राजपथ - जनपथ
फीस निर्धारण समितियों का सच
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में फीस निर्धारण समिति के गठन को लेकर इस बार तेवर ढीले नहीं किये। फीस निर्धारण समिति नहीं बनाने के कारण शिक्षा विभाग ने अकेले रायपुर जिले में करीब 250 स्कूलों को अगले सत्र की मान्यता रोक ली थी। इसका असर हुआ कि निजी स्कूल, समितियों का ब्यौरा शिक्षा विभाग को सौंपते जा रहे हैं और उनकी मान्यता देने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। निजी स्कूल कॉलेजों के लिये जनवरी-फरवरी माह बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नये सत्र के लिये प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होती है। कई स्कूलों में शिक्षकों को भी लक्ष्य दिया जाता है कि वे विद्यार्थी लेकर आयें। दूसरी ओर फीस निर्धारण समिति के गठन को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई है। स्कूल प्रबंधकों की उम्मीद फैसले पर टिकी हुई है। दूसरी तरफ रायपुर में ही पालकों ने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की है कि कई स्कूलों में पालकों की सहमति के बगैर ही नोडल अधिकारियों की मिलीभगत से समितियों का गठन कर दिया गया । यानि सिर्फ मान्यता हासिल करने के लिये जैसे-तैसे समितियां भी बनाई जा रही हैं।
बोधघाट बिजली नहीं सिंचाई के लिये
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर दौरे के दौरान अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आड़े हाथों लिया। मुद्दा बोधघाट परियोजना का था। पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री अरविन्द नेताम इस योजना का विरोध करते आये हैं। उन्हें लेकर सीएम ने कहा कि हम चाहते हैं कि सबकी आर्थिक स्थिति नेताम की तरह हो जाये। उनके पेट्रोल पम्प हैं, बढिय़ा खेती है, घर में सब नौकरी-चाकरी कर रहे हैं। उन्होंने सम्पन्नता को लेकर सांसद दीपक बैज का भी उदाहरण रखा। कहा, बोधघाट से खेतों में पानी पहुंचेगा और आदिवासी उनकी तरह खुशहाल हों वे यह चाहते हैं।
बस्तर का विकास किस तरह से हो कि आदिवासी परम्परायें और जीवन शैली सुरक्षित रहे यह सवाल हमेशा हर सरकार के लिये महत्वपूर्ण रहा है। अतीत में कुछ बड़े फैसले हुए, विस्थापन हुए जिससे भय का माहौल बना। और हिंसा पर तो अब तक रोक नहीं लग पाई है। ऐसी स्थिति में चिंता व्यक्त करना भी सही है और उसका समाधान निकालना भी जरूरी।
रुक तो नहीं पाई टैक्स चोरी
नोटबंदी और जीएसटी के दौरान करों की चोरी रोकने और कालेधन पर लगाम कसने का जो अनुमान लगाया गया था वह धरातल पर नहीं उतरा। बीते साल सिर्फ एक बार ऐसा हुआ कि जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा। फर्जी फर्मों, कम्पनियों और के जरिये टैक्स चोरी इसकी एक बड़ी वजह मानी जाती है। इसके चलते राज्यों को नुकसान की भरपाई भी नहीं हो पा रही है।
जीएसटी लागू किया गया तब माना गया कि यह फुल प्रूफ तरीका है। टैक्स चोरी पूरी तरह रुक जायेगी। सन् 2017 से लेकर 2019 के बीच करीब 6.80 लाख शेल कम्पनियों को बंद भी किया गया, जिसे लेकर केन्द्र सरकार ने खूब वाहवाही भी बटोरी। लेकिन यह खेल रुका नहीं है। देश के अलग-अलग हिस्सों में जीएसटी चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी में तो 258 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया जिसमें 2 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। छत्तीसगढ़ में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। दोनों आरोपी न्यायिक रिमांड पर जेल भी भेज दिये गये हैं। टैक्स कलेक्शन सिस्टम को ऑनलाइन करने के बाद इस तरह के खतरे और बढ़े हैं। धोखाधड़ी करने वाले साइबर एक्सपर्ट्स भी हैं। जीएसटी विभाग के अधिकारियों के हाथ में ऐसे गिने-चुने मामले पकड़ में आ जाते हैं पर वास्तव में चोरी कितनी हो रही है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
छत्तीसगढ़ी गाना बजाने पर अर्थदंड
छत्तीसगढ़ी में जिस रफ्तार से गाने व फिल्में रिलीज हो रही हैं उसके मुकाबले उनकी प्रशंसा नहीं होती। किसी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में नामांकन भी नहीं हो पाता । कई बार यह बॉलीवुड फिल्मों की खराब नकल के रूप में सामने आती हैं। कुछ अच्छे विषयों पर काम होता भी है तो उन्हें निर्देशन, पटकथा, फिल्मांकन की कमियों के कारण दर्शकों की रिस्पांस नहीं मिलता।
इन दिनों एक गीत यू ट्यूब पर चल रहा है जिसे 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। इस गीत को बहुत से लोग अश्लील मान रहे हैं। इस गीत के खिलाफ बीते दिनों धरसीवां इलाके कांदुल ग्राम में बकायदा फरमान जारी किया गया। सरपंच, सचिव ने एक आम सूचना निकालकर चेतावनी दी है कि गांव के मड़ई मेले में यह गीत नहीं बजेगा। जो बजायेगा उसे 5551 रुपये अर्थदंड चुकाना होगा। चाहे वह गांव का व्यक्ति हो या बाहरी। अर्थदंड लेना वाजिब है या नहीं, या नहीं इस पर सवाल उठ सकते हैं पर किसी गाने के विरोध में ऐसा फरमान निकालना शायद पहली बार हुआ। गाने में उन्हें इतनी खामी दिखी कि मेले का माहौल बिगड़ सकता है। कई लोगों ने यू ट्यूब पर इस गाने की तारीफ की है पर एक यूजर ने यह भी लिखा है कि भोजपुरी गाने की तरह अश्लीलता मत परोसें।