राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नये जिले की नई पहचान
29-Jul-2021 6:12 PM
 	 छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नये जिले की नई पहचान

नये जिले की नई पहचान
वैसे तो हर नये जिले की पहचान तब बन जाती है जब वहां कलेक्टर और एसपी की नियुक्ति हो जाती है, पर जिले के बाहर लोगों को इसका तब पता चलता है जब यहां की गाडिय़ां अपनी अलग पहचान के साथ दौड़ें । गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले का गठन 10 फरवरी 2020 को हुआ था। जिला बनने के 17 महीने बाद अब उसके अस्तित्व के बारे में दूसरे जिलों, प्रदेश और देश में यहां से निकली गाडिय़ों से पता चल सकेगा। राजपत्र में यहां की गाडिय़ों के लिये एक अलग रजिस्ट्रेशन नंबर सीजी-31 जारी कर दिया गया है। पहला नंबर ए 0103 एक महिला की कार आकांक्षा जैन के लिये एलॉट किया गया।

पार्षदों, सरपंचों पर बड़ी जिम्मेदारी...
दो अगस्त से शुरू होने वाले स्कूल को लेकर बच्चों और अभिभावकों में बड़ी हलचल है। बच्चों में जोश है तो अभिभावकों में चिंता मिश्रित उत्साह। 10वीं, 12वीं की कक्षायें शुरू करने के लिये शिक्षा विभाग ने अपने मापदंड तय कर दिये हैं पर प्राथमिक और मिडिल स्कूल के लिये एक नये तरह का फरमान है। गांवों में सरपंचों की अनुमति से और शहरों में पार्षदों की लिखित सहमति मिलने पर ही स्कूलों को खोला जा सकेगा। कई लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि पार्षदों और सरपंचों में किस तरह की विशेषज्ञता है जो वे बतायेंगे कि स्कूल खोले जायें या नहीं। महामारी का प्रकोप फैल सकता है या नहीं, यह तो स्कूल के बाहर-भीतर पालन किये जाने वाले प्रोटोकॉल और उस क्षेत्र में मिलने वाले पॉजिटिव मरीजों की संख्या से तय होगा। पार्षद और सरपंच मंजूरी देने या नहीं देने के लिये कौन सा मापदंड अपनायेंगे? शिक्षा विभाग द्वारा 16 बिन्दुओं का एक दिशा-निर्देश जारी किया गया है जिसमें इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। उसमें एक बात तो स्पष्ट रूप से लिखी गई है कि उस क्षेत्र की पॉजिविटी रेट एक प्रतिशत से कम होनी चाहिये। और यह डेटा स्वास्थ्य विभाग के पास होता है। कहीं ऐसा तो नहीं सरपंचों और पार्षदों को सामने करके शिक्षा विभाग अपने सिर पर आने वाली किसी मुसीबत से बचना चाहता है?

इस बार भी ढील नहीं बप्पा...
गणेशोत्सव पर बीते साल की तरह इस बार भी रायपुर जिला प्रशासन ने कड़ी पाबंदियां लगाई है। गणेश पंडाल की लम्बाई चौड़ाई 15 फ़ीट से अधिक नहीं, प्रतिमा चार फीट से ऊंची नहीं होगी। पांच हजार वर्गफीट खाली जगह दर्शन करने वालों के लिये होनी चाहिये पर कुर्सियां नहीं लगाई जायेंगीं। दर्शन के लिये पहुंचने वालों का नाम व फोन नंबर एक रजिस्टर में दर्ज करना होगा। एक समय पर 20 से ज्यादा लोग इक_े नहीं होंगे। विसर्जन यात्रा, डीजे आदि प्रतिबंधित रहेंगे। इलाका यदि कंटेनमेन्ट जोन घोषित कर दिया गया तो सार्वजनिक पूजा नहीं होगी। गाइडलाइन बीते साल की तरह ही है। पर तब कोरोना संक्रमण का फैलाव बढ़ रहा था। इस समय घट रहा है। हालांकि तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी वैज्ञानिक कर चुके हैं और सितम्बर में इसके पीक पर होने का अनुमान लगाया गया है। गणेश चतुर्थी पर्व 10 सितम्बर से ही शुरू होगा। शायद प्रशासन ने इसीलिये ढील नहीं दी है।   ([email protected])

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