राजपथ - जनपथ
कुत्तों की तरह गाडिय़ों को भी टहलाने का काम
कोरोना लॉकडाउन के चलते हुए कई अलग किस्म की दिक्कतें सामने आ रही हैं। लोग खुद को सुरक्षित रखने घरों में कैद हैं, तो उनकी गाडिय़ां भी घर में धूल खा रही है। जिसके कारण गाडिय़ों की बैटरी डाउन हो रही है और बैटरी चार्ज करने वाली दुकानें भी बंद है। ऐसे में लोगों के सामने खुद को और गाडिय़ों को भी सुरक्षित रखने की चुनौती है। कुछ लोग समझदारी दिखाते हैं, जो रोज सुबह कुत्ता टहलाने के अंदाज में गाडिय़ों को टहलाने निकलते हैं। 2-4 किलोमीटर का एक चक्कर लगा रहे हैं। ऐसा करने से जैसे कुत्ते की सेहत ठीक रहती है वैसे ही गाडिय़ां भी दुरूस्त रहती है। ऐसा करने वालों अपनी गाडिय़ों को दूसरे संभावित खतरे से बचा रहे हैं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण चाय ठेले और छोटे होटल भी पूरी तरह से बंद हैं, जिसके कारण वहां की जूठन से पलने वाले चूहों की बड़ी फौज रिहायशी इलाकों में खाने की तलाश में भटक रहे हैं। कई जगहों पर चूहों ने कार और दूसरी गाडिय़ों को अपना ठिकाना बना लिया है और वे गाडिय़ों के तार और सीटों को कुतर रहे हैं। इसलिए उनकी गाडिय़ों की सेहत तो ठीक है जो रोज टहलाने निकल रहे हैं या फिर गाडिय़ों को हिला-डुला रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं करने वाले जब गाड़ी का उपयोग शुरु करेंगे तो जरूर उनके सामने कई तरह की चुनौती होगी।
दवाइयों की महंगी कीमत से गरीब की आह
करोना महामारी के चलते अस्पतालों या बड़े डॉक्टरों के खिलाफ बहुत से लोगों की नाराजगी देखने को मिल रही है। दरअसल, वे कई ऐसी दवाइयां लिख रहे हैं, जो केवल उन्ही के अस्पताल के मेडिकल स्टोर में मिल रहे हैं। जबकि दूसरे ब्रांड की वही दवाइयां बाजार में सस्ते दामों में उपलब्ध है, लेकिन मरीज की मजबूरी होती है कि वे वही कंपनियों के दवाइ ले जो डॉक्टर ने लिखी है। इसी तरह महामारी के इस दौर में ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर के दाम भी आसमान छू रहे हैं, क्योंकि उनकी भारी डिमांड है। मेडिकल स्टोर वाले भी ऐसे सामानों को रखने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं, जिनकी कीमत ज्यादा हो, ताकि वो ज्यादा मुनाफा कमा सकें। लेकिन आज जब बाजार चारों तरफ बंद है और सामान कम बिक रहे हैं, उस हालत में भी दवाइयों की बिक्री पहले से कई गुना बढ़ चुकी है और अधिकतम बिक्री मूल्य किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है। इसलिए गरीबों के लिए दवाइयां पहुंच से बाहर हो रही हैं और उनके दिल से बड़े अस्पतालों में बड़े डॉक्टरों या महंगी दवाइयों के खिलाफ आह निकल रही है।
मुफ्त राशन और वैक्सीनेशन
हाईकोर्ट ने 18 प्लस वालों को वैक्सीनेशन के मामले में राज्य सरकार को नई पॉलिसी बनाने के लिए कह दिया है। वरना कोरबा जिले के कई सोसायटियों से अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को राशन ही नहीं मिल पाता। हुआ यह कि बालको नगर इलाके के लालपाट में अंत्योदय टीकाकरण केंद्र का उद्घाटन था। मगर इस ऑनलाइन कार्यक्रम में कोई पहुंचा ही नहीं। नाराज फूड विभाग ने राशन दुकानदारों के लिए फरमान जारी कर दिया कि जो वैक्सीन लगवाएगा, उसी को राशन मिलेगा। मई और जून महीने का पीडीएस राशन बीपीएल परिवारों को मुफ्त दिया जाना है। पर उन्हें पहले वैक्सीन लगवाने कहा गया। कोरबा शहर और कुछ ग्रामीण इलाकों से ऐसी शिकायत आ रही थी।
