राजपथ - जनपथ
दूध बहाया, लौकी फेंकी किसानों ने...
अप्रैल महीने के मध्य से प्रदेश के ज्यादातर जिलों में लॉकडाउन का निर्णय लिया गया तो इस बात का ध्यान रखा गया कि किसानों और दुग्ध व्यवसाय करने वालों को परेशानी न हो। इन दोनों की हर घर में जरूरत होती है और इनके पास न तो कोल्ड स्टोरेज है न रेफ्रिजरेटर जो अपना उत्पाद लॉकडाउन खुलने तक सुरक्षित रख सकें। इधर जांजगीर-चांपा जिले में कुछ ज्यादा ही कड़ाई बरती गई है। बाकी जिलों की तरह यहां डेयरी शॉप को सुबह और शाम सीमित अवधि के लिए भी खोलने की इजाजत नहीं दी गई है। इन्हें सिर्फ घर-घर जाकर दूध बेचने की अनुमति दी गई है। दूसरे जिलों में दूध विक्रेता अपने ग्राहकों को देने के अलावा दुग्ध पार्लर में दूध दे देते हैं जो सुबह और शाम प्रशासन की इजाजत से खोलकर बिक्री करते हैं। जांजगीर-चाम्पा जिला मुख्यालय में करीब 5 हजार लीटर दूध रोजाना आता है। दूध विक्रेताओं ने प्रशासन से गुहार लगाई कि दुग्ध पार्लर को खोलने और उन्हें वहां दूध खपाने की अनुमति दी जाए लेकिन बात नहीं बनी। प्रशासन से नाराज दूध विक्रेताओं ने हजारों लीटर दूध बीते रविवार को सडक़ों पर बहा दिया।
कुछ इसी तरह का निर्देश स्थानीय सब्जी उत्पादकों के लिए है। यह जांजगीर के अलावा अन्य जिलों में भी दिखाई दे रहा है। इन्हें साइकिल, ठेले या रिक्शे पर घूम-घूम कर सब्जियां बेचने की इजाजत तो है पर थोक मंडी में नहीं बेच सकते। दूसरी ओर बाहर से आने वाले किराना और जनरल सामानों की थोक बाजार में लोडिंग अनलोडिंग हो रही है। रतनपुर के पास सेंदरी ग्राम में किसानों ने अपने खेतों से लौकी उखाडक़र सडक़ पर फेंक दी क्योंकि पैदावार बहुत है मगर खरीददार नहीं।
ज्यादातर जिलों से खबर आ रही है कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाएगी। व्यवसावी वर्ग ने लंबे लॉकडाउन के खिलाफ में आवाज उठाई है। उनकी चिंता इसी तरह का छोटा व्यापार करने वालों की रोजी से जुड़ी है। अभी प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती संक्रमण की चेन को तोडऩा है। देखना होगा कि क्या कोई बीच का रास्ता निकलेगा?
कोरोना से बचाने की नई दुकान नहीं चली...
कोरोना महामारी से बचाव के लिए विज्ञान सम्मत बातों के बीच अंधविश्वास भी अपनी जगह बनाने लग गया है। बेमेतरा जिले के मोहलाई गांव में एक युवक ने अफवाह फैला दी कि फलां हेंडपम्प का पानी अमृत है, जिसे पी लेने से कोरोना वायरस पास नहीं फटकेगा। गांव वालों ने उसकी बात का यकीन भी कर लिया और लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचकर पानी पीने लगे। बात सिटी कोतवाली पुलिस के पास पहुंची। पुलिस ने सूचना एसडीएम और तमाम आला अधिकारियों को दी। सारे अधिकारी रहस्य जानने गांव पहुंच गए। मालूम हुआ कि गांव का ही एक युवक लोगों को एक संत का आशीर्वाद बताकर झांसा दे रहा था। मौके पर ही उसे महामारी के दौरान भीड़ इक_ी करने और अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
मनगढ़ंत दावों को सत्य के रूप में स्थापित करना आसान काम नहीं है यह शायद उस युवक को मालूम नहीं था। ऐसा करने के लिए बड़ा बाबा होना, बड़ा चैनल और बड़े पहुंच की जरूरत पड़ती है।
300 शादियों पर रोक लगाई लॉकडाउन ने
कुछ दिन पहले रामनवमी पर बहुत शादियां हुईं। कोरोना गाइडलाइन की सख्ती के साथ। पर अब अक्षय तृतीया पर कई जिलों में यह भी मुमकिन नहीं है। यह दोनों तिथियां ऐसी हैं जिनमें शादियों का मुहूर्त अलग से नहीं ढूंढा जाता, विवाह कर लिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में वर्षों से इसकी परम्परा है। अक्षय तृतीया पर तो गैरकानूनी बाल विवाह भी होते हैं।
राज्य में जिस तरह से संक्रमण के मामलों में खास सुधार नहीं है लॉक डाउन का आगे ज्यादातर जिलों में विस्तार होने की जानकारी मिल रही है। केंद्र ने भी राज्यों को सलाह दी है कि 10-12 दिन का सख्त लॉकडाउन लगाया जाए। कोरबा जिले में तो 17 मई तक लॉकडाउन लगने के पूरे आसार हैं क्योंकि प्रशासन ने इस तारीख तक शादियों के लिए दी गई सारी अनुमति रद्द कर दी है। पहले 50 फिर उसके बाद 10 लोगों की मौजूदगी में विवाह समारोह घरों पर रखने की इजाजत दी गई थी, मगर करीब 300 शादियों की अनुमति रद्द कर दी गई है। कोरोना वायरस कितना निर्मम है। मौतें घरों को तो उजाड़ ही रही हैं, लोग घर बसाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं।