राजपथ - जनपथ
रुपये कमाने की मशीन बने स्मार्ट कार्डधारी
स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि हड़पने के लिये डॉक्टरों द्वारा फर्जी इलाज करने का मामला नया नहीं है। राजधानी के दो नामी दंत चिकित्सकों का पंजीयन एक साल के लिये सस्पेंड किया गया है। इन पर आरोप है कि स्मार्ट कार्ड की राशि हड़पने के लिये करीब 1400 बच्चों के दांत का गलत इलाज दिखाया। उनकी दांतों में तार लगाकर करीब 1.40 करोड़ रुपये स्मार्ट हेल्थ कार्ड से निकाल लिये गये।
इस घटना ने बरबस ही गर्भाशय कांड की याद दिला दी, जो छत्तीसगढ़ में एक नहीं दो-दो हुआ। पहली बार सन् 2012 में कैंसर का भय दिखाकर सैकड़ों महिलाओं की बच्चेदानी निकाल ली गई। दूसरी बार खुलासा हुआ कि सितम्बर 2018 से अप्रैल 2019 के बीच 3658 महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिये गये। पहली बार स्मार्ट कार्ड की राशि तो दूसरी बार आयुष्मान योजना की राशि हासिल करने के लिये लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया।
ऐसे मामलों में डॉक्टरों का लाइसेंस 8-10 माह के लिये निरस्त करने के अलावा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती है। स्मार्ट कार्ड और आयुष्मान कार्ड का इस तरह दुरुपयोग होता रहा तो बीमा कम्पनियां प्रीमियम की राशि ज्यादा लेंगीं, जो हमारे आपके टैक्स से भरा जायेगा। साथ ही लालच के चलते झूठा इलाज किया जायेगा तो मरीज की जान के साथ भी खिलवाड़ होगा। क्या सरकार ऐसे गोरखधंधे को गंभीरता से लेगी?
वाकई खराब है कानून व्यवस्था
मर्डर, ठगी, लूट की बढ़ती वारदातों को लेकर भाजपा ने जिस दिन प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, उसी दिन शहर कांग्रेस बिलासपुर के अध्यक्ष के साथ दो पढ़े लिखे लोगों ने जमकर मारपीट कर दी। इस तरह से उन्होंने भाजपा के आंदोलन को सही ठहरा दिया। मामला शहर अध्यक्ष का होने के कारण पुलिस ने तत्परता दिखाई और आरोपियों को थाने पकडक़र ले आई, जेल भी चले गये।
पर, पुलिस तो वही है जो पहले की सरकार में थी। इसलिये कांग्रेस नेताओं को अपने संघर्ष के पुराने दिन याद आ गये। ज्ञापन लेकर वे अधिकारियों के पास पहुंचे और उन्होंने कानून व्यवस्था हाथ में लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। लोग भूले नहीं होंगे पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की सरेआम शिकायत करते हुए गृह-मंत्री के सामने विधायक शैलेष पांडे थानों में रेट लिस्ट टांगने की मांग उठाई थी। वैसे भाजपा के समय तो कानून-व्यवस्था की स्थिति ज्यादा खराब रही, ऐसा मानकर चलना चाहिये, क्योंकि तब कांग्रेस भवन में घुसकर लाठियां बरसाई थी। अभी जो घटना हुई वह तो आकस्मिक और आपसी थी।
लखी, जूदेव के खालीपन को भरेगी युद्धवीर, ओपी की जोड़ी?
अपने पहले प्रवास पर पहुंचे भाजपा नेता ओपी चौधरी ने जशपुर को भाजपा के माथे का तिलक बताकर बड़ा सियासी दांव चला है। ओपी ने स्व. दिलीप सिंह जूदेव के मूंछों की दांव की याद दिलाते हुए बताया कि कैसे जोगी के शासन से मुक्ति दिलाकर जूदेव भाजपा को सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाया। जूदेव खेमे को ओपी चौधरी के इस बयान ने नये सिरे से रिचार्ज कर दिया है। 1988 के उप-चुनाव में जूदेव व अर्जुन सिंह के बीच हुए मुकाबले को याद कर चौधरी ने कहा कि वे उस समय पहली कक्षा में पढ़ते थे। अर्जुन सिंह से हारने के बाद भी जूदेव को जुलूस में रक्त तिलक लगाये जाने की खबर से उन्हें रोमांच का बोध हुआ।
यह सभी जानते हैं कि प्रदेश में जूदेव समर्थकों की खासी बड़ी फौज है। उनके निधन के बाद उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी युद्धवीर सिंह जूदेव चंद्रपुर के विधायक रहेद्य कलेक्टर की कुर्सी छोड़ राजनीति के मैदान में भाग्य आजमाने वाले ओपी ने भी उसी खरसिया से सियासत की पारी शुरू की जहां से स्व. जूदेव ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाई थीद्य
इस समय ओपी पूरे प्रदेश के दौरे में हैं। यात्रा के दौरान वे कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड रहे हैं। जशुपर का दौरा जूदेव समर्थकों में ओपी के प्रति अपनेपन का बीजारोपण कर गयाद्य
प्रदेश स्तर के किसी नेता ने दो दशक बाद नई पीढ़ी को जूदेव के मूंछों की दांव की याद दिलाई है। बिलासपुर संभाग में भाजपा की कमजोर स्थिति की एक वजह जूदेव खेमे की नाराजगी भी मानी जाती है। अब ओपी चौधरी ने जशपुर में जूदेव के योगदानों का स्मरण कराकर उनकी नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है। जूदेव समर्थक जशपुर जिले की तीन सीटों समेत रायगढ़ जांजगीर में परिणाम किस तरह से प्रभावित करने की माद्दा रखते है, शायद ओपी ने इस गहराई को समझा। उन्होंने संभवत: इसीलिये जूदेव खेमे की बढ़ती नाराजगी को दूर करने की शुरुआत की हैद्य
जूदेव समर्थकों का तो कहना है कि जिस तरह से स्व. लखीराम अग्रवाल व स्व. दिलीप सिंह जूदेव की जोड़ी ने छत्तीसगढ़ में भाजपा की जड़ों को मजबूत किया, उनके निधन के बाद रिक्त हुई जगह को औपी चौधरी और युद्धवीर सिंह जूदेव की जोड़ी भर सकती है।