राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईएएस के नाम से ही खौफ?
14-Jul-2021 5:22 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईएएस के नाम से ही खौफ?

आईएएस के नाम से ही खौफ?

30 जून को भारतीय प्रशासनिक सेवा के नये परिवीक्षाधीन अधिकारी, जो फिलहाल सहायक कलेक्टर पद पर हैं, उनकी पदस्थापना का आदेश जीएडी से जारी किया गया। इसके तहत बस्तर की सहायक कलेक्टर रेना जमील को रायगढ़ स्थानांतरित किया गया और उन्हें जिले के सारंगढ़ का एसडीएम बनाया गया। पर कई दिनों तक चार्ज लेने के लिये उन्हें सारंगढ़ भेजा ही नहीं गया। वह मुख्यालय रायगढ़ में ही रहीं। आखिर 12 जुलाई को एक नया अकेला तबादला आदेश रेना जमील का आ गया। उनको जांजगीर-चाम्पा जिले के सक्ती में एसडीएम बना दिया गया।

दरअसल, सारंगढ़ नगरपालिका का कुछ दिन बाद चुनाव होना है। इसमें फिलहाल भाजपा का कब्जा है। स्थानीय कांग्रेस नेताओं पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने जानबूझकर आईएएस एसडीएम को चार्ज लेने से रोका और आखिरकार तबादला भी करा दिया। आईएएस से भाजपा नेता बने ओपी चौधरी ने तो आईएएस एसोसियेशन से मांग कर डाली है कि वह इस घटना का संज्ञान ले।

यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मुकाबले राजनैतिक दबाव डालना थोड़ा मुश्किल होता है। आईएएस की भर्ती नई-नई हो तो यह काम और भी कठिन है। ऐसे में जो हुआ वह अचरज की बात नहीं। अब यह भी हो सकता है कि भाजपा के हाथ से नगरपालिका की सत्ता छिन जाये, पर सन् 2019 बैच की आईएएस रेना जमील को जरूर एहसास हो गया होगा कि सत्तारूढ़ दल के इर्द-गिर्द ही प्रशासन की धुरी घूमती है। इनसे तालमेल बना रहे, इसकी भी एक कला होती है। फिलहाल, उनके पास सक्ती में काम करने का भरपूर मौका है।

खुले में शौच का खौफनाक नतीजा...

मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय बनाने की योजना शुरू की तो अफसरों में होड़ लग गई कि वे अपने जिले और पंचायतों को ओडीएफ यानी खुले शौच से मुक्त घोषित करें। ब्लॉक, जिला, राज्य और केंद्र के स्तर पर वाहवाही के साथ पुरस्कार भी मिलने लगे। इसका प्रचार खूब हुआ। अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर अभिनीत फिल्म  टॉयलेट : एक प्रेम कथा को तो दुनिया का सबसे लम्बा विज्ञापन भी कहा जाता है। विद्या बालन ने किसी प्रतिभा नाम की महिला को विज्ञापनों में मिलवाया जो ससुराल तभी वापस लौटी जब वहां शौचालय बन गया। नारी सम्मान, बहू-बेटियों की इज्जत से घर में शौचालय होने को जोड़ा गया। पर हकीकत क्या है? आंखें खुलती है, बेहद अफसोस होता है, सदमा पहुंचता है-जब मस्तूरी जैसी घटना सामने आती है और जमीनी हकीकत से हमें रू-ब-रू कराती है।

यहां एक नाबालिग लडक़ी से दो लोगों ने सुबह-सुबह बलात्कार किया और गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। लडक़ी को शौच के लिये घर से निकलना पड़ा था। जाहिर है, उसे बस्ती से बाहर सूनी जगह पर जाना पड़ा। यहीं पर दुष्कर्मियों ने उन्हें दबोच लिया और अपना मुंह तो काला किया ही बेकसूर की निर्ममता से हत्या भी कर दी। सौ फीसदी खुले शौच से मुक्त गांव और जिले में ऐसी घटना आईना दिखाती है कि सरकारी योजनायें बंदरबाट का जरिया बनी हुई हैं। फिर नया बजट आयेगा, फिर नये विज्ञापन और फिल्में बनेगी, पर शायद गरीब परिवारों की महिलाओं का अपनी जान को जोखिम में डालकर घर से निकलना बंद नहीं होगा, और इसी तरह किसी नाबालिग की चीख हमें सुनाई देगी। 

विरोध हम करेंगे, आपको हक नहीं...

जशपुर जिले के टांगर गांव में स्टील प्लांट लगाने के लिये 4 अगस्त को जनसुनवाई रखी गई है। जशपुर बड़े उद्योगों से अब तक वंचित रहा है। यहां के बहुत से जनप्रतिनिधियों ने सदैव इसका विरोध किया। यहां का पानी, जंगल, पर्यावरण, नैसर्गिक सुंदरता को बचाने के नाम पर। इसीलिये यहां रेल लाइन भी नहीं आई। पर युवाओं की नई पीढ़ी यहां से होने रहे पलायन, मानव तस्करी और रोजगार के संकट को देखते हुए उद्योगों को रोकने के पक्ष में नहीं है। इसीलिये बीते दिनों जब पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने इस जनसुनवाई के विरोध में एक सभा ली तो उन्हें ग्रामीणों के भारी विरोध का भी सामना करना पड़ा। यह बात इसी कॉलम में पिछले दिनों लिखी जा चुकी है।

पर अब इसमें नया दिलचस्प मोड़ आया है। पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव ने कहा है कि जिन लोगों ने 15 साल तक सत्ता में रहकर उद्योगपतियों से साठगांठ की, वसूली की उन लोगों को विरोध का हक नहीं है। भगत और जूदेव दोनों फिलहाल एक ही दल भाजपा में हैं।

युद्धवीर आगे कहते हैं कि टांगरगांव की जमीन उनके दादा ने एक पटेल को दी थी, पर उसने उद्योगपतियों से मिलीभगत कर ली है। वे कहते हैं कि कांसाबेल में तो उद्योग लग सकता है, पर जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट नहीं होने देंगे। वे नहीं चाहते यहां बच्चे भारी गाडिय़ों से कुचलें। इसका विरोध वे स्वयं करेंगे, किसी और चौधरी बनने या राजनीति करने की जरूरत नहीं है।

यानि विरोध तो होगा पर भाजपा से ही जुड़े लोग दो खेमों में बंटकर करेंगे। पहले की अनेक पर्यावरणीय जन सुनवाई में देखा गया है कि प्रशासन को ऊपर से जैसा निर्देश मिलता है वैसी रिपोर्ट बनाई जाती है। विरोध करने वाले दो भागों में बंटे हुए हों तो उनको इससे सहूलियत ही होगी।

शोहरत के ग्राहक अनेक

लोग शोहरत को भुनाने में बड़े तेज रहते हैं। अभी अर्जेंटीना की टीम ने पहली बार अपने फुटबॉल स्टार मेसी के साथ टूर्नामेंट जीता, तो बंगाल में फुटबॉल प्रेमियों को देखते हुए आनन-फानन में मेसी मार्का बीड़ी बाजार में उतार दी गई। अब फुटबॉल प्रेमी न सिर्फ अपने पसंदीदा खिलाड़ी के साथ उसका खेल देखने के लिए जी सकते हैं, बल्कि बीड़ी पी कर जल्द मर भी सकते हैं।

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