राजपथ - जनपथ
नए चेहरे की बारी
लैलूंगा के युवा आदिवासी भाजपा नेता रवि भगत ने ऊंची छलांग लगाई है। पार्टी ने उन्हें भाजयुमो का राष्ट्रीय मंत्री बनाया है। रवि आरएसएस के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े रहे हैं। वे विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं। वैसे तो छत्तीसगढ़ के कई युवा नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह पाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन सिर्फ रवि को ही मौका मिल पाया।
सुनते हैं कि पार्टी हाईकमान नए चेहरों को आगे लाना चाहती है, और रवि की नियुक्ति की एक प्रमुख वजह यही है। पूर्व सीएम रमन सिंह, सौदान सिंह सहित कई और नेताओं ने अपनी तरफ से कुछ नाम दिए थे, लेकिन उन नामों पर गौर नहीं किया गया। रवि धर्मांतरण के खिलाफ मुखर रहे हैं, और उन्हें राष्ट्रीय पदाधिकारी बनवाने में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रफुल्ल अकांत की भूमिका रही है।
प्रफुल्ल लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में काम कर चुके हैं। रवि की पत्नी भी जनपद सदस्य है। इससे परे सौदान सिंह के सचिव रहे गौरव तिवारी का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में था। गौरव पिछली कार्यकारिणी में राष्ट्रीय मंत्री थे। उन्हें युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन उन्हें कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल पाई। जानकारों का मानना है कि कई और नए लोगों को पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
ननकी राम का जोखिम भरा बड़ा फैसला
कोरबा जिले के विधायक पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने जो किया है उस पर अमल करने का विचार बाकी जनप्रतिनिधियों को भी करना चाहिए। कंवर ने विभिन्न विभागों के लिए अपना अलग-अलग प्रतिनिधि नियुक्त किया था। ये जब किसी सरकारी बैठक में नहीं जा पाते थे तो उनकी जगह प्रतिनिधि को शामिल होने का अधिकार मिला था। अब जिला प्रशासन को एक पत्र लिखकर उन्होंने इन सभी नियुक्तियों को रद्द करने की सूचना दी है। कंवर का कहना है कि इस तरह से विधायकों को अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने का कोई नियम नहीं है। इनकी नियुक्तियां गलत है।
कहने की बात नहीं है कि इन प्रतिनिधियों का रुतबा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से ज्यादा रहता है। अधिकारियों से काम निकालने के लिए लोग इन्हीं के आगे पीछे घूमते हैं। इनकी गाडिय़ों में चमकीले पदनाम, नंबर प्लेट से ज्यादा बड़े होते हैं। ऐसे कई प्रतिनिधियों के खिलाफ अभद्र व्यवहार, वसूली, दबंगई की शिकायतें सामने आती हैं। इन्हें निर्वाचित नेताओं का पूरा संरक्षण भी मिलता है। क्योंकि ये चुनावों में धन-बल, संख्या-बल, बाहु-बल से मदद भी करते हैं। ऐसे में ननकीराम कंवर का फैसला जोखिम भरा किन्तु सराहनीय है। जितने लोग इस फैसले से नाराज हुए होंगे उससे कई गुना अधिक लोग खुश भी हुए होंगे।
आ ही गये पेट्रोल पम्पों के सामने सिर झुकाने के दिन...
वैसे तो प्रीमियम पेट्रोल के दाम पहले से ही छत्तीसगढ़ में 100 रुपये से ऊपर चल रहे हैं, पर आज ज्यादातर शहरों में नार्मल पेट्रोल की कीमत भी सौ के ऊपर चली गई। बीजापुर, दंतेवाड़ा जैसी जगहों पर नार्मल पेट्रोल 103 रुपये से अधिक में मिल रहा है। नारायणपुर से लेकर सरगुजा, जशपुर कोरिया जैसे आदिवासी बाहुल्य किसी भी इलाके में दाम सौ रुपये से कम नहीं है। बीजापुर और दंतेवाड़ा में तो डीजल के दाम भी 100 रुपये से ऊपर हो गये हैं। बिलासपुर, रायपुर, गरियाबंद जैसे इक्के-दुक्के शहर ही हैं जहां पेट्रोल 100 रुपये से दो चार पैसे कम में मिल रहा है। बीते 10 दिनों में दाम सिर्फ एक बार 11 जुलाई को दाम 50 पैसे घटे थे, शेष सभी दिन या तो बढ़े हैं या फिर स्थिर रहे हैं। ऐसे में जो शहर 100 को नहीं छू पाये हैं, उन्हें भी दो चार दिन बाद यह सुख मिलेगा।
डिपो से फ्यूल स्टेशन की दूरी के कारण दूरस्थ इलाकों पर, जिनमें ज्यादातर क्षेत्र आदिवासी इलाके हैं, महंगाई की मार ज्यादा पड़ रही है। खाद्यान्न सामग्री, साग-सब्जियां पहुंचाने का खर्च भी इन इलाकों में बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस बीते एक जुलाई से आंदोलन कर रही है। पब्लिक को मालूम है कि इस वक्त ऐसी सरकार केन्द्र में है जिसे ऐसे विरोध की कोई चिंता नहीं है। अब तो हो सकता है यह मार लम्बे समय तक झेलनी पड़े। यूपी चुनाव के समय ही थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जैसी पश्चिम बंगाल के समय मिली। तब तक जिस दाम में मिले खरीदिये..। स्टेशनों पर लगी प्रधानमंत्री की तस्वीर के सामने सिर झुकाईये।
घर बैठे दी गई परीक्षा का यह हाल
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार काफी कशमकश के बाद यह तय किया गया कि अन्य कक्षाओं की तरह 12वीं बोर्ड की परीक्षा भी नहीं ली जाएगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की तैयारी है कि 31 जुलाई से पहले परिणाम घोषित कर दिया जाए। एक जून से लेकर 5 जून तक परीक्षा केंद्रों से छात्र छात्राओं को प्रश्न पत्र तथा उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण किया गया था। अब उन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की जा रही है।
इन पुस्तिकाओं की जांच में लगे अनेक टीचर्स विद्यार्थियों के जवाब को देखकर अपना सिर खुजा रहे हैं। साइंस और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों में हजारों विद्यार्थियों ने गलत जवाब लिखे हैं, जबकि किताबें भी उनके पास मौजूद थी। लगता है किताबें साल भर खोलकर ही नहीं देखी उन्होंने। और, ऑनलाइन पढ़ाई को भी गंभीरता से नहीं लिया। कई विद्यार्थियों ने प्रश्नों का क्रम और अपना रोल नंबर भी सही नहीं लिखा है।
मध्यप्रदेश में भी क्लासेस नहीं लगी थी। वहां पर 97 प्रतिशत विद्यार्थी पास हो गए हैं। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी उदारता बरतते हुए 75 अंकों के विषय में पास करने के लिए 25 अंक तक का सही जवाब तय किया है। बहुत से विद्यार्थियों ने इतने भी अंक के सवाल हल नहीं किए। अब, क्या ऐसे विद्यार्थियों को पूरक की पात्रता दी जाएगी या उन्हें अनुत्तीर्ण घोषित किया जाएगा? मध्य प्रदेश के मुकाबले यहां का रिजल्ट कैसा रहेगा ?