राजपथ - जनपथ
धर्मांतरण और संघ-भाजपा
धर्मांतरण के खिलाफ भाजपा जिस तरह आक्रामक रुख अपना रही है। उससे आरएसएस सहमत नहीं है। सुनते हैं कि आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों ने भाजपा के प्रमुख नेताओं से बात की है, और उन्हें धार्मिक मसलों के बजाए सामाजिक, और राजनीतिक विषयों पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी है।
आरएसएस के पदाधिकारियों ने कहा बताते हैं कि आरएसएस, बजरंग दल, और वनवासी कल्याण आश्रम मिलकर धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा। बताते हैं कि पिछले दिनों पुरानी बस्ती थाने में मारपीट हुई थी उसमें आरएसएस, और बजरंग दल के लोग नहीं थे, बल्कि भाजयुमो के पदाधिकारी थे।
भाजयुमो के जिला महामंत्री की अगुवाई में थाने में प्रदर्शन, और मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया। ये अलग बात है कि भाजपा के बड़े नेताओं ने महामंत्री को आरोपी बनने से बचा लिया। जबकि वायरल वीडियो में वो मारपीट करते साफ-साफ नजर आ रहे हैं।
यही नहीं, फाफाडीह रहवासी एक सीनियर भाजपा नेता के बेटे को पुलिस ने आरोपी बनाया है। भाजपा नेता सफाई दे रहे हैं कि बेटे को युवा मोर्चा के पदाधिकारी ने बुलाया था। और फिर मारपीट की घटना में नाम जुड़ गया। कुल मिलाकर थाने में मारपीट की घटना ने आरएसएस, और भाजपा के नेताओं को हलाकान कर रखा है।
जेल से छूटे तो ऐसा स्वागत !
शदाणी दरबार के प्रमुख युधिष्ठिर लाल के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में फंसे भाजपा नेता शिवजलम दुबे मंगलवार को जेल से छूटे, तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। उनका स्वागत कुछ इस तरह हुआ मानो वो कोई चुनाव जीतकर आए हैं। उत्साही भाजपा कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के दलालों को, जूता मारो सालों को, के नारे लगाए।
दरअसल, युधिष्ठिर लाल का पाकिस्तान यात्रा का पुराना वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो वहां के राष्ट्रगान के दौरान खड़े थे। फेसबुक पर यह प्रचारित किया गया कि पाकिस्तान का राष्ट्रगान यहां बज रहा था। शिवजलम, और अन्य भाजपा नेताओं ने युधिष्ठिर लाल के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, और सिंधी समाज के दबाव में उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी।
शिवजलम, और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कराने में शहर जिला भाजपा अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी की भी भूमिका रही है। सुंदरानी, समाज के साथ थे। खैर, शिवजलम के लिए जिस तरह पार्टी के पदाधिकारी एकजुट दिखे हैं उससे श्रीचंद के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। क्योंकि जिलाध्यक्ष को सबको साथ लेकर चलना होता है। और शिवजलम के स्वागत के बहाने पार्टी के भीतर श्रीचंद के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में पार्टी में जंग तेज होने के आसार दिख रहे हंै।
ऐसे में कैसे न चले खाली ट्रेन
रेलवे को लगातार आलोचना झेलनी पड़ रही है कि कोरोना के बाद ट्रेनों का नियमित संचालन नहीं करके सिर्फ स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है और इनका किराया इसी स्पेशल के नाम से बढ़ाकर रखा गया है। आज एक यात्री (श्रीयम मिश्रा, बिलासपुर ) ने गोंडवाना एक्सप्रेस की सेकंड एसी की पूरी खाली बोगी की तस्वीर भेजी। आईआरसीटीसी की साइट से पता चलता है कि कल के लिये अभी हाथों-हाथ कन्फर्म टिकट मिल जायेगी, पर किराया 2465 रुपये देना होगा, जीएसटी अलग से। आने वाले कई दिनों तक सीट भरपूर उपलब्ध हैं। यह ट्रेन लोगों की प्रिय ट्रेन रही है क्योंकि हजरत निजामुद्दीन स्टेशन यह करीब 23 घंटे में पहुंचा देती है। पर शायद इसलिए खाली जा रही है क्योंकि एक तो यह ट्रेन पूरे दिन चलती है और जब दिल्ली शाम को पहुंचेंगे तो उस दिन आपका कोई काम नहीं हो पायेगा, यानि रात रुकने का खर्च अलग है। वैसे यदि आप एक हजार रुपये अधिक खर्च कर सकते हैं तो फ्लाइट पकड़ सकते हैं जो करीब 3.30 घंटे में दिल्ली पहुंचा देगी।
बस्तर में भाजपा की हिलती नींव
बस्तर के जरिए सत्ता में वापसी की संभावना तलाश रही भाजपा की सांगठनिक जड़े अंदरूनी इलाकों में हिली हुई हैं। चिंतन शिविर में जुटे आला नेताओं के सामने यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि भाजपा समेत मोर्चा स्तर में नियुक्तियां नहीं हुई हैं। सुनते हैं कि पार्टी के अजा मोर्चा की हालत बेहद ही खस्ता है। मोर्चा अध्यक्षों ने कार्यकारिणी को लेकर रूचि नहीं दिखाई है। बताते हैं कि भाजपा जिलाध्यक्षों ने अपनी पंसद के लोगों को मोर्चा की कमान दी है। इसके पीछे जिलाध्यक्षों की सियासी हित भी है। चर्चा है कि चुनाव पूर्व विधानसभा उम्मीदवार बनने की नियत लेकर अध्यक्षों ने मोर्चा में अपनी नजदीकियों को ओहदा दिलाया है ताकि संगठन के समक्ष जिलाध्यक्षों को बेहतर प्रत्याशी बताया जा सके। बस्तर में भाजपा और दूसरी राजनीतिक कलह से भी जूझ रहे हैं। कार्यकर्ताओं को कुंजी मानने वाली भाजपा की सियासी धार तेज होने के बजाए कुंद हो रही है। बिखरी हालत में भाजपा सत्ताधारी कांगे्रस को आसानी से पटखनी देने का दावा कर रही है। जमीनी राजनीति में बस्तर में भाजपा तेजी से बिखराव की ओर जा रही है।