राजपथ - जनपथ
वक्त के पहले, और हक से ज्यादा का विवाद
विधानसभा चुनाव में भले ही दो साल से अधिक वक्त बाकी है, लेकिन विशेषकर भाजपा में कुछ दिग्गज नेता चुनाव लडऩे के लिए पसंद की सीट छांट रहे हैं, और वहां सक्रिय हो गए हैं। इस वजह से इलाके में पहले से सक्रिय स्थानीय नेताओं के साथ मनमुटाव शुरू हो गया है। इन सब वजहों से पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के खिलाफ मोर्चा भी खुल गया है।
सुनते हैं कि रामसेवक पैकरा, सूरजपुर जिले की भटगांव सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इससे पहले वे प्रतापपुर सीट से चुनाव लड़ते आए हैं। प्रतापपुर में पिछले चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि वे इस बार प्रतापपुर से लडऩे का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। लेकिन भटगांव में उनकी सक्रियता स्थानीय नेताओं को रास नहीं आ रही है, और उन्होंने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है।
तीन दिन पहले सूरजपुर जिले की कार्यसमिति की बैठक में पैकरा ने कह भी दिया कि आप लोगों को कांग्रेस का विरोध करना चाहिए। अपनों का विरोध क्यों करते हैं। अभी से चुनावी सक्रियता दिखाएंगे, तो विरोध होना स्वाभाविक है।
समझदारी इसमें रहती है कि ऐसी सीट छाँटी जाए जहां से पार्टी उम्मीदवार हार चुका हो, और अपनी पार्टी के कोई वजनदार नेता वहाँ न हों।
पुटू जैसी महंगी कोई सब्जी नहीं...
छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक रूप से उग जाने वाला पुटू इन दिनों बाजार में सिर चढक़र बोल रहा है। इसकी कीमत हजार रुपये किलो से कम कहीं नहीं है। कुछ दिन पहले यह रायपुर में 1600 रुपये किलो में बिका। एक अनुमान है कि कोरबा, जगदलपुर, महासमुंद, जांजगीर, दंतेवाड़ा और बिलासपुर में कुल मिलाकर इस प्राकृतिक मशरूम का कुल संग्रह बारिश के दिनों में करीब एक हजार क्विंटल ही हो पाता है। हालांकि जंगलों में भटकेंगे तो इसके कहीं ज्यादा मिल जायेंगे। पुटू प्राकृतिक मशरूम है इसलिए इसके स्वाद में अलग ही आनंद होता है। जो सक्षम है, वह एक बार इसे बारिश के दिनों में जरूर खरीद लेता है। बाकी लोग अपना शौक प्लांट में उगाये गए मशरूम से पूरा करते हैं, जो इसके मुकाबले काफी सस्ता होता है और बारहों महीने मिल जाता है।
हालांकि बायोटेक साइंटिस्ट्स कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक रूप से कम से कम 200 प्रकार के जंगली मशरूम पाए जाते हैं, लेकिन इनमें से 27-28 प्रजातियां हैं, जो सब्जी के रूप में खाने लायक होती है। लाल, गुलाबी, नीले रंग के मशरूम को नहीं खाना चाहिए। इनमें एल्केलाइट रसायन की मात्रा ज्यादा होती है जिसे खाने से आप बीमार पड़ सकते हैं। सफेद, दूधिया और हल्के मटमैले पुटू का सेवन किया जा सकता है। बाजार में इन्हीं रंगों के पुटू मिलते हैं।
ऊपर की तस्वीर शरद कोकास की ली हुई है, जो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर की है।
अब दाम क्यों नहीं घटाते?
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है। संसद में विपक्ष ने सरकार की इस बात पर खिंचाई की कि दाम बढ़ाकर केंद्रीय टैक्स के रूप में 3.35 लाख करोड़ रुपये वसूले लिये गये। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इधर दूसरी खबर की और लोगों का ध्यान चला गया है। इसमें बताया गया है कि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के बीच विवाद खत्म होने कारण क्रूड उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और इसके दाम में 8 दिनों के भीतर 10 प्रतिशत से भी ज्यादा की कमी आ चुकी है। इधर, इन्हीं पिछले दस दिनों में छत्तीसगढ़ के अधिकांश शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से ऊपर चली गई। दाम बढ़ाने में जो तेजी पेट्रोलियम कम्पनियां दिखाती हैं, कम करने में नहीं। लगता है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के कारण पेट्रोल कम्पनियों ने भाव नहीं बढ़ाये उसकी भरपाई हो रही है और यूपी चुनाव के समय जो स्थिरता बनाकर रखनी है, उसकी व्यवस्था की जा रही है। ([email protected])