राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मोदी-शाह से चर्चा के बाद भरोसा
06-Jan-2021 5:07 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मोदी-शाह से चर्चा के बाद भरोसा

मोदी-शाह से चर्चा के बाद भरोसा

केन्द्र सरकार ने काफी विवाद के बाद 24 लाख टन चावल लेने पर सहमत हो गई है। एफसीआई को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। वैसे तो 60 लाख टन चावल लेने का भरोसा दिया गया था, लेकिन फिलहाल 24 लाख टन चावल लेने का सहमति पत्र आने से राज्य सरकार को कुछ राहत मिली है। अब धान खरीदी की व्यवस्था ठीक करने की कोशिश हो रही है।

एफसीआई द्वारा चावल नहीं लेने से मिलिंग नहीं हो रही थी, और खरीदी केन्द्रों में धान जाम हो गया था। खुद सीएम भूपेश बघेल को आगे आकर विवाद सुलझाने के लिए पहल करनी पड़ी। सीएम ने पहले पीएम नरेन्द्र मोदी से बात की, और फिर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से चर्चा की।

दोनों से चर्चा के बाद ही विवाद सुलझ पाया। राज्य सरकार के लोगों को भरोसा है कि एफसीआई देर सवेर पूरा 60 लाख टन चावल लेगी। इस भरोसे की वजह मोदी और शाह का रूख सकारात्मक होना बताया जा रहा है, जो कि केन्द्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के विपरीत नजर आया है।

विधायक-सांसदों को पहले लगे वैक्सीन

कोरोना वैक्सीनेशन के लिए जल्द अभियान शुरू हो रहा है। छत्तीसगढ़ में पहले फेस में करीब ढाई लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों, डॉक्टरों को वैक्सीन लगाया जाएगा। वैक्सीन को लेकर न सिर्फ आम लोग बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारी भी सशंकित हैं। कई स्वास्थ्य कर्मचारी इससे दुष्प्रभाव की आशंका जता रहे हैं, और दबे स्वर में वैक्सीन लगाने से आनाकानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के नेताओं को अलग-अलग जिलों से फोन आने शुरू हो गए हैं।

कई स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपने संघ के नेताओं को सुझाव दिया है कि वे सरकार को ज्ञापन दें, कि सबसे पहले विधायक और सांसदों को वैक्सीन लगाया जाए। इसके बाद ही कर्मचारियों  और आम लोगों को वैक्सीन लगाया जाए। हालांकि संघ के लोग सरकार को ऐसा कोई ज्ञापन नहीं दे रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि कर्मचारियों में वैक्सीन के प्रति भरोसा जताने के लिए कुछ ठोस उपाय करना चाहिए।

चिकन, अंडों पर फिर शामत

नये साल की शुरुआत में ही बर्ड फ्लू की ख़बरों ने फिर एक बार लोगों को चिंता में डाल दिया है। मध्यप्रदेश, केरल, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा राज्यों में हजारों पक्षियों की मौतें हुई हैं और नये मामले भी सामने आ रहे हैं। बर्ड फ्लू की जो ख़बरें आ रही हैं वह बताती है कि यह कोरोना की तरह तेजी से तो नहीं फैलता पर जानलेवा उससे कई गुना ज्यादा है। 1997 से पता लगाये जा चुके इस वायरस में कहा जा रहा है मौतों का प्रतिशत करीब 60 है। यानि कोरोना से काफी ज्यादा। छत्तीसगढ़ में पक्षियों की मौतों के मामले इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नहीं आये हैं, लेकिन वन विभाग ने एहतियात बरतना तो शुरू कर दिया है। बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी में पक्षियों का वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है। कोरोना और बर्ड फ्लू में फिर शामत चिकन और अंडे बेचने वालों पर आई है क्योंकि लोग सावधानीवश सबसे पहले उसे ही खाने से परहेज कर रहे हैं। कोरोना के चलते अप्रैल मई माह में तो चिकन, अंडे मुफ्त बांटने की स्थिति पैदा हो गई थी, देखें इस बार क्या होता है।

वैक्सीनेशन का टारगेट न मिले

कोरोना वैक्सीनेशन के लिये प्रदेश में किया गया पहले चरण का मॉक ड्रिल सफल रहा है। रायपुर सहित सात जिलों में इसका ड्राइ रन एक-दो शिकायतों के अलावा बाकी सभी ठीक बता रहे हैं। अब कल 7 जनवरी से मॉक ड्रिल का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। मॉक ड्रिल के बाद असली परीक्षा टीकाकरण के दौरान ही होने वाली है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कह दिया है कि टीका लगवाना स्वैच्छिक रहेगा, किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जायेगी। अब एक टीवी चैनल का सर्वेक्षण कहता है कि साइड इफेक्ट को लेकर चिंतित 69 प्रतिशत आम लोग वैक्सीन लगवाने के इच्छुक नहीं है। इसके अलावा जिन स्वास्थ्य कर्मियों को पहले टीका लगाने के लिये चुना जा रहा है उनमें से भी 55 प्रतिशत लोग इच्छुक नहीं है। टीका लगाने के मुहिम से जुड़े एक डॉक्टर ने कहा कि बस हमें पोलियो टीके की तरह कोरोना टीका लगाने का कोई टारगेट नहीं दिया जाये, बाकी हम संभाल लेंगे।

घरों में सरकारी शिक्षकों की दस्तक

ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि जिन छात्रों ने 10वीं, 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के फॉर्म नहीं भरे हैं या पिछली बार की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गये हैं उनसे फॉर्म भरवाने के लिये सरकारी स्कूलों के शिक्षक न केवल फोन से बल्कि जिनसे सम्पर्क नहीं हो रहा है उनके घरों में जाकर सम्पर्क कर रहे हैं। वे उन्हें परीक्षा फॉर्म भरने के लिये कह रहे हैं। अनुत्तीर्ण छात्रों को बताया जा रहा है कि वे दुबारा सभी विषयों की परीक्षा भी दिला सकते हैं। ऐसे छात्रों के कारण परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तारीख भी बढ़ाकर 15 जनवरी कर दी गई है जो पहले 30 दिसम्बर तक थी। मकसद है, कोरोना की वजह से छात्रों का सत्र खराब न हो। बहुत से शिक्षकों ने स्कूल से बाहर ऑनलाइन, ऑफलाइन ड्यूटी अच्छी तरह निभाई। अब ये छात्र परीक्षा भी दिला सकें और किसी तरह पास हो जायें यह कवायद की जा रही है।

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