राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंत्येष्टि में जाने के लिये तैयार रहें..
13-May-2021 5:34 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंत्येष्टि में जाने के लिये तैयार रहें..

अंत्येष्टि में जाने के लिये तैयार रहें..

विभिन्न जिलों में लॉकडाउन को लेकर जो सरकारी आदेश जारी होते हैं उसे वैसे पढऩे की जरूरत नहीं पड़ती है। मोटी-मोटी बातें तो पहले से ही फ्लैश हो जाती हैं। पर अगर आप फुर्सत में हैं और पूरा आदेश पढऩे लग जाएं तो सिर घूम सकता है और जिन बाबुओं ने आदेश बनाया उनको दाद दे सकते हैं। अब कोरबा जिले से जारी इसी आदेश को देखिए। इसमें लिखा है कि अंत्येष्टि के कार्यक्रम में 10 से अधिक लोगों की उपस्थिति प्रतिबंधित रहेगी। और, इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति को दो दिन पहले का आरटीपीसीआर कोरोनावायरस टेस्ट निगेटिव सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा।

विवाह समारोह तो चलिए दो-चार दिन पहले मालूम हो सकता है, लेकिन किसकी अंत्येष्टि में जाना है इस आदेश के मुताबिक वह भी आपको 2 दिन पहले मालूम होना चाहिये। दूसरा रास्ता यह है कि अंत्येष्टि में आप जाने के लिए आमादा ही हैं, तो अंतिम यात्रा दो दिन बाद निकालनी होगी।

आपदा में एक ऐसा भी अवसर

शराब दुकान में होने वाली बिक्री की रकम जमा करने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग ने प्राइवेट एजेंसियों को दे रखी है। एजेंसियां सुपरवाइजर के माध्यम से बैंकों में राशि जमा कराती हैं, शराब बिकती रहती है, पैसे आते रहते हैं, बैंकों में जमा होता रहता है। बीच-बीच में हिसाब हो जाता है। सब रूटीन में चलता रहता है। लेकिन, अभी लॉकडाउन में जब दुकानें बंद हो गई और ऑनलाइन बिक्री की तैयारी शुरू हुई तो खैरागढ़ की दुकान से घपला निकल गया। हिसाब लगाया गया तो पता चला कि बैंक में 32 लाख  रूपये कम जमा हुए हैं। कंपनी के एक कर्मचारी ने रुपये तो दुकान से उठा लिए, पर उसे बैंक में जमा करने के बजाए ब्याज पर लोगों को दे दिया। अब वह रकम ब्याज में घूम रही है। रकम लौटाने के नाम पर उसने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। अलबत्ता ब्याज पर रकम चढ़ाने वाले कर्मचारी के खिलाफ खैरागढ़ की पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर ली है। आबकारी विभाग निश्चिन्त है क्योंकि उसे पैसा तो एजेंसी से लेना है। आपस में निपटें कर्मचारी और एजेंसी वाले।

लॉकडाउन की खरीदारी

किराना दुकानों को खोलने के लिए इजाजत लॉकडाउन में सिर्फ इतने के लिए है कि दुकानदार फोन से आर्डर लेकर होम डिलीवरी का सामान बाहर निकाल सकें। लेकिन यह व्यवहार में अमल में लाया जा सकता है या नहीं, इस सिपाही की तस्वीर को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। हो सकता है उसे घर के लिये जरूरी सामान लेकर जाना हो। राशन खत्म हो गया हो। हो सकता है कुछ तलब ही लग गई हो। इतनी छूट देने में हर्ज क्या है। आखिर, दुकान में भीड़ नहीं है, मास्क भी पहन रखा है। सब ऐसे अनुशासित खरीदी करें तो लॉकडाउन की जरूरत ही क्यों पड़े? (फोटो-सुनील शर्मा/फेसबुक)

खाद के बढ़े दाम की भरपाई के लिये

महामारी की तकलीफ भुलाने के लिये आरएसएस-भाजपा ने सकारात्मक कैम्पेन चलाने की योजना बनाई है। इसका एक तरीका यह भी है कि कोई दूसरी बड़ा बोझ आपके सिर पर आ जाये। पेट्रोल के दाम में जिस तरह एकाएक दुबारा तेजी आई है वह आपको कोरोना से हटकर सोचने पर मजबूर कर सकता है। कृषि पर निर्भर छत्तीसगढ़ में किसान खाद के दाम डेढ़ गुना बढ़ जाने से ज्यादा चिंतित हो गये हैं। इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कारपोरेशन इफ्को ने उर्वरक और खाद के दाम 58 फीसदी बढ़ा दिये। जो डीएपी 12 सौ में एक बैग मिल जाता था वह 19 सौ रुपये पहुंच गया। इसी तरह से कृभको, एनसीएफएल, जुआरी, प्रदीप फास्फेट्स, चंबल फर्टिलाइजर, आदि सभी पॉपुलर फर्टिलाइजर कंपनियों ने खाद के दाम बेतहाशा बढ़ा दिये हैं। लॉकडाउन में फंसे हैं इसलिये आप सडक़ पर उतर नहीं सकते, हालांकि पहले के अनुभवों से कहा जा सकता है कि उतरने से भी कुछ फर्क नहीं पडऩे वाला है। अब किसान मांग कर रहे हैं कि दिल्ली सरकार कम से कम किसान सम्मान निधि की रकम उनके खाते में डाल दे, खाद और डीजल की बढ़ी कीमत की थोड़ी भरपाई तो हो जायेगी। ऐसा नहीं होना चाहिये कि खाद, डीजल से वसूली आज हो, सम्मान निधि के नाम पर रकम कल लौटाई जाये।

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