राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : क्या आप भी बैंक कर्मचारियों से ऐसे ही त्रस्त नहीं ?
08-Aug-2021 5:25 PM
छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : क्या आप भी बैंक कर्मचारियों से ऐसे ही त्रस्त नहीं ?

क्या आप भी बैंक कर्मचारियों से ऐसे ही त्रस्त नहीं ?

किसी भी बैंक में ग्राहक के साथ बैंक के अधिकारी, कर्मचारियों को  उचित व्यवहार करने की हिदायत दी जाती है। इसके लिए सभी बैंकों को स्पष्ट दिशा निर्देश होते हैं। पर जब बैंक कर्मचारी ठीक व्यवहार न करे तो? एक ग्राहक ने अपनी व्यथा इस प्रकार बताई है- वे पत्थलगांव में अम्बिकापुर रोड में बैंक ऑफ बड़ौदा पहुंचे। कर्मचारी समय पर नहीं पहुंचे। ग्राहक ने कहा कि समय पर आकर काम शुरू करें। कर्मचारी ने वजह बताई कि लिंक फेल है। ग्राहक प्रतीक्षा करते रह गये। बाद में कर्मचारी से उन्होंने फिर पूछा, क्या लिंक आ गया? कर्मचारी ने कोई जवाब नहीं दिया। कई बार पूछने पर जवाब नहीं मिला तो ग्राहक ने फिर पूछा- क्या बैंक में कोई जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी है जो बताये कि लिंक आया या नहीं? तब जाकर कर्मचारी ने बताया कि लिंक आ गया है, आपका काम करते हैं, थोड़ी देर बैठें। बैठने कहा गया तो उन्होंने हॉल में नजर दौड़ाई। बैंक में कुल जमा चार सीटर एक टूटी चेयर है, जिसमें पहले से महिलायें बैठी हुई थीं। महिलाओं के बगल में एक लाचार बुजुर्ग को तो जमीन पर ही बैठ जाना पड़ा। किसी कर्मचारी, अधिकारी ने उसे कुर्सी लाकर नहीं दी, न बैठने कहा। बैंक मैनेजर का चेम्बर हमेशा की तरह खाली मिला। कर्मचारियों से नंबर पूछा गया तो ना-नुकुर के बाद जो मोबाइल नंबर दिया गया वह बंद मिला। जब दूसरा नंबर मांगा गया तो कर्मचारी ने नहीं दिया, बल्कि कहा कि ब्रांच मैनेजर आयें तो बात कर लीजियेगा, आप तो अभी बैठिये। पर ग्राहक बैठे कहां, जमीन पर? या फिर खड़े-खड़े अपनी बारी की घंटों प्रतीक्षा करे। कोरोना संक्रमण का समय चल रहा है पर बैंक में सामाजिक दूरी का जरा भी पालन नहीं हो रहा है। उस पर ग्राहकों के साथ अधिकारी, कर्मचारी लापरवाही से पेश आ रहे हैं। आये दिन निजीकरण के विरोध में आवाज उठाने वाले, हड़ताल करने वाले बैंक कर्मचारियों के प्रति इस तरह से परेशान होने वाले ग्राहकों की कोई सहानुभूति रहेगी क्या? ऐसा रवैया लोगों को खुद ही निजी बैंकों की ओर जाने के लिये मजबूर करता है।

अमेजन, फ्लिप कार्ट पर वर्मी कम्पोस्ट

गौठानों में तैयार गोबर और केंचुए से बने खाद की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिये भी की जा रही है। इसका लाभ यह हुआ है कि यहां से मुम्बई, बेंगलुरु, रांची, कोलकाता, मध्यप्रदेश के कई शहरों सहित अन्य महानगरों में खाद की डिलिवरी की जा रही है। यह प्रयोग अभी राजनांदगांव जिले में हो रहा है। इसे सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि यहां की स्व-सहायता समूहों ने अब तक 1.50 करोड़ रुपये की वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री कर ली है। अमेजन पर ही वे आर्गेनिक राखी भी बेच रही हैं जो विदेशी राखियों को टक्कर दे रही हैं। छत्तीसगढ़ में इस समय कई जगह रासायनिक खाद की कमी को लेकर आंदोलन हो रहे हैं। कांग्रेस केन्द्र सरकार पर तो भाजपास राज्य पर इसे लेकर आरोप जड़ रही है। आंदोलन के दौरान इस बात का विरोध भी किया जा रहा है कि सोसायटियों से रासायनिक खाद उठाने के दौरान उन पर वर्मी खाद खरीदने के लिये दबाव डाला जा रहा है। किसानों के विरोध की वजह यह है कि वर्मी खाद बीज बोने के वक्त खेतों में डालना होता है, अभी तो यूरिया या उसके विकल्प वाले खाद ही चाहिये। किसानों को दूसरे राज्यों से आ रही वर्मी कम्पोस्ट की मांग को सामने रखकर प्रेरित भी किया जा सकता है। गौठानों के अधिकारी इसे तब उपलब्ध करायें जब सीजन की शुरुआत में उन्हें इसकी जरूरत पड़ती है। दबावपूर्वक बेचने से किसानों को लग सकता है कि ये खाद किसी काम के नहीं।

मनचाहा लीजिये आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट

कुछ दिन से फिर कोरोना के मामले देश में बढ़े हैं। इसे देखते हुए हवाई यात्रा के लिये 72 घंटे पहले की कोविड निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट छत्तीसगढ़ में अनिवार्य कर दी गई है। प्रदेश के बाहर से आने वाले विशेषकर केरल व दक्षिण के राज्यों से आने वाले रेल यात्रियों को भी निगेटिव रिपोर्ट जरूरी की गई है। अन्य राज्यों में भी पहुंचने पर कुछ इसी तरह के नियम बना दिये गये हैं। लगभग सभी ने आरटीपीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता रखी है, जिसकी रिपोर्ट आने में वक्त लगता है। सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी लैब भी यह टेस्ट रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। इससे टेस्ट हासिल करना तो आसान हो ही गया है, कुछ लैब संचालकों की मेहरबानी से मनचाही रिपोर्ट लेना भी मुश्किल काम नहीं रह गया है। बस यह है कि टेस्ट के लिये निर्धारित की गई राशि से दो गुनी  या उससे कुछ अधिक खर्च करने के लिये लोग तैयार हो जायें। अनेक यात्री बताते हैं कि उन्होंने टेस्ट कराते समय कहा कि रिपोर्ट निगेटिव ही मिलनी चाहिये। बस कुछ ऊपर का खर्च लिया गया, रिपोर्ट निगेटिव ही मिली। पर ये सहूलियत उनको ही है जिनमें लक्षण कम दिखाई दे रहे हैं। सर्दी बुखार से पीडि़त यात्रियों को तो हवाईअड्डे और स्टेशन के गेट से लौटना पड़ सकता है।

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