राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : विद्या भैया की चर्चा...
29-Jan-2021 6:01 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : विद्या भैया की चर्चा...

विद्या भैया की चर्चा...

सीएम भूपेश बघेल ने पिछले दिनों दिवंगत विद्याचरण शुक्ल चौक का लोकार्पण किया। इस मौके पर वक्ताओं ने इस दिग्गज राजनेता को याद किया। कार्यक्रम में शुक्ल के भतीजे अमितेश शुक्ल को भी सम्मानित किया गया। अमितेश, दिवंगत शुक्ल बंधुओं के इकलौते राजनीतिक वारिस हैं। ऐसे में उन्हें सम्मानित करना गलत भी नहीं था। ये अलग बात है कि निजी चर्चाओं में अमितेश अपने चाचा को भला-बुरा कहने से नहीं चूकते थे। ये बात कांग्रेस के नेता भली-भांति जानते हैं।

खैर, अमितेश के बोलने की बारी आई, तो उन्होंने बताया कि कैसे चाचा के सानिध्य में अपने राजनीति कैरियर की शुरूआत की, और आगे बढ़े। इसके बाद तो सत्यनारायण शर्मा ने अमितेश को यह कहकर खुश कर दिया कि अमितेश, विद्या भईया के कान में जो कुछ भी कह देते थे, वे तुरंत मान लेते थे। और जब नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया की बारी आई, तो अपने उद्बोधन में सामने बैठे राजेंद्र तिवारी और सुभाष धुप्पड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अमितेश नहीं, ये सामने बैठे लोग भईया के कान फूंकते थे। इस पर जमकर ठहाके लगे।देखना है आगे होता है क्या

देखना है आगे होता है क्या

प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हुई, तो मंत्रालय में एक अफसर के  कमरे में आईएएस अफसरों का जमावड़ा रहता था। अफसर के दाऊजी से अच्छे संबंध रहे हैं। दाऊजी एक बार जेल में थे, तो अफसर चुपके से उनसे मिल आए थे।  वैसे अफसर के पिछली सरकार के प्रभावशाली नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। स्वाभाविक है कि यह सब जानने वाले लोग काफी दिनों तक अफसर के पावरफुल होने की प्रत्याशा में आगे-पीछे होते रहे। मगर अफसर के दिन नहीं फिरे। और जब अफसर ने मंत्रालय से बाहर बेहतर पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाया, तो बस्तर संभाग में पोस्टिंग हो गई। यानी आसमान से गिरे, खजूर में अटके वाली कहावत चरितार्थ हो गई। अब कुछ सामाजिक और राजनीतिक लोगों ने अफसर के लिए पैरवी की है। देखना है आगे होता है क्या।

हरकत औलाद की, गाली माँ को!

हिंदुस्तान की सार्वजनिक जगहों पर लोगों का जो अश्लील प्रदर्शन देखने मिलता है उसका नतीजा है कि देश भर की दीवारों पर इस किस्म की चेतावनी लिखी दिखती है। सडक़ों पर गाडिय़ां चलाने वाले लोग जिस तरह दरवाजे खोल कर पान या तंबाकू की पीक उगलते हैं वह देखना भी भयानक नजारा है. किसी और देश के पर्यटक अगर इसे देखें तो उन्हें लगेगा कि कोई खून की उल्टी कर रहा है और वह एंबुलेंस बुलाने की कोशिश करेंगे। लोग सार्वजनिक जगहों पर कोशिश करके भी पेशाब निकालने में लगे रहते हैं, और अगर उन्हें मुंह में पीक ना भी बने तो भी उन्हें हीन भावना होने लगती है कि सार्वजनिक जगह पर इतनी देर से थूका नहीं है पता नहीं इस जगह पर उनका कब्जा अभी कायम है या नहीं। बिलासपुर के फोटोग्राफर सत्यप्रकाश पांडे ने ये तस्वीरें खींची हैं ।

हिसाब तो मिलना ही चाहिये...

राममंदिर के लिये चंदे की बात अलग है। लोगों में होड़ लगी हुई है। तस्वीरें खिंचाकर लोग बता रहे हैं कितना चंदा दिया। इससे प्रभावित दूसरे लोग भी बढ़-चढक़र रसीद कटवा रहे हैं। कीर्तन, भजन के साथ चंदे की टोली निकल रही है। जिस बड़े पैमाने पर चंदे के लिये टीमें निकली हुई हैं, कांग्रेस ने कई सवाल किये हैं। वह विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा बरसों पहले इसी नाम से लिये गये करोड़ों रुपये के चंदे का हिसाब जानना चाह रही है। साथ ही यह भी पूछा है कि किस-किस को चंदा लेने के लिये अधिकृत किया गया है।

बिलासपुर में हू-ब-हू रसीद छपवाकर एक महिला नेत्री द्वारा चंदा मांगने की शिकायत तो थाने में भी हो चुकी है और निचली अदालत से उसकी जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी। एक मामला तो पकड़ में आ गया लेकिन क्या पता गांव-गांव में चंदे के लिये निकलने वाली टोलियों में और भी कुछ मामले सामने आ जायें। कांग्रेस का सवाल शायद इसी वजह से है कि बहुत से लोग धोखे का शिकार हो सकते हैं। इसीलिये कांग्रेस सरकार ने अब सीधे ट्रस्ट को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है कि चंदा लेने के लिये अधिकृत आखिर कौन है?  अपने छत्तीसगढ़ के विधायक अमितेश शुक्ल और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सही तरीका निकाला, सीधे राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ऑनलाइन रकम भेजी।

गरीब बेटियों को ऐसे शादी कराई मंत्री ने

दूरस्थ बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में हुए सामूहिक विवाह में मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम आशीर्वाद तो देकर आ गये पर इन नव दम्पतियों के साथ जो बर्ताव किया गया उसे गंभीरता से नहीं लिया। पेन्डारी गांव में गरीब परिवारों के 85 जोड़ों का विवाह हुआ। विवाह की रस्म पूरी हुई उसके बाद इन जोड़ों के लिये उपहार दिया गया। टूटी अलमारी, पेटियां उनके हिस्से में आईं। अतिथियों व नव दम्पतियों के लिये बैठने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई। भोजन इधर-उधर जगह बनाकर करना पड़ा। लोग पानी के लिये भी तरसे। महिला बाल विकास विभाग के इस आयोजन में बजट की कमी पड़ गई या कोई और बात थी, यह तो पता नहीं पर जब पंचायत प्रतिनिधियों ने इस बात की शिकायत मंत्रीजी से की तो उन्होंने भी कह दिया- जो है, सब आपके सामने है। अब ऐसा कहकर उन्होंने जिम्मेदारी किसके ऊपर डाली, उन्हें ही पता होगा।

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