राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक साथ इतनी शिकायतें!
16-Jun-2021 6:17 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक साथ इतनी शिकायतें!

एक साथ इतनी शिकायतें!

खबर है कि रायपुर  के एक कांग्रेस नेता से उनकी ही पार्टी के कई नेता खफा हैं। सोमवार की रात प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया से मिलने आए पार्टी नेताओं ने मेयर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए, और उनकी जमकर शिकायत की। 

पार्टी के एक सीनियर नेता ने सबसे पहले इस नेता का शिकायती लहजे में जिक्र छेड़ा, तो कमरे में मौजूद बाकी नेता भी शुरू हो गए। उन्होंने भी खूब आलोचना की। 

बताते हैं कि पार्टी नेताओं ने यहां तक कह दिया कि इस नेता की वजह से भाजपा को रायपुर में अपनी पकड़ बनाने का मौका मिल रहा है। यदि उन्हें कंट्रोल नहीं किया गया, तो रायपुर की चारों विधानसभा सीट पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक साथ पार्टी के सीनियर नेताओं द्वारा एक नेता के खिलाफ इतनी शिकायत सुनकर पुनिया भी हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने नाराज नेताओं से सिर्फ इतना ही कहा कि जल्द ही वे इसको लेकर ऊपर बात करेंगे। 

केंद्र सरकार में छत्तीसगढ़ी 
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार केन्द्र सरकार में एक साथ चार आईएएस अफसर केंद्र सरकार में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर काबिज हैं। 93 बैच के अमित अग्रवाल वित्त, 94 बैच के विकासशील स्वास्थ्य, रिचा शर्मा पर्यावरण, और निधि छिब्बर रक्षा विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी हो गई हैं। 

छत्तीसगढ़ मूल के असम कैडर के अफसर 93 बैच के विवेक देवांगन भी ऊर्जा मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी हैं। विवेक प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में रह चुके हैं। वे सरगुजा, और रायपुर कलेक्टर भी रहे हैं। दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ कैडर के 88 बैच के आईपीएस अफसर रवि सिन्हा रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग (रॉ) में एडिशनल डायरेक्टर हो चुके हैं। सिन्हा राज्य के अकेले आईपीएस हैं, जो कि केन्द्र सरकार में डीजी के पद के लिए इंपैनल हुए हैं।

सुनते हैं कि रवि सिन्हा को यहां लाने पर विचार हुआ था। सिन्हा ने करीब डेढ़ साल पहले सीएम से सौजन्य मुलाकात भी की थी। चर्चा है कि वे यहां आने के उत्सुक भी थे। बताते हैं कि यदि वे यहां आते, तो डीजीपी भी बन सकते थे।  रवि सिन्हा रायपुर, और दुर्ग में सीएसपी के पद पर काम कर चुके हैं। मगर दिक्कत यह रही कि केन्द्र सरकार विशेषकर खुफिया एजेंसी रॉ में पदस्थ अफसरों को मूल कैडर में वापस जाने की आसानी से अनुमति नहीं मिल पाती है। कामकाज बेहतर हो, तो अनुमति मिलना नामुमकिन है।

महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस, और सीबीआई के मौजूदा चीफ सुबोध जायसवाल भी रॉ में पदस्थ रहे हैं। उन्हें महाराष्ट्र लाने के लिए तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस को काफी मशक्कत करनी पड़ी, और उन्होंने सीधे पीएम से बात की, तब कहीं जाकर जायसवाल को अपने मूल कैडर में जाने की अनुमति मिल पाई, और फिर वे महाराष्ट्र के डीजीपी बनाए गए थे। महाराष्ट्र, और केंद्र में एक दल की सरकार होने की वजह से संभव हो पाया, लेकिन  छत्तीसगढ़ के लिए आसान नहीं था। लिहाजा, बात सिर्फ आपसी चर्चा तक ही सीमित रह गई। 

किनको कुछ मिलेगा?
निगम-मंडलों की एक छोटी सूची जल्द जारी हो सकती है। संकेत हैं कि जिन निगम-मंडलों में नियुक्तियां हो चुकी हैं, वहां उपाध्यक्ष-सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। छह महीने पहले करीब पौने 3 सौ नेताओं को पद देना तय हुआ था, लेकिन सूची जारी नहीं हो पाई है। चर्चा है कि ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन, सीएसआईडीसी, मंडी बोर्ड, और मार्कफेड में नियुक्तियां फिलहाल नहीं होंगी। 

