राजपथ - जनपथ
स्कूल चलें हम..।
यूं तो बस, ट्रेन, मंदिर, मस्जिद और बाजार कोरोना महामारी से जूझते हुए धीरे-धीरे खुलते गये पर पटरी पर जि़दगी लौट रही है इसका एहसास तब हुआ जब स्कूलों में चहल-पहल शुरू हुई। पहले दिन स्कूलों में जैसी जबरदस्त मौजूदगी बच्चों की दिखाई दी, उसने बता दिया कि हम हर बीमारी, हर एक महामारी से दो-दो हाथ करने के लिये तैयार है पर अपने भविष्य के साथ समझौता करने के लिये नहीं। पहले दिन पढ़ाई न के बराबर हुई। बच्चों में पढऩे से ज्यादा उत्साह इस बात को लेकर था कि महीनों बाद वे अपने पुराने दोस्तों और टीचर से मिल पाये। अब दोस्तों के साथ वे खेल सकेंगे, झगड़ा कर सकेंगे। टीचर्स के साथ बार-बार सवाल कर डाउट्स क्लियर कर पायेंगे। यह सब ऑनलाइन क्लास में कहां हो पाता था?
अब इसका दूसरा पहलू यह है कि स्कूल ऐसे वक्त में खोले गये हैं जब परीक्षायें पास हैं। यानि कुछ दिनों में तैयारी के लिये छुट्टी दे दी जायेगी। निजी स्कूल संचालकों के लिये यह फायदेमंद है। इस बहाने वे पूरे साल की फीस पालकों से वसूल कर सकेंगे। पालकों के एक संगठन ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी इसी मुद्दे पर खटखटा दिया है।
सीजीपीएससी ने फिर की गलती
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का एक मामले में कीर्तिमान रहा है। वह यह कि कोई भी परीक्षा विवाद के बिना नहीं निपटी। प्राय: हर बार प्रतियोगी हाईकोर्ट चले गये। यहां तक कि सन् 2003 के मामले भी अब तक आखिरी फैसले के लिये अटके हुए हैं। कुछ ऐसा इस बार भी हो तो आश्चर्य नहीं। सीजीपीएससी ने जब नोटिफिकेशन जारी किया तो बताया गया था कि गलत जवाब देने पर 0.33 अंक माइनस मार्किंग की जायेगी। ऐसा हर बार किया जाता है। पर इस बार की प्रारंभिक परीक्षा में जब प्रश्न-पत्र प्रतियोगियों के हाथ में आया तो उसमें इस बात कोई जिक्र नहीं था। उल्टे यह लिखा था कि सभी प्रश्नों को हल करना अनिवार्य है। मतलब, जिसका जवाब पता नहीं, उसका भी जवाब दें। असमंजस में विद्यार्थियों ने सारे सवाल हल कर दिये। गलत उत्तर के नंबर कटेंगे या नहीं, यह उन्हें पता नहीं। देखें, बिना कोर्ट जाये मामला सुलझेगा या नहीं।
भू माफियाओं की मौज
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छोटे भूखंडों की बिक्री की छूट दी गई। यानि 2400 वर्गफीट से कम जमीन भी प्लाटिंग करके बेची जा सकती है। इसी आड़ में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग की जा रही है। प्रदेशभर से ऐसी शिकायतें हैं। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल वैसे तो अपने दबंग होने का एहसास कराते हैं पर इस मुद्दे पर कुछ नरम हैं। मीडिया से बात करते हुए कल उन्होंने कहा कि अवैध प्लाटिग दूसरी बात है, बेजा कब्जा अलग। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अवैध कब्जा है। सबसे ज्यादा तो मेरे विधानसभा क्षेत्र (कोरबा) में है। सालों से ये रहते आये हैं इन्हें तो हम बिजली पानी तक दे रहे हैं। इसके दो ही मायने हो सकते हैं। एक तो यह कि बेजा कब्जा करने वाले इतने ताकतवर हैं कि सरकार और प्रशासन उन्हें खाली कराने में असमर्थ है। और, यदि गरीब वर्ग के लोगों ने कब्जा कर रखा है तो उन्हें सरकारी आवास योजना का लाभ सरकार नहीं दे पा रही है।
इधर सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा कर अवैध प्लाटिंग करने का खेल ऐसा है जिसमें करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा है। राजस्व अमला इन्हें नोटिस पर नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर रहा है। मंत्री दावा करते हैं कि कार्रवाई हो रही है। बेदखली के आंकड़े तो सामने आ नहीं रहे हैं।