इसी जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी कर दिया। उन्होंने आदेश दिया कि कोरोना के इलाज के लिए दूसरे जिले से आने वाले मरीजों को बिना कलेक्टर के आदेश के किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाएगा। नजदीकी जांजगीर-चांपा जिले में कोरबा के मुकाबले स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम है। सीएमएचओ के इस फरमान से इस जिले के मरीजों को बड़ी परेशानी होने लगी। विधायक सौरभ सिंह इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट चले आए। अब हाईकोर्ट ने भी इस फरमान को गलत बताया और सीएमएचओ को फटकार लगाई। अब वहां अन्त्योदय कार्डधारकों के मुफ्त राशन का संकट भी नहीं और न ही दूसरे जिले के मरीजों को भर्ती होने से रोका जा सकेगा।
यह सही है कि टीकाकरण और कोविड मरीजों के इलाज को लेकर प्रशासन और विशेषकर स्वास्थ विभाग काफी दबाव में है। इसके बावजूद आदेश तो कानून के दायरे में रहकर ही निकालना होगा?
लॉकडाउन का शपथ समारोह
यह अलग तरह का समारोह था, जिसमें कोई टेंट-पंडाल, स्वल्पाहारा नहीं था। न अतिथि थे, न भीड़ थी। छत्तीसगढ़ शासन ने पेंड्रा नगर पंचायत में ओमप्रकाश बंका को एल्डरमैन बनाया है। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते किसी तरह का समारोह वर्जित है लेकिन उनका शपथ लेना भी जरूरी था। शपथ दिलाने वाले अधिकारी हर वक्त टीकाकरण और मरीजों के इलाज से जुड़े काम में व्यस्त हैं। तब गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के एसडीएम ने बंका को ड्यूटी के दौरान ही रास्ते में रुक कर शपथ दिला दी। नगर पंचायत अध्यक्ष सहित चार लोगों की सोशल डिस्टेंस के साथ उपस्थिति में। खास बात यह भी रही कि बंका ने पद और गोपनीयता के अलावा कोविड टीकाकरण के लिए लोगों के बीच जागरूकता लाने का भी प्रण लिया है।
एक ही दिन में 7 हजार केस!
कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा वैसे तो लगातार अपडेट किया जाना है पर ज्यादातर जिलों में ऐसा हो नहीं रहा है। सुविधानुसार आगे-पीछे की तारीखों में जोड़ लिये जाते हैं। संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में एक दुर्ग में ऐसी ही एक घटना सामने आई है । 2 मई को जहां सक्रिय मरीजों की संख्या करीब 4 हजार थी तो एक ही दिन बाद 3 मई को यह बढक़र 11 हजार से अधिक हो गई। एक ही दिन में अचानक 7 हजार नये मामले आने की पड़ताल की गई तो पता चला कि निजी अस्पतालों का डेटा कई-कई दिन तक अपलोड नहीं किया जा रहा था, खास करके आरटी पीसीआर टेस्ट का डेटा। मालूम तो यह भी हुआ है कि जब एक दिन में दुर्ग में संक्रमण के मामले दो हजार के आसपास जाने लगे तो निजी लैब और अस्पतालों से मिलने वाले आंकड़ों को दर्ज करना बंद कर दिया गया था। कोशिश ये थी कि आने वाले दिनों में जब मरीज कम होंगे, तब यह समायोजित कर दिया जाएगा। पर ऐसा हो नहीं रहा। और आखिरकार रुकी हुई नामों को भी सूची में दिखाना पड़ा।