राजपथ - जनपथ
बुरे सम्बन्ध ऐसे ही वक्त
सूरजपुर कलेक्टर रणबीर शर्मा ने दवाई खरीदने जा रहे युवक पर हाथ छोड़ा, तो सोशल मीडिया में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई, और देशभर से कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की आवाजें उठने लगी। सरकार ने भी बिना देरी किए कलेक्टर को हटाकर मामले को शांत करने की कोशिश की है।
कलेक्टर ने माफी भी मांगी है, और सफाई भी दी कि पीडि़त किशोर नाबालिग नहीं था, और 22-23 साल का है। फिर भी सार्वजनिक तौर पर पिटाई करने पर विशेष तौर पर स्थानीय लोग काफी खफा हैं। बताते हैं कि कुछ दिन पहले भी कलेक्टर ने एक युवक पर हाथ छोड़ दिया था, लेकिन तब किसी ने कुछ नहीं कहा। सूरजपुर नया जिला जरूर है, खनिज-संपदा से भरपूर होने की वजह से काफी संपन्न माना जाता है।
आदिवासी बाहुल्य सूरजपुर में वैश्य तबके के लोगों का काफी दबदबा है। सुनते हंै कि जिला प्रशासन की तरफ से रेडक्रास सोसायटी में पैसा देने के लिए व्यापारियों पर काफी दबाव भी था। यही नहीं, एक अभियान चलाकर डेढ़ दर्जन से अधिक क्रेशर बंद कर दिए गए थे। इन सब वजहों से व्यापार जगत में कलेक्टर के खिलाफ माहौल था, और जब युवक की पिटाई का मामला सामने आया, तो सब कलेक्टर के खिलाफ एकजुट हो गए, और फिर अपने-अपने ढंग से हिसाब चुकता किया।
रमन सिंह का थाने जाना टल गया
पूर्व सीएम रमन सिंह के खिलाफ टूलकिट मामले में केस दर्ज होने के बाद सियासी घमासान चल रहा है। पहले रमन सिंह अकेले गिरफ्तारी देना चाहते थे, लेकिन प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी ने उन्हें मना कर दिया। प्रदेश प्रभारी इस केस के जरिए सारे नेताओं को एक मंच में लाना चाहती थीं। इसी बीच पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का सुझाव आया कि सभी जिले में पांच-पांच प्रमुख नेता थाने जाकर गिरफ्तारी दें।
अजय का सुझाव सबने पसंद किया, और फिर सभी जिलों में गिरफ्तारी देने वाले पांच बड़े नेताओं की सूची तैयार की गई। इसके बाद सभी नेता अपने-अपने जिले के थाने में जाकर धरने पर बैठे। किसी भी जिले में गिरफ्तारी नहीं हुई। वजह यह थी कि टूलकिट केस में उनके खिलाफ कोई नामजद रिपोर्ट नहीं थी। खैर, सभी नेता थाने में दो घंटे धरने पर बैठने के बाद लौट आए।
दूसरी तरफ, रमन सिंह भी सिविल लाइन थाने जाने वाले थे, लेकिन एक रात पहले ही उन्हें थाने से नोटिस मिल गई कि पुलिस अमला खुद 24 तारीख को उनके घर जाकर पूछताछ करेगा। अंदर की खबर यह है कि पूर्व सीएम के सुरक्षा अधिकारी भी कोरोना के बीच उनके थाने जाने के पक्ष में नहीं थे। फिर क्या था आईजी से बात हुई, और आनन-फानन में नोटिस टाइप किया गया। इसके बाद फिर रमन सिंह का थाने जाना टल गया।
कांग्रेस चुनावी मोड में?
सरकार के कार्यकाल को ढाई साल बचे हैं, और कांग्रेस अभी से चुनावी मोड में आ गई है। दाऊजी खुद दो बार संचार विभाग की बैठक ले चुके हैं। दो दिन पहले हुई बैठक में दाऊजी के साथ चार मंत्री भी थे। बैठक का लब्बोलुआब यह रहा कि कांग्रेस आने वाले दिनों में मोदी सरकार-भाजपा पर हमले तेज करेगी।
बैठक में लालबत्तीधारी एक नेता ने नसीहत दे दी कि सबको नम्रता से अपनी बात रखनी है। इस पर दाऊजी ने उन्हें कहा कि नम्रता का लबादा आप ओढ़े रहिए, युवा अपनी बात पूरी आक्रामकता से रखेंगे। एक अन्य सदस्य ने सुझाव दिया कि यूपीए सरकार के कार्यों को जनता के सामने रखना चाहिए। इसकी सभी ने सराहना की। एक युवा सदस्य ने शिकायती लहजे में विभाग से जुड़ी कुछ समस्याओं का जिक्र किया, तो दाऊजी ने उन्हें टोका, और सलाह दी कि वे सबसे छोटे हैं, और उन्हें सबसे सीखना चाहिए।
राजीव पुण्यतिथि फीकी
राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर सरकार ने न्याय योजना की एक किश्त जारी कर किसानों को बड़ी सौगात दी। मगर हाईकमान के निर्देश के बाद भी संगठन का पुण्यतिथि का कार्यक्रम एकदम फीका रहा। ले देकर राजीव गांधी पुण्यतिथि के मौके पर श्रद्धांजलि देने कुल 13 लोग ही पीसीसी दफ्तर पहुंचे थे। जबकि मंत्री-विधायक समेत रायपुर के ही एक दर्जन से अधिक लालबत्तीधारी नेता हैं। बड़े नेताओं में एकमात्र किरणमयी नायक ने ही उपस्थिति दर्ज कराई। बाकी नेता गायब रहे। आम तौर पर पीसीसी में राजीव गांधी की जयंती, और पुण्यतिथि के मौके पर बड़े स्तर पर कार्यक्रम होते हैं। इस बार पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम अपने क्षेत्र में थे। बाकियों ने संगठन के बजाय सरकार के कार्यक्रम में वर्चुअल मौजूद रहना बेहतर समझा।
छत्तीसगढ़ में भी नकली रेमडेसिविर!
