राजपथ - जनपथ
धान की खुली नीलामी
राज्य सरकार द्वारा खरीदे गये धान का समायोजन एक गंभीर समस्या बन गई है। केन्द्र सरकार ने पुरानी बोरियों से धान खरीदी बंद कर दी है और 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने के राज्य सरकार के आग्रह पर भी कोई नरमी नहीं है। अब सरकार ने बचे हुए धान की नीलामी करने का फैसला लिया है। जाहिर है कि यह घाटे में ही बिकेगा। सरकार शायद यह सोच रही है कि कुछ तो भरपाई हो। एफसीआई में अभी जो चावल जमा हो रहा है वह पिछले साल का है। यह करीब 20 लाख मीट्रिक टन है।
धान की खेती का छत्तीसगढ़ की इकॉनामी से सीधा रिश्ता है। चुनावी वादे के मुताबिक 2500 रुपये प्रति क्विंटल, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि मिलाकर खरीदा गया है। इसके चलते दूसरी खेती की जगह किसानों ने ज्यादा से ज्यादा उगाना शुरू किया है। पड़ोसी राज्यों से लाकर भी खपाया जा रहा है। पर इसकी खपत कहां हो यह यक्ष प्रश्न बन गया है। धान पर किये जाने वाले खर्च की वजह से स्वाभाविक तौर पर विकास के बाकी कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। मालूम हुआ है कि राज्य के बजट में कटौती भी करने की मंशा सरकार की है। सरकार ने तो धान का दाम 2500 रुपये तय कर दिया है। दिक्कतों के बावजूद वह अपने वादे को निभाने की कोशिश कर रही है क्योंकि किसानों को नाराज करने की स्थिति में वह नहीं है। यह पूरे पांच साल के लिये लिया गया फैसला है। क्या ऐसा नहीं किया जाना चाहिये कि इस बड़ी रकम का इस्तेमाल बाकी फसलों को प्रोत्साहित करने के लिये भी किया जाये, जिनकी प्रदेश और दूसरे राज्यों में मांग हो और राज्य बड़े घाटे से बच सके।
शराब की संस्कृति
मैनपाट महोत्सव में शराब का अवैध काउन्टर खोला गया। लोगों को गोवा, थाइलैंड वाली फीलिंग हुई। लोग वहां सत्यनारायण की कथा सुनने नहीं, मनोरंजन के लिये गये थे। शराब का बिकना कोई बड़ी बात नहीं। यह विचार है संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत का। मैनपाट में शराब की गैरकानूनी बिक्री को जायज बताने से अब प्रदेशभर में होने वाले दूसरे महोत्सवों के लिये रास्ता साफ हो गया है। क्या आने वाले दिनों में विकास की प्रदर्शनी दिखाये जाने वाले सरकारी काउन्टर के साथ-साथ आबकारी विभाग के काउन्टर में शराब की बिक्री भी होगी? वैसे इस संस्कृति का विस्तार जन समस्या निवारण शिविरों में भी किया जा सकता है।
मास्क जारी रखने की जरूरत
छत्तीसगढ़ देश के उन प्रदेशों में है जहां टीबी और कुष्ठ रोग के बहुत मरीज हैं। सरकार की इलाज-रणनीति के मुताबिक अब टीबी सेनेटोरियम बंद कर दिए गए हैं, लेकिन गरीब आबादी के छोटे घरों में जिन परिवारों में टीबी के मरीज रहते हैं, वहां दूसरे लोगों को भी संक्रमण का खतरा कुछ समय तक तो रहता है, बाद में मरीज के इलाज के चलते हुए यह खतरा घट जाता है।
अभी कोरोना की वजह से जिन लोगों में मास्क लगाना शुरू हुआ है, उसका एक फायदा यह भी हुआ कि टीबी या कोई और संक्रामक रोग बढऩा भी थमा है। अब जैसे-जैसे कोरोना का खतरा लोगों को कम लग रहा है, लोग मास्क हटाकर चल रहे हैं, और ऐसे में टीबी बढऩे का खतरा एक बार फिर खड़ा हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर दूसरे संगठनों ने भी कोरोना के मोर्चे पर लापरवाही के खिलाफ लोगों को सचेत किया है, कोरोना से सावधानी बरतते हुए लोग टीबी जैसे संक्रामक रोग से भी बच रहे थे, लोगों को आगे भी जहां तक हो सके मास्क का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए।
बजट के बाद का पेट्रोल
डीजल, पेट्रोल की कीमत 90-100 रुपये पहुंचने की चिंता जिन्हें खाये जा रही है, उन्हें फिलहाल ठंडी सांस लेनी चाहिये, क्योंकि आने वाले दिनों में इसकी कीमत और बढ़ रही है। एक अप्रैल से केन्द्रीय बजट में प्रस्तावित नये टैक्स लागू हो जायेंगे। इसमें पेट्रोलियम उत्पादों पर एग्री सेस लगाने का प्रावधान है। यह राशि ‘किसानों के हित’ में लगाया जा रहा है। पेट्रोल पर यह अतिरिक्त कर 2.5 रुपये तो डीजल पर 4 रुपये लगेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की माली हालत का हवाला देते हुए वैट टैक्स घटाने से मना कर ही दिया है। केन्द्र सरकार जब टैक्स और बढ़ाने में लगी हो तो कम करने का कोई संभावना है ही नहीं। हिम्मत बनाये रखें, अपने करीबियों की ढांढस भी बढ़ाते रहिये।