राजपथ - जनपथ
19वीं शताब्दी का शाला रजिस्टर
यह गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के एक पुराने स्कूल का दाखिल-खारिज रजिस्टर है। इस रजिस्टर के पन्ने पर नजर डालने से अनेक रोचक जानकारी मिलती है। यह कि पेन्ड्रा, जो घने जंगलों से घिरा था, में 1884 में स्कूल था, संचालन जनपद पंचायत करता था। बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ते थे, क्योंकि सूची लम्बी है। यह पन्ने के पहले कॉलम में दिखाई दे रहा है। रजिस्टर में एक-एक बच्चे के पिता का व्यवसाय, स्कूल में दाखिले की तारीख, उसके दाखिले की तारीख, यदि उसने स्कूल आना बंद कर दिया है तो क्यों? दूसरे गांव पढऩे चला गया, बीमारी के कारण नहीं आ रहा। अन्यत्र पढऩे लग गया, मरवाही, कटनी जैसे कारण दर्ज किये गये हैं। यकीन है कि स्कूल चलें हम जैसे किसी अभियान के बगैर भी उस वक्त के शिक्षक हर बच्चे का दाखिला हो, न आ रहे हों तो कारण मालूम हो, इसकी कोशिश करते थे। छात्रों की चरित्रावली भी दर्ज है, उन्हें उत्तम अथवा मध्यम बनाया गया है। और सबसे बड़ी खूबी जिस अध्यापक ने यह विवरण दर्ज किया है लिखावट के सामने आज के कम्प्यूटर की लिपियां फेल दिखती हैं। इस दस्तावेज को ट्वीटर पर शेयर किया है बिलासपुर कमिश्नर डॉ. संजय अलंग ने।
ताकि लॉकडाउन लगने पर न तरसें
बीते साल कोरोना का सितम्बर, अक्टूबर में कहर टूटा था। कमोबेश फिर से वही हालात बन गये हैं। तब देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन और परिवहन सेवाओं पर प्रतिबंध के कारण अत्यावश्यक चीजों की सप्लाई में बाधा आई थी और प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद आलू, शक्कर जैसी चीजों के दाम बढ़ते जा रहे थे। इस बार सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाने, कुछ घंटे छोडक़र सामान्य तरीके से बाजार खुला रखने का आदेश दिया है। फिर भी बाजार के कुछ व्यापारियों को लगता है कि संक्रमण की रफ्तार देखकर आगे लॉकडाउन का आदेश भी निकल सकता है। इसका पहला असर पड़ा है गुटखा, तम्बाकू, सिगरेट और गुड़ाखू पर। धीरे-धीरे इसके दाम बढ़ाये जा रहे हैं। जो इसका शौक रखते हैं वे भी एहतियात बरतते हुए स्टाक जमा कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि अभी चिल्हर बिक्री पर अतिरिक्त कीमत कम जगह ही वसूली जा रही है पर थोक दाम बढऩे लगे हैं। इसकी वजह वे दूसरे राज्यों में खासकर महाराष्ट्र के शहरों में लगाये गये लॉकडाउन के चलते परिवहन बाधित होना बता रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना प्रकोप नहीं थमने के बावजूद नागपुर से आज से लॉकडाउन हटा दिया है।
अप्रैल फूल के दिन पड़ी मार
एक अप्रैल से कई नये नियम शुरू हो गये हैं। कोविड वैक्सीन 45 साल से ऊपर सभी लोगों को लगाया जाना सुनिश्चित किया गया है। चेकबुक, पेंशन, टैक्स पर भी नये नियम लागू हो गये हैं। ज्यादातर फैसले जो लागू हो रहे हैं उससे आम लोगों पर महंगाई की मार और बढऩे लगी है। बस वित्त मंत्री के इस बयान ने थोड़ी राहत दी कि स्माल सेविंग्स से ब्याज दर कम करने का फैसला वापस लिया गया है।
राजधानी के एयरपोर्ट से यात्रा करने वालों को भी आज से सीधे-सीधे पांच-सात सौ की अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी। यह सवाल तो है कि हवाई सेवा की लैंडिग चार्ज किस नाम पर लिया जाता है? उसकी वसूली भी यात्रियों से ही होती है। इसका भी शुल्क 45 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है, जो यात्रियों के ही जेब से जायेगा। यह दावा किया जा रहा था कि हवाई चप्पल वाले भी हवा में उड़ेंगे। पर महानगरों के नियमित विमानों में यह आने वाले दिनों में तो मुमकिन होता नहीं दिख रहा है। स्पेशल के नाम ट्रेन टिकटों में भी भारी वृद्धि की पहले से की जा चुकी है। यहां तक कि पैसेंजर ट्रेनों को भी स्पेशल के नाम पर चलाया जा रहा है। इस वृद्धि को लेकर एक याचिका भी हाईकोर्ट में लगाई गई है। लगता है कोरोना में घर बैठे रहने की सलाह का इसी तरह पालन कराया जायेगा।
टमाटर के बुरे दिन
स्पेन और दुनिया के कई देशों में टमाटर फेस्टिवल मनाया जाता है। उन जगहों पर टमाटर की इतनी पैदावार होती है कि होली की तरह उत्सव रखा जाता है। लगता है कि छत्तीसगढ़ में भी ऐसी कोई परम्परा शुरू करनी होगी। बीते दो माह से टमाटर के भाव इतने गिर गये हैं कि पैदा और ट्रांसपोर्ट करने की तो दूर, तोडऩे की लागत भी नहीं निकल रही है। यह बात अलग है कि बिचौलिये जिसे किसानों से एक रुपये में खरीद रहे हैं चिल्हर विक्रेता उसे दस रुपये में बेच रहे हैं। बरसों से राज्य में फूड प्रोसेंसिंग की यूनिट्स खड़ा करने की बात हो रही है पर न तो पिछली सरकार ने, न ही इस सरकार ने इस पर गंभीरता से काम किया है।