राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजभवन घेराव-एक
16-Jan-2021 4:16 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : राजभवन घेराव-एक

राजभवन घेराव-एक

कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस के राजभवन घेराव-प्रदर्शन ने प्रेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। प्रदर्शन के लिए समय कम था। क्योंकि  एक दिन पहले ही पीसीसी वर्धा से लौटी थी। मगर भीड़ के मामले में यह प्रदर्शन कांग्रेस के अब तक के सभी प्रदर्शनों से बेहतर और व्यवस्थित नजर आया। वह भी तब जब सीएम और समूचा मंत्रिमंडल गैर हाजिर था।

मोहन मरकाम की अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन में उनके दोनों महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला और रवि घोष का प्रबंधन था। पहले भी किसान आंदोलन-प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन राजधानी की सडक़ों में ट्रैक्टरों के साथ किसान-कार्यकर्ताओं की भीड़ पहली बार दिखी। मरकाम खुद राजीव भवन से ट्रैक्टर चलाते हुए राजभवन के लिए निकले।

वे काफी तनाव और गुस्से में थे। वजह यह थी कि टै्रक्टर के सामने भीड़ जमा हो जा रही थी, और एक्सीडेंट का खतरा भी था। मगर पीछे से किसी चतुर नेता ने उन्हें समझाइश दी कि वे टीवी कैमरों की तरफ फोकस करें, और भीड़ को अनदेखा कर एक्सीलेटर दबा दें। फिर क्या था, मरकाम ने टीवी कैमरों की तरफ देखते हुए हाथ हिलाते गाड़ी तेजी से आगे बढ़ा दी। भीड़ खुद-ब-खुद सामने से हट गई। इसके बाद मरकाम का काफिला बिना किसी बाधा के राजभवन के समीप पहुंच गया।

गाड़ी में उतरते समय पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा का पैर फिसल गया, और उन्हें काफी खरोंच आई। मगर वे चोट की परवाह किए बिना प्रदर्शन में शामिल हुए। राजभवन घेराव-कार्यक्रम में दो दर्जन से अधिक विधायक और पदाधिकारियों ने शिरकत की।

राजभवन घेराव-दो

राजभवन घेराव-प्रदर्शन में रायपुर के छोटे-बड़े नेताओं ने अपनी उपस्थिति दिखाई। रायपुर की प्रभारी प्रतिमा चंद्राकर काफी नाराज रहीं।  चर्चा है कि शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे खुद तो राजभवन के अंदर चले गए, लेकिन प्रतिमा का नाम नहीं लिखवाया था। प्रतिमा बाहर ही रह गई थी, बाद में मरकाम को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने प्रतिमा और कुछ प्रमुख नेता, जो बाहर रह गए थे उन्हें अंदर बुलवाया। प्रतिमा ने गिरीश को देखते ही जमकर फटकार भी लगाई। एजाज ढेबर और प्रमोद दुबे भी अपने साथियों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए, लेकिन नए नवेले ब्लॉक अध्यक्षों ने घेराव-प्रदर्शन को बेहतर बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। उन्हें अपनी योग्यता साबित करनी थी, और उन्हें मौका भी मिल गया।

मंत्री क्यों नहीं पहुंचे बेरिकेड्स तोडऩे

केन्द्र के कृषि कानून, डीजल-पेट्रोल दाम और दूसरी चीजों की महंगाई के विरोध में राजभवन का घेराव हुआ। दूरदराज से पहुंचे कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हो गये। वे तो इस उम्मीद से आये कि घेराव के कार्यक्रम में सीएम और सारे मंत्री भी शामिल होने वाले हैं लेकिन ऐन मौके पर वे पहुंचे ही नहीं। उनके सामने वे अपनी निष्ठा, भक्ति, भीड़ दिखा पाते। राजीव भवन के कार्यक्रम में तो खूब माहौल बना। राजभवन के पहले पुलिस से झूमा-झटकी कर पुलिस घेरा भी तोड़ डाला। कार्यकर्ता जब इतने जोश में थे तो उन्हें साथ देने के लिये मंत्रियों को आना तो चाहिये था? 

