राजपथ - जनपथ
माइक्रो जोन की निगरानी कौन करेगा?
लॉकडाउन से बचने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश सुनकर लोग खुश हो रहे हैं कि चलो उनका काम-धंधा रुकेगा नहीं। मोदी जी ने कहा है कि कोरोना से निपटने के लिये कोई माइक्रो कंटेनमेन्ट जोन बनाने जैसा फैसला लिया जायेगा। इससे दो तरह की बातें निकली। एक तो कई लोगों को लगा कि मोदी जी कहीं अंतिम विकल्प को लागू करने से पहले पुचकार तो नहीं रहे? अब तो प्रवासी मजदूरों को रुके रहने या लौटने पर काम धंधे से नहीं निकालने, उनका इलाज करने, वैक्सीन लगवाने सब की जिम्मेदारी राज्यों पर उन्होंने डाल दी है और शायद अगले चरण के चुनाव प्रचार के लिये वे फिर बंगाल निकलने वाले हैं।
अब माइक्रो कंटेनमेन्ट जोन क्या है और इसे लागू करना कितना संभव है, अफसरों के बीच इस बात की चर्चा हो रही है। पिछली बार शहरों को, और फिर शहरों के भीतर इलाकों को लाल, नारंगी और हरे जोन में परिभाषित कर वहां की गतिविधियों पर पाबंदियां लगाई गई थी। माइक्रो जोन उससे भी छोटे होंगे। यानि जिस अपार्टमेंट या कॉलोनी में ज्यादा केस हैं, वहीं तालाबंदी होगी। आप इस इलाके से न जाकर दूसरे रास्ते से अपने दफ्तर, फैक्ट्री या दुकान जा सकते हैं। बीते माह पुणे जैसे शहरों में इस तरह के जोन एक हजार से ज्यादा बनाये गये थे। उसके बाद भी नये केस मिलने की रफ्तार नहीं घटी। वजह यह थी इस तरह के जोन में नियम का पालन करने के लिये नागरिकों को खुद आना है, पुलिस या प्रशासन के बस की बात नहीं है। अब भी देख रहे हैं कि दूध, सब्जी, टीकाकरण के नाम से दी गई छूट का फायदा उठाते हुए सडक़ों पर भीड़ निकल ही रही है। ऐसे मे माइक्रो कंटेनमेंट जोन का प्रयास भी विफल हो सकता है। कोरोना के केस ऐसे में तो थम नहीं पायेंगे और ऐसे में मोदी जी ने बता दिया है कि अंतिम विकल्प क्या है?
लॉकडाउन उठने की अफवाह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के कुछ घंटे बाद सोशल मीडिया पर लोग पुरानी तस्वीरें और अधिकारियों के पुराने बयानों को साझा करने लगे। यह अफवाह फैलाने की कोशिश की गई कि मोदी जी ने लॉकडाउन को लेकर आपत्ति जताई है इसलिये शहरों से लॉकडाउन खत्म कर दिया गया हैष अगले ही दिन बाजार खुल जायेंगे। सोशल मीडिया पर एक के बाद एक फारवर्ड हो रहे इस तरह के मेसैज को देखकर अधिकारियों के फोन भी घनघनाये जाने लगे। बात साफ हुई कि ये तो अफवाह है। ज्यादातर शहरों में लॉकडाउन का पहला चरण खत्म हो चुका है और बढ़ाई गई अवधि में अब भी यह जारी है। वैसे प्रशासनिक आदेश में कहीं पर भी लॉकडाउन शब्द का जिक्र नहीं है। शहर और जिले कंटेनमेन्ट जोन ही घोषित किये गये हैं।
खान-पान स्टाल चलाने वालों की मौज
देशभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ट्रेनों का आवागमन जारी है। इन दिनों घरों को लौट रहे श्रमिकों की भीड़ भी स्टेशनों पर पहुंच रही है। लम्बे समय से बंद किये गये फूड स्टाल और रेस्टोरेन्ट भी अब रेलवे ने खोल दिये हैं। यहां से बंद खाना पैकेट और पानी की बिक्री शुरू की गई है। इसके ज्यादातर खरीददार मजदूर वर्ग के लोग ही हैं। आईआरसीटीसी और प्राइवेट वेंडर्स के खिलाफ खाना और पानी अधिक कीमत पर बेचने, बासी खाना देने की शिकायत आम रही है। जब भी फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा, कोई न कोई गड़बड़ी उन्होंने पकड़ी है और जुर्माना भी किया । पर इन दिनों खाना पानी बेचने वाले वेंडर सुकून का अनुभव कर रहे हैं। कोरोना के डर से जांच करने वाले अधिकारी घरों से निकल नहीं रहे हैं। वेंडर न तो रेट लिस्ट टांग रहे हैं न पैकेट में दाम लिख रहे हैं। यहां तक कि पैकिंग कब की गई यह भी नहीं बता रहे हैं। यात्रियों से ज्यादा कीमत भी ली जा रही है और बासी खाना भी खपाया जा रहा है।