक नहीं निकाला जा सका है। स्थानीय जांच एजेंसियां अपराधियों को पकडऩे के बाद उन पर कार्रवाई तो कर सकती है पर सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मौजूद कंटेन्ट को हटाने के लिये तो केन्द्र सरकार के सम्बन्धित मंत्रालय, विभागों को ही आगे आना होगा।
जमीन बचाने अबूझमाड़ का आंदोलन
दिल्ली में किसानों के आंदोलन से इसकी तुलना करें या न करें, लेकिन मांगों को सुना तो जाना चाहिये। अबूझमाड़ के हजारों ग्रामीण भी कडक़ड़ाती ठंड में सडक़ पर उतर गये हैं। करीब 25 दिन पहले उन्होंने आंदोलन शुरू किया। पांच दिन तक उन्होंने ओरछा मार्ग पर चक्काजाम कर रखा था। प्रशासन के इस आश्वासन के बाद 15 दिन में उनकी मांगों पर निर्णय लिया जायेगा, आंदोलन खत्म करा दिया गया।
20 दिन तक कोई फैसला नहीं आया और अब वे फिर आंदोलन पर हैं। वे नारायणपुर जिला मुख्यालय की तरफ भी बढ़ रहे हैं। मांगें हैं, आमदई खदान को उत्खनन के लिये दी गई लीज रद्द किया जाये, यहां पुलिस का कोई नया कैम्प बन रहा है उसके लिये मंजूरी नहीं दी जाये। इन दोनों योजना, परियोजना के चलते पेड़ों की कटाई होनी है जिसके लिये वे तैयार नहीं हैं। पिछली बार के आंदोलन में गिरफ्तार 6 ग्रामीणों को रिहा करने की मांग भी वे कर रहे हैं।
बस्तर में खनन कम्पनियों और पुलिस फोर्स का विरोध नई बात नहीं। हर सरकार इसे झेलती आ रही है। वहां विकास और सुरक्षा के सवालों से प्रशासन को हमेशा जूझते रहना पड़ा है। ताजा मामले में वह आदिवासियों का भरोसा और सहमति कैसे हासिल कर पायेगा, यह अहम है।
पोराबाई का बरी हो जाना
जांजगीर जिले के बिर्रा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर की छात्रा पोराबाई ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की 2008 की परीक्षा में 99.1 प्रतिशत अंक लेकर प्रावीण्य सूची में पहला स्थान हासिल किया था। करीब 100 फीसदी अंक हासिल करना लोगों को हैरान कर गया। खासकर तब वह जब पिछली बार सन् 2007 में अच्छे नंबर नहीं आने के कारण श्रेणी सुधार के लिये दुबारा परीक्षा में बैठी थी। शिक्षा अधिकारियों ने जांच शुरू की तो तहलका मच गया। जांच से मालूम हुआ कि उत्तर पुस्तिकाओं को किसी और ने लिखा था। उसकी हैंडराइटिंग भी नहीं मिली। पोराबाई के स्कूल के शिक्षक गुलाब सिंह, बाल चंद्र भारती, समेलाल, महेत्तर लाल साहू और संपत लाल के खिलाफ अपराध दर्ज हुआ। पोराबाई सहित सब गिरफ्तार किये गये। पोराबाई को रिजल्ट के बाद शिक्षाकर्मी की नौकरी भी मिल गई थी, जिस पर फैसला आना बाकी है। पर अब 12 साल बाद पोराबाई सहित सभी शिक्षक जालसाजी के आरोप से बरी हो गये हैं। हालांकि यह निचली अदालत का आदेश है जिसे ऊपर की अदालत में चुनौती देने का मंशा शिक्षा अधिकारी जता रहे हैं, पर सवाल यह है कि गड़बड़ी सिर्फ पोराबाई और शिक्षकों ने की या फिर जांच अधिकारियों ने भी?