राजपथ - जनपथ
एक अफसर के लिए मंत्रियों में जंग
अंबिकापुर डीईओ की पोस्टिंग के चलते सरकार के दो मंत्री टीएस सिंहदेव, और अमरजीत भगत के समर्थकों में जंग छिड़ गई है। हुआ यूं कि अंबिकापुर के प्रभारी डीईओ आईपी गुप्ता 31 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। वे टीएस के करीबी माने जाते रहे हैं, और उन्हें डीईओ का प्रभार दिलाने में टीएस की भूमिका रही है। अब जब टीएस के लोग गुप्ता के एक्सटेंशन की कोशिश में लगे हुए थे कि सुनील दत्त पाण्डेय की पोस्टिंग हो गई। पाण्डेय मैनपाट में बीईओ हैं, और चर्चा है कि उन्हें गुप्ता की जगह प्रभारी डीईओ बनवाने में अमरजीत भगत की अहम भूमिका रही है।
पाण्डेय एक जून को चार्ज लेंगे। सुनते हैं कि गुप्ता ने अपने कार्यकाल में टीएस समर्थकों को खूब उपकृत किया था, और स्कूलों में सप्लाई का काफी ऑर्डर दिया था। इससे टीएस के लोग काफी खुश थे। अब अमरजीत के करीबी अफसर की पोस्टिंग हो गई, तो उन्हें तगड़ा झटका लगा है, और वे रूकवाने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। हालांकि उन्होंने गुप्ता के एक्सटेंशन की आस नहीं छोड़ी है। दिलचस्प बात यह है कि स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह भी सरगुजा के ही हैं, लेकिन वे इस पोस्टिंग विवाद से खुद को अलग रखे हुए हैं।
सिगलेर के समर्थन में वर्चुअल धरना
बीजापुर और सुकमा के सरहदी गांव सिगलेर में गोलीबारी से तीन लोगों की मौत का मसला सुलगा हुआ है। पुलिस इन्हें नक्सली और स्थानीय लोग तथा क्षेत्र के आदिवासी संगठन ग्रामीण बता रहे हैं। सर्व आदिवासी समाज और कई अन्य संगठन इस घटना के विरोध में वैसे तो पिछले 15 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं पर कल बस्तर से बाहर, देश-प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर लोगों ने अपने घरों में धरना दिया। सोशल मीडिया पर आंदोलन की साझा की गई तस्वीरें कोलाज की तरह उभरकर आईं। यानि जवाब मिलना बहुत जरूरी है। सिगलेर घटना ने अविश्वास की खाई बढ़ा दी। स्थानीय लोगों का मन जीतने के किये जा रहे दर्जनों कामों पर ऐसी एक घटना पानी फेर देती है। इसी बीच झीरम हमले की आठवीं बरसी भी गुजरी है। कोई भी सरकार हो बस्तर को लेकर बेदाग बने रहे लगता है यह बेहद मुश्किल काम है।
तो मंदिर भी क्यों नहीं खोल देते?
पहले ऑनलाइन शराब मिली, फिर देसी को छूट मिली और अब अंग्रेजी शराब दुकानों को भी खोला जा रहा है। भीड़ दोनों जगह उमड़ती है पर विशेष त्यौहारों को छोडक़र बाकी दिनों में शराब दुकानों के मुकाबले तो कम ही होती है। प्राय: यह अनुशासित भी होती है। अब तो मदिरा दुकानें ही क्यों, सारे बाजार ही खुल चुके हैं। वैसे मंदिर पूरी तरह बंद नहीं किये गये हैं। पूजा-पाठ आरती हो रही है मगर आम लोगों के दर्शन, पूजा, हवन करने पर रोक है। मंदिरों का संचालन, रख-रखाव भक्तों के श्रद्धा पुष्प से ही होता है। पुजारियों की आजीविका का भी स्त्रोत है। इस बीच कई बड़े त्यौहार आये, गुजर गये। मंदिरों में शादियां भी आजकल होने लगी हैं। इस बीच कई मुहूर्त निकल चुके हैं। न केवल पुजारियों की बल्कि मंदिर के बाहर पूजन सामग्री बेचने वाले सैकड़ों लोगों का रोजगार भी कोरोना महामारी ने ठप कर रखा है। वैसे मंदिर, सरकार की आमदनी के प्रमुख स्त्रोतों में कहीं नहीं है फिर भी पुजारियों को उम्मीद है कि 31 मई के बाद सरकार उनकी तरफ भी ध्यान देगी।
पीएम की बैठक में विपक्ष का होना..
आपदा का समय है, सबको साथ लेकर चलना चाहिये। हो सकता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी उदार भाव से पश्चिम बंगाल की अपनी अधिकारिक बैठक में प्रतिपक्ष के नेता शुभेन्द्रु सरकार को शामिल कर लिया हो। अब लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि जब यूपी, गुजरात में पीएम बैठक लेंगे तब वहां भी क्या विपक्ष के नेता को बुलाया जायेगा? छत्तीसगढ़ में तो फिलहाल ऐसी कोई विशिष्ट आपदा, परिस्थितियां नहीं है जिसकी वजह से मोदी जी को यहां का दौरा करना पड़े लेकिन यदि कभी संभावना बनती है तो अपने यहां नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हैं। जैसा बखेड़ा वहां के नेता प्रतिपक्ष के पहुंचने पर खड़ा हो गया, यहां होने की संभावना भी नहीं दिखती।