राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बीजेपी संगठन में बदलाव?
05-Jun-2021 5:11 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बीजेपी संगठन में बदलाव?

बीजेपी संगठन में बदलाव?

प्रदेश भाजपा संगठन में बड़े बदलाव के संकेत हैं। चर्चा है कि महामंत्री (संगठन) पवन साय की आरएसएस में वापसी हो सकती है, और उनकी जगह प्रचारक रहे डॉ. देवनारायण साहू को भाजपा संगठन में भेजा जा सकता है। डॉ. देवनारायण साहू, वर्तमान में विद्या भारती का काम देख रहे हैं, और वे भी आरएसएस के प्रचारक रहे हैं।

पवन साय पिछले कुछ सालों से महामंत्री (संगठन) के पद पर हैं, लेकिन पार्टी के भीतर कलह को शांत करने में कामयाब नहीं रहे। वे काफी सरल स्वभाव के हैं। उन पर दबी जुबान में पार्टी के कुछ नेता आरोप भी लगाते हैं कि वे एक-दो प्रभावशाली नेताओं के दबाव में ही काम करते हैं। यही वजह है कि पार्टी के ज्यादातर जिलों में हारे, या पुराने नेताओं को ही पद मिला है। नए लोगों को उभरने का मौका नहीं मिल पाया है। हाल यह है कि ढाई साल बाद भी पार्टी की अंदरूनी हालत खराब हो चली है।

चर्चा है कि प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, और छत्तीसगढ़ के संगठन प्रभारी शिव प्रकाश भी बड़े बदलाव के पक्ष में बताए जाते हैं। ऐसे में डॉ. देवनारायण साहू को पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं। डॉ. साहू, पिछड़े वर्ग में सबसे बड़ी आबादी साहू समाज से आते हैं। वे भी पवन साय की तरह अविवाहित हैं, और प्रचारक रहते पीएचडी की उपाधि हासिल की।

कुछ लोगों का अंदाजा है कि डॉ. साहू 45 वर्ष के हैं, और उन्हें एकदम से महामंत्री (संगठन) जैसा अहम दायित्व शायद न देकर संभागीय संगठन मंत्री बनाया जा सकता है। वैसे भी सरगुजा, बस्तर के संगठन मंत्री के पद खाली हैं। डॉ. साहू के अलावा कुछ और प्रचारकों को पार्टी  संगठन में भेजा जा सकता है। इसकी कवायद चल रही है। देखना है कि  आगे-आगे होता है क्या।

देवता अब तो विनती सुन लो...

धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन आवेदन जैसे गुहार के सारे तरीके व्यर्थ लगने लगे तो अफसर देवता नजर आने लगते हैं। कोरबा जिले के एसईसीएल के गेवरा खदान से विस्थापित गांव बरभांठा में पेयजल की घोर समस्या है। ग्रामीणों ने अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचाने की हरसंभव कोशिश की। सुनी नहीं गई तो उन्होंने दीवार पर सीएमडी एपी पांडा और मुख्य महाप्रबंधक एस के मोहन्ती की तस्वीर चिपकाई। अगरबत्ती जलाकर पूजा पाठ किया। भोग प्रसाद चढ़ाया। आरती उतारी या नहीं इसका पता नहीं, पर कहा- देव अब तो खुश हो जाओ, मान जाओ। पानी की समस्या दूर करो। पता नहीं इस भक्ति का फल गांव के लोगों को कब मिलेगा। फिलहाल तो समस्या जस की तस बनी हुई है।

क्या चली गई दूसरी लहर?

प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान 14 सौ से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिले। कभी ब्रिटेन से राजधानी लौटी एक अकेली लडक़ी के केस ने हाहाकार मचा दिया था। मगर आज यह आंकड़ा लोगों के माथे पर बल नहीं दे रहा है। क्योंकि यह दूसरी लहर के तीव्र वेग के दौरान मिले मामलों से बेहद कम है। इन दिनों सडक़ों, दुकानों पर जिस तरह से भीड़ उमड़ी है, समझ आ रहा है कि सोशल डिस्टेंस को भुला दिया गया है। मास्क को पुलिस से बचने के लिये गले पर लटकाया जा रहा है, हर ओर बेफिक्री दिख रही है। गैर जिम्मेदारी का नमूना यह है कि लोग वैक्सीन लगवाने के लिये भी टीकाकरण केन्द्रों में नहीं पहुंच रहे हैं। सरकार पर तो सवाल उठाना तो हक है पर अब जब कोई लहर आयेगी तो इसके लिये हम-आप कितने जिम्मेदार माने जायेंगे, यह भी सोचना जरूरी है।

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