राजपथ - जनपथ
छत्तीसगढ़ पुलिस के बाबा
सियासत में जोड़तोड़ के गुर सिखाने का दावा करने वाले तांत्रिकों और बाबाओं की छत्तीसगढ़ पुलिस में भी गहरी पैठ है। एसीबी के निशाने पर आए सीनियर आईपीएस जी पी सिंह के कथित तांत्रिकों से लगातार संपर्क में रहने से जुड़े दस्तावेज हाथ आने के बाद सरकार अपनी एजेंसियों के जरिये कई दूसरे बाबाओं की भी खोज कर रही है।
नांदगांव से सटे एक ग्रामीण इलाके में एक बाबा के पास छत्तीसगढ़ पुलिस के अफसरों का अक्सर आना-जाना रहा है। पुलिस हेडक्वार्टर में पदस्थ राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी उच्च अफसरों से बाबा से भेंट कराने की एक अहम कड़ी हैं। बताते हैं कि प्रदेश पुलिस के एक प्रमुख अधिकारी के करीब 6 माह पूर्व बाबा से मुलाकात की उड़ती खबर स्थानीय पुलिस अधिकारियों के पास पहुंची। बताते हैं कि अफसर को बाबा ने मौजूदा राज्य सरकार के साथ बनते-बिगड़ते रिश्ते पर कई तरह के उपाय करने की नसीहत दी है।
बताया जाता है कि राज्य में तैनात आईपीएस अफसरों की लगातार यहां आवाजाही रही है। अफसरों से मेल-मुलाकात के चर्चाओं को बाबा की जुबानी स्वीकृति से बल भी मिला है। राजनांदगांव के शहरी सीमा से सटे इस गांव में राजनेता भी आमद देते हैं। एसीबी ऐसे बाबाओं की पृष्ठभूमि को खंगालने के लिए आगे बढ़ रही है।
मोदी मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में पिछले कई चुनावों से भाजपा को बम्पर जीत मिलती रही है। पिछली बार 11 में से 10 सीटें तब मिल गई थीं, जब कुछ माह पहले ही विधानसभा चुनाव में उसकी बुरी तरह हार हुई थी। इस भारी जीत के बावजूद मंत्रिमंडल में वह भागीदारी नहीं मिली, जिसकी अपेक्षा की जाती है। इस समय केवल एक सरगुजा से राज्य मंत्री के रूप में रेणुका सिंह केन्द्र में हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में नये चेहरों को मौका मिलने की बात की जा रही थी। बिलासपुर से सांसद अरुण साव भी कल दिन भर दिल्ली से फोन आने की प्रतीक्षा करते रहे लेकिन नहीं आया। उन्होंने अपना दिल्ली जाना रद्द कर दिया और बिलासपुर में ही घूम रहे हैं। सरोज पांडेय का भी नाम चला है, पता चला है वे दिल्ली पहुंच गई हैं। संतोष पांडेय, सुनील सोनी, विजय बघेल में से किसी को मौका मिल सकता है, इस बात के भी कयास लगाये जा रहे थे। संगठन की ओर से ये नाम भेजे भी गये थे। रेणुका सिंह सरगुजा से आती हैं और वहीं की राजनीति करती हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में अपना कद बढ़ाने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं दिखती। जानकार कह रहे हैं कि मंत्रिमंडल में किसी को नहीं लिया जाना अकेले दिल्ली का फैसला नहीं है। थोड़ी सलाह छत्तीसगढ़ के स्थापित नेताओं की ओर से भी दी गई है।
ज्यादा लिखा, थोड़ा समझना
वैसे वन मंत्री मो. अकबर की यह चि_ी सालभर पुरानी है, जो पहले भी वायरल हो चुकी है। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को उन्होंने लिखा था कि मोरगा साउथ, मोरगा टू, मदनपुर नार्थ, स्यांग और फतेहपुर ईस्ट में प्रस्तावित कोयला खदानों की नीलामी स्थगित करें। उन्होंने घने जंगल तथा मांड और हसदेव नदी के जल ग्रहण क्षेत्र के नष्ट होने की चिंता जताई थी। साथ ही बताया था कि 1995 वर्ग किलोमीटर में हाथी रिजर्व एरिया बनाने का भी प्रस्ताव है जो इन प्रस्तावित खदानों के इलाके में ही होगा। अब उनका विभाग 450 वर्ग किमी का सीमित हाथी रिजर्व परियोजना का प्रस्ताव बना रहा है। अब मंत्रीजी को जावड़ेकर को फिर से एक पत्र लिखना पड़ सकता है पिछली चि_ी में हमने ज्यादा लिख दिया था, उसे कम मानकर पढ़ें। हाथियों के लिये 450 वर्ग किलोमीटर ही काफी है। कोयला ब्लॉक देना चाहते हैं या नहीं आप देख लें।
जीएसटी से ज्यादा पेट्रोल-शराब की कमाई
पेट्रोल की कीमत रायपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में 100 रुपये से ऊपर चली गई है। कांग्रेस ने इसके विरोध में सडक़ों पर प्रदर्शन किया, थालियां बजाई। पर दरअसल कीमत बढऩे से केन्द्र को ही नहीं राज्यों का भी राजस्व संग्रह बढ़ता जा रहा है। शराब की कीमत के साथ भी ऐसा ही है। एक आंकड़ा सामने आया है जिसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में जनवरी से मई माह के बीच जीएसटी से 2829 करोड़ रुपये मिले जबकि पेट्रोल-डीजल और शराब से मिलने वाला राजस्व 3796 करोड़ रुपये रहा। जीएसटी से करीब एक हजार करोड़ रुपये अधिक। शराब से हुई आमदनी 1690 करोड़ है। यह भी सच है कि यदि राज्य सरकार पेट्रोल डीजल पर टैक्स कुछ कम भी कर दे तो इनकी कीमत में तीन चार रुपये से ज्यादा कमी नहीं आने वाली है। टैक्स का अधिकांश बोझ केन्द्र की ओर से डाला जाता है।