मध्यप्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबरें आने के बाद आशंका तो थी कि छत्तीसगढ़ में भी इसे खपाया गया होगा, पर अब स्वास्थ्य विभाग में ही संलग्न संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर ने खुलकर आरोप ही लगा दिया है। वे कह रहे हैं कि खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में अप्रैल महीने के आखिरी हफ्ते तक, जब तक एमपी में रेड नहीं पड़ी थी यहां हजारों नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपा दिये गये। रायपुर से जिस एजेंसी ने रेमडेसिविर की सप्लाई के लिए सूरत की कंपनी को ऑर्डर किया था, वह वही है जिसके तार मध्यप्रदेश के रैकेट से जुड़े हैं। एमपी की जांच एजेंसियों को छत्तीसगढ़ में सप्लाई का पता नहीं चला है पर चंद्राकर का दावा है कि एक मई को मामला उजागर होने से पहले तक अधिकारियों की मिलीभगत से निजी अस्पतालों के जरिए नकली रेमडेसिविर खपाये गये ।
आरोप विपक्ष की ओर से नहीं है। सत्तारूढ़ दल के विधायक का है। उनका, जो स्वास्थ्य विभाग से ही जुड़े हैं। मामला महामारी का भी है। सप्लाई का जो समय बताया जा रहा है उस दौरान रेमडेसिविर की भारी मांग थी। कई लोग कालाबाजारी करते हुए पकड़े भी गये। इसी दौरान कोरोना पीडि़त मरीजों की एक के बाद एक मौतें भी हुईं। आरोपों को गंभीरता से लेने की जरूरत तो है।
सोशल मीडिया की ताकत..
सूरजपुर में कलेक्टरी का ताप दिखाने के बाद हटाए गए आईएएस रणबीर शर्मा के बुरे बर्ताव की आईएएस एसोसिएशन ने कड़ी निंदा की है। संगठन ने एक ट्वीट में कहा कि यह व्यवहार सेवा और सभ्यता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और अस्वीकार्य है। सिविल सेवकों को नागरिकों से सहानुभूति रखनी चाहिए और हर समय समाज को एक उपचारात्मक स्पर्श प्रदान करना चाहिए। खासकर, महामारी के इस कठिन समय में...।
भला हो उस हिम्मती युवक का जिसने एक के मोबाइल को पटकते देखते हुए भी शूट करना नहीं छोड़ा। सोशल मीडिया की ताकत भी दिख गई। देशभर में वीडियो इस तरह से फैला कि आईएएस के पास बचाव का कोई रास्ता ही नहीं रहा। माफी भी लीपा-पोती की तरह ली गई। एसोसियेशन को भी सामने आना पड़ा। वरना, कांकेर की घटना याद आती है, जब रिश्वत मामले में एसीबी ने कार्रवाई की थी तो इसे आईएएस और आईपीएस के बीच की लड़ाई ठहराने की कोशिश की गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों में एसडीएम को हिरासत में लिये जाने से नाराजगी थी। कुछ 20-25 दिन पहले पश्चिमी त्रिपुरा के एक डीएम शैलेश कुमार यादव की एक विवाह समारोह में की गई इसी तरह की दबंगई भी सोशल मीडिया के जरिये देशभर में फैली थी। इस घटना में डीएम को न केवल पद से हटाया गया बल्कि सस्पेंड भी किया गया। छत्तीसगढ़ में डीएम को हटाकर तत्परता तो दिखाई गई है, लेकिन मांग इनके भी निलंबन की उठ रही है। सूरजपुर की इसी घटना में एक और अधिकारी, वहां के एसडीएम ने भी हाथ चलाया है। आईएएस का शोर इतना मचा कि अभी वे बचे हुए हैं। उन पर किसी का ध्यान नहीं गया है।