प्रदर्शन में शामिल कुछ दूसरे समझदार कार्यकर्ताओं ने उन्हें समझाया। देखो, सत्ता से बाहर रहने के दौरान प्रदर्शन, आंदोलन करना आसान होता। सरकार में रहते हुए ला एंड आर्डर बनाये रखने की जिम्मेदारी भी मंत्रिमंडल की है। क्या मंत्रियों की मौजूदगी में हम लोग इतना शोर-शराबा कर पाते। उन पर लॉ एंड आर्डर हाथ में लेने का आरोप लगता। पुलिस किस पर लाठी चलाती, उन पर जिनकी सुरक्षा में वह तैनात है? विपक्ष को सरकार को घेरने का एक मौका और मिल जाता।

केबीसी में छत्तीसगढ़ की धमक

अमिताभ बच्चन के टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की सबसे हटकर लोकप्रियता है। मनोरंजन के साथ-साथ इसमें सामान्य ज्ञान की परख होती है। साधारण सी पृष्ठभूमि के लोग भी अपनी तैयारी की बदौलत यहां पहुंच जाते हैं। इस बार इस प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ की प्रतिभाओं को उभरने का खूब मौका मिल रहा है। अक्टूबर माह में पद्मश्री फूलबासन देवी को कर्मवीर एपिसोड में बुलाया गया था जिसमें उनकी सहयोगी अभिनेत्री रेणुका शहाणे थीं। फूलबासन ने अपने जवाब से अमिताभ को काफी प्रभावित किया। रेणुका ने फूलबासन की टीम से जुडऩे की इच्छा जताई। फूलबासन 50 लाख जीतकर आईं। इसके बाद अगले माह नवंबर के आखिरी हफ्ते में जगदलपुर की एक हाईस्कूल की व्याख्याता अनूपा दास को मौका मिला। उन्होंने तो एक करोड़ रुपये जीत लिये। जगदलपुर में उनका जबरदस्त स्वागत हुआ, जगह-जगह पोस्टर भी लगे। फिर दिसम्बर महीने में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक तदर्थ भृत्य मंतोष कश्यप को मौका मिला। उसने भी तीन लाख 20 हजार रुपये जीत लिये। अब जनवरी माह में भी इस सिलसिले को आगे बढ़ाया है बिलासपुर की ही अफसीन नाज़ ने। उन्होंने 50 लाख रुपये के जवाब पर हॉट सीट छोड़ा, 25 लाख रुपये जीतकर आईं। सिलसिला जारी रहे...।  

एक क्यों, दो माह का राशन ले जाओ..

इस बार कंट्रोल का चावल उठाने वालों को सरकार की तरफ से एक ऑफर दिया गया है। न तो त्यौहार है न लॉकडाउन का संकट लेकिन उपभोक्ता चाहें तो जनवरी के साथ-साथ फरवरी का भी चावल उठा लें। शासन के सर्कुलर में इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि आखिर यह मेहरबानी क्यों की जा रही है। ज्यादा जोर लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ी, जब खबरों को जोडक़र देखा गया। धान खरीदी में बारदानों का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कई जगह किसान ब्लैक में इंतजाम कर रहे हैं। मार्कफेड और फूड वालों पर बड़ा दबाव है कि वे समितियों को बोरियां उपलब्ध करायें। राशन दुकान संचालकों से गिन-गिनकर बोरियां वापस मांगी जा रही है। संचालकों ने पहले तो बोरियां संभाली नहीं थीं लेकिन हिसाब पूरा करने के लिये वे भी बाजार से खरीदकर लौटा रहे हैं। खाद्य विभाग की मेहरबानी इसी से जुड़ी हुई है। यदि उपभोक्ता एक साथ दो माह का राशन ले जायें तो दुकानों में दुगनी बोरियां खाली हो जायेंगी। ये बोरियां समितियों में भेज दी जायेंगी। धान खरीदी 31 जनवरी तक होनी है। अभी बड़ी संख्या में बोरियों का इंतजाम करना है। हालत यह है कि राशन लेने आ रहे लोगों से दुकानदार गुजारिश कर रहे हैं, भाई, दो माह का राशन उठा लो।

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