राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कोरोना सेंटर में कम्पीटिशन की तैयारी
30-Apr-2021 5:47 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कोरोना सेंटर में कम्पीटिशन की तैयारी

कोरोना सेंटर में कम्पीटिशन की तैयारी

कोविड वैक्सीनेशन कराते हुए फोटो खिंचवाना फिर उसे सोशल मीडिया पार डालना, आम बात हो गई है। अब इस पर वाहवाही नहीं मिलती। लोगों का ध्यान खींचने के लिये अलग करना पड़ रहा है। जैसे कोई मातृत्व अवकाश लेने के बजाय सडक़ पर ड्यूटी लगे, जैसे गोद में नवजात को लिये दफ्तर आ जायें। यानि, तस्वीरें इस तरह से भी ली जानी चाहिये मानो आप तस्वीर लेने और वायरल किये जाने से अनजान हैं। ऐसी तस्वीरों की कुछ लोगों की आलोचना झेलनी पड़ती है पर ज्यादातर तारीफ तो हजारों लोग करते हैं। कोविड सेंटर में एक प्रतियोगी युवा किताबें लेकर पहुंच गया है। वह पढ़ाई का मौका नहीं गंवाना चाह रहा है। इस तस्वीर की तारीफ में तो बहुत से टिप्पणियां हैं पर कई लोगों को यह ‘नाटक’ भी लग रहा है। वे कहते हैं पढ़ाकू हैं तो अच्छी बात है पर जहां कोरोना के लिये एक-एक बिस्तर के अभाव में लोगों की जान जा रही है, बेड को ऐसे घेरकर रखना नहीं चाहिये। हालत ठीक है तो घर पर जाकर सेहत सुधार लें। एक ने कहा कि पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिये। वैसे तस्वीर छत्तीसगढ़ की नहीं। झारखंड की हो सकती है क्योंकि वहीं के एक राज्य प्रशासनिक अधिकारी के पेज पर यह मिली है। 

वेंटिलेटर बेड पर आंकड़े और हकीकत

हाईकोर्ट के कर्मचारियों और उनके परिवारों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर हासिल करने में बड़ी दिक्कत जा रही है। इसके चलते हाईकोर्ट प्रशासन ने एक नोडल अधिकारी के साथ टीम बना दी है जो बेड मिलने में विलम्ब के कारण इलाज में हो रही दिक्कत की समस्या प्रशासन के साथ तालमेल बिठाकर दूर करेगी।

जिसने भी सरकार का वह दावा सुना, भौचक्का रह गया था। वे कौन काबिल अधिकारी थे जिन्होंने अदालत में जवाब भेजा था कि राज्य में कोविड मरीजों के लिये वेंटिलेटर, ऑक्सीजन बेड और नर्सिंग बेड की कोई कमी नहीं है। कल ही कोरोना से जूझ रहे एक आईएएस के परिवार की महिला सदस्य की मौत हो गई और उनके पति अभी भी कोरोना से अस्पताल में कोरोना से संघर्ष कर रहे हैं। घंटों इधर-उधर फोन घनघनाने के बाद भी उन्हें वेंटिलेटर बेड नहीं मिल पा रहे थे। बेड मिली तब तक काफी देर हो चुकी थी। कई नेता, अधिकारी और वकीलों से बात करें तो पता चलता है कि उनका कोई न कोई करीबी इस समय वेंटिलेटर की कमी का शिकार हो चुका है। फाइलों में महामारी के मौसम को तो गुलाबी बताया जा रहा है। मगर वेंटिलेटर के अभाव में हो रही मौतों को देखकर कह सकते हैं कि ये आंकड़े झूठे और दावे किताबी हैं।

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