राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न्यूज चैनल आज शाम से नहीं डरायेंगे..
29-Apr-2021 5:15 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न्यूज चैनल आज शाम से नहीं डरायेंगे..

न्यूज चैनल आज शाम से नहीं डरायेंगे..

आज शाम 6 बजे से कोरोना से आपको राहत मिलने लगेगी। जी, ठीक ही फरमा रहे हैं। कोरोना को लेकर जितनी दहशत हो रही है वह न्यूज चैनल और सोशल मीडिया की वजह से ही तो है। और आज शाम 6 बजे से विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल के अलावा उनमें कुछ दिखाई नहीं देगा। यह अलग बात है कि परिजन वैसे ही रेमडेसिविर के लिये कतार में होंगे,  मरीज ऑक्सीजन के बगैर दम तोड़ रहे होंगे और श्मशान घाटों पर लाशों को जलाने के लिये टोकन बंट रहे होंगे। पर चुनाव नतीजों से बढक़र तो नहीं। न्यूज चैनल कभी हमें दुख के सागर में गोते लगवाते हैं, कभी भक्तिभाव से ओत-प्रोत कर देते हैं, कभी एक को दूसरे के खिलाफ भडक़ाकर खून खौला देते हैं। पांच राज्यों खासकर पश्चिम बंगाल में क्या होता है इस जिज्ञासा में दर्शक आज शाम से ऐसे उलझेंगे कि दो तीन दिन तो भूल ही जाने वाले हैं कि महामारी क्या है कोरोना किस बला का नाम है। 

वैक्सीन का सौदा कितने में होगा?

अपने देश में मोल-भाव के बिना कोई सौदा पक्का होता है क्या? दुकानदार कीमत ऊंची करके इसीलिये बताता है क्योंकि उसे अंदाजा होता है कि मोलभाव होगा। उसको तो तुम एक शीशी 150 रुपये में दे रहे हो, हमें 400 में क्यों?  इतनी मुनाफाखोरी? जरूरत आ पड़ी है तो कुछ भी रेट लगाओगे? 

केन्द्र की ओर से तो कोई जवाब नहीं आ रहा है। उसे तो 150 में मिल गया। वैक्सीन का उत्पादन करने के लिये केन्द्र से आर्थिक सहायता मिली है तो उसे तो सस्ते में लेने का हक है। पर केन्द्र ने सिर्फ अपने स्टोर के लिये मांगी। राज्यों को कह दिया, खुद ही पक्का कर लो। अब छत्तीसगढ़ जैसे राज्य की स्थिति यह है कि कि ऑर्डर देने के बाद सीरम से जवाब भी नहीं आ रहा है कि कब से वैक्सीन की आपूर्ति शुरू होगी। जैसा कि होता आया है फैसले केन्द्र लेती है अमल करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होती है। पहले लॉकडाउन के समय से ही यही दिखाई दे रहा है। एक मई से वैक्सीन लगाने का निर्णय भी कुछ ऐसा ही है। इधर वैक्सीन की अलग-अलग दाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछ लिया है। बिना बातचीत शुरू हुए ही 100 रुपये कीमत घटा दी गई है। पर एक राष्ट्र, एक दाम की मांग हो रही है। इस पर केन्द्र से जवाब आना चाहिये जो छत्तीसगढ़ को नहीं मिल रहा है। ऐसे राज्य में जहां कोरोना एक बड़ी चुनौती हो, वैक्सीन न्यूनतम कीमत पर तो मिलनी ही चाहिये।

एम्बुलेंस के भाड़े पर लगाम

जिसके हिस्से जो बन पड़ रहा है कोरोना पीडि़तों की मदद करने में लगा हुआ है। पर इस दौरान जिनका व्यवसाय चमक उठा है उनमें टैक्सी वाले भी हैं। बीमार को अस्पताल ले जाना हो, वहां से डायग्नोस्टिस सेंटर ले जाना हो, तबियत ठीक होने पर घर लाना हो या मौत हो जाने पर श्मशान गृह ले जाना हो, हर किसी को एम्बुलेंस की जरूरत पड़ रही है। मजबूरी को देखते हुए कई टैक्सी चालकों ने अनाप-शनाप किराया वसूल करना शुरू कर दिया है। शिकायतें ज्यादा आने लगी तो रायपुर कलेक्टर ने टैक्सी का भाड़ा तय कर दिया। यह निर्धारण सामान्य दिनों में प्रचलित भाड़े से ज्यादा ही है, पर बहुत अधिक नहीं। आदेश रायपुर कलेक्टर की ओर से जारी हुआ जो सिर्फ रायपुर के लिये है। अस्पतालों के बिल की तरह यह भी जरूरी खर्च है जो हर मरीज या उसके परिजन के सिर पर आता है। हो सकता है आदेश के बाद टैक्सी भाड़े पर रायपुर में थोड़ी लगाम लग जाये पर बाकी जिलों का क्या? अब तो लगभग हर जिले में कोविड केयर सेंटर हैं। परिवहन विभाग से पूरे राज्य के लिये आदेश जारी हो तो बात बने।

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