अलबत्ता, संचार विभाग-प्रोटोकॉल से जुड़े कुछ और नेताओं को पद मिल सकता है। इनमें सुशील आनंद शुक्ला, सन्नी अग्रवाल, अजय साहू जैसे कुछ नाम चर्चा में हैं। दो पत्रकारों को भी पद देने की चर्चा है। इनमें राजकुमार सोनी, और शेख इस्माइल का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इससे पहले मनोज त्रिवेदी, और धनवेंद्र जायसवाल को सूचना आयुक्त बनाया जा चुका है। चुनाव तैयारियों में अहम भूमिका निभाने की वजह से संचार विभाग के सदस्यों की काफी पूछपरख हो रही है। वैसे भी पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए कुछ न कुछ करना जरूरी है। 

ये दिन फिर कब लौटेंगे?


16 जून वह तारीख है जब गर्मियों की छुट्टी खत्म होती और स्कूल खुल जाते थे। नई किताबें, स्कूल बैग, ड्रेस और साइकिलें लेकर अगली कक्षा में प्रवेश के लिये हंसते, खिलखिलाते और रोते-गाते हुए बच्चों की टोलियां सडक़ों पर निकल पड़ती थीं। माताओं का बच्चों को नहलाना, धुलाना, टिफिन, बैग तैयार करना, एक उत्साहजनक सिरदर्द हुआ करता था। पर यह लगातार दूसरा साल है जब स्कूलों के दरवाजे बच्चों के लिये नहीं खुल पाये हैं। ऑनलाइन कक्षाओं में उनका मन नहीं लग पाया, न ही बिना परीक्षा दिये पास हो जाना भा रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर तो कम हो चुकी है पर तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा होने की आशंका कही जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ दिन पहले 16 जून से स्कूलों को खोलने की घोषणा की थी, पर डर का माहौल ऐसा है कि न तो अभिभावक और न ही शिक्षक इसका मन बना पाये हैं।

रहस्यमयी तारीख, 17 जून
वैसे तो तारीख 17 जून का खास महत्व नहीं है पर बदलाव की उम्मीद में बैठे कांग्रेस के कई नेताओं ने इसे वजन दे रखा है। मुख्यमंत्री और उनके करीबी ढाई-ढाई साल के किसी फार्मूले को पूरी तरह नकार रहे हैं पर बाबा और उनके समर्थक न कहते हुए भी हां जैसी बात करते आ रहे हैं। सरकार की ‘विफलता’ पर इन दिनों आंदोलन कर रही भाजपा के नेता हर एक प्रेस कांफ्रेंस, सभा में दावा कर रहे हैं कि 17 जून को बड़ा परिवर्तन होने वाला है। इन सबसे परे ढाई साल पूरे होने के बाद सरकार पर एक दबाव जरूर बनता है कि उसे अब अपने चुनावी वायदों को पूरा करना होगा। संविदा कर्मचारियों को नियमित करना, बेरोजगारों को भत्ता देना, कर्मचारियों को चार निश्चित प्रमोशन देना, शराबबंदी को लागू करना आदि कुछ ऐसे वादे हैं जो कांग्रेस सरकार के गले की फांस बने हुए हैं। संभव है, कोरोना संकट की आड़ लेकर इन वादों को पूरा करने से सरकार पीछा छुड़ाने की कोशिश करे।

रायगढ़ पुलिस की एक पहल


कोरोना महामारी ने पुलिस और आम लोगों के बीच दूरी घटाने में बड़ी भूमिका निभाई है। लोगों को मास्क नहीं पहनने पर टोकने, दुकानों को खुला रखने पर कार्रवाई करने जैसे कुछ ऐसे काम हैं। अलग-अलग जिलों में पुलिस अपने-अपने तरीके से काम कर रही है। रायगढ़ में पुलिस ने एक अनूठा काम शुरू किया है। ऐसे लोग जो खानाबदोश हैं, सडक़ों, झुग्गियों में रहते हैं उनकी तलाश कर उनसे मिलने जा रही है। उन्हें टीकाकरण केन्द्रों में ले जाकर टीके लगवा रही है और साथ ही कोरोना से बचने के लिये मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंस बनाये रखने के लिये कहा जा रहा है।

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