राजपथ - जनपथ
प्रकृति की रंगीनियत से छेड़छाड़
रंग बिरंगी चित्रकारी वैसे तो अच्छी लगती है पर यह कुदरत की चित्रकारी पर अतिक्रमण करके उकेरें तब? राजधानी रायपुर के सडक़ों और उद्यानों में पेड़ों पर किये गये इसी तरह के रंग-रोगन पर सवाल उठा है। रायपुर के नितिन सिंघवी ने कुछ तस्वीरें साझा की है। ये दर्शाती हैं कि गांधी उद्यान में पेंट लगा देने के कारण पेड़ों की मौत हो रही है। बूढ़ा तालाब परिसर में बड़े-बड़े वृक्षों पर पेंटिंग की जा गई है। ऐसा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिये किया गया है। कुछ समय पहले खबर आई थी कि भिलाई में करीब 3 किलोमीटर लंबे रास्ते पर 400 पेड़ों पर पेंट कर दिया गया है और इस पर 38 लाख रुपए खर्च हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और समय-समय पर पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार इस तरह से पेड़ों को विकृत किया जाना कानून के खिलाफ है।
बात राजधानी की है इसे किस कीमत पर, किस तरह से सुंदर बनाना है, तय करने के लिए सभी बड़े अफसर बैठे हैं। मुख्य सचिव से शिकायत की गई है। क्या एक्शन लिया जाता है देखना होगा।
शिक्षकों की मौत के बावजूद
अकेले स्वास्थ्य, पुलिस या राजस्व विभाग के अधिकारी ही नहीं प्रदेश के शिक्षक भी कोरोना से बचाव व व्यवस्था बनाये रखने में बड़ी संख्या में प्रदेशभर में ड्यूटी पर लगाये गये हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि मौतें 400 से अधिक हुई हैं। उन्हें कोरोना वारियर्स भी घोषित नहीं किया जा रहा है न ही वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जा रही है। इतनी मौतों की वजह भी वे यही बता रहे हैं। कोरबा जिले के ही तानाखार इलाके के ऐसे एक शिक्षक की संक्रमण से मौत हो गई जो 60 फीसदी नि:शक्त थे। शिक्षक की मौत हो गई। यहां के सांसद के पास शिकायत आई है कि गंभीर बीमारी से ग्रस्त कर्मचारियों व शिक्षकों की, गर्भवती व शिशुवती महिलाओं की भी कोविड में ड्यूटी लगा दी गई। जिला शिक्षा अधिकारी ने एक वर्चुअल मीटिंग में यह भी मौखिक निर्देश दिया कि जो लोग होम आइसोलेट हैं वह भी कार्य पर पहुंचें। उनकी छुट्टी मंजूर नहीं की जाएगी। कोरबा के शिक्षा विभाग में बहुत से लोग प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए हैं जिनका वेतन भी रोक दिया गया है। इन सब बातों की शिकायत कोरबा के सांसद तक पहुंची तो उन्होंने इस कार्यशैली पर नाराजगी जताई है और संवेदनशीलता के साथ आदेश देने, कार्य करने का निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिया है।
सांसद के निर्देश का कितना पालन होता है यह आगे पता चलेगा लेकिन समझा जा सकता है कि सामंजस्य और सावधानी बरती गई होती तो राज्य में शिक्षकों की मौत का आंकड़ा इतना अधिक नहीं होता।
तनख्वाह रोकने की धमकी काम आई
कुछ जिलों से खबर आई थी कि टीका नहीं लगवाने पर बीपीएल परिवारों को राशन नहीं देने की चेतावनी दी गई। अब एक नया फरमान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। गौरेला पेंड्रा मरवाही में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने बकायदा एक लिखित आदेश जारी कर दिया कि दफ्तर के सभी कर्मचारी-अधिकारी छात्रावास और आश्रमों में कार्यरत लोग टीकाकरण कराना सुनिश्चित करें और वैक्सीनेशन का कार्ड कार्यालय में जमा करें। ऐसा नहीं करने पर जून माह का वेतन रोक दिया जाएगा। ऐसे आदेश से जाहिर है अधिकारी कर्मचारियों में रोष पनपने लगा। जब इस बारे में सहायक आयुक्त से कर्मचारी संगठनों ने जानकारी मांगी कि आपको वेतन रोकने का कैसे अधिकार है? उन्होंने कहा मानता हूं। वैसे भी मैं वेतन रोकने वाला नहीं था। यह तो तरीका था सबको टीका लग जाए, फायदा भी हुआ है करीब-करीब सभी लोगों ने टीका लगवा लिया है।