राजपथ - जनपथ
बाप-बेटे के रिश्ते
ब्राम्हणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर सुर्खियों में आए सीएम भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल को जिला अदालत से जमानत मिल गई, और शुक्रवार की देर शाम रिहा भी हो गए। नंदकुमार बघेल की बेबाक टिप्पणियों से कई बार भूपेश बघेल के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा होती रही है। बहुत से लोग यह जानते भी हैं कि एक बार तो भूपेश बघेल को चुनाव में हराने के लिए पिता नंदकुमार बघेल ने गांव-गांव प्रचार भी किया था, और अपने बेटे के खिलाफ वोट देते फोटो भी खिंचवाई थी।
यह वह दौर था जब भूपेश बघेल पहली बार वर्ष-93 में पहली बार पाटन विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। उस वक्त जनता दल ने दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तमलाल कौशिक के बेटे दिलीप कौशिक को प्रत्याशी बनाया था। उस वक्त भी भूपेश बघेल को अपने घर में विरोध का सामना करना पड़ा था, और पिता नंदकुमार बघेल खुले आम दिलीप कौशिक के पक्ष में प्रचार के लिए निकल गए।
उस वक्त जार्ज फर्नांडीज जैसे प्रतिष्ठित समाजवादी नेता दिलीप कौशिक के प्रचार के लिए आए थे। और नंदकुमार बघेल ने उनके साथ मंच साझा किया था। पहली बार चुनाव लड़ रहे भूपेश को तो उस वक्त पिता के विरोध का जवाब देना मुश्किल हो रहा था। मगर उस कठिन दौर में भी भूपेश चुनाव जीतने में सफल रहे। ये अलग बात है कि भूपेश विरोधी नेता, उनके पिता की टिप्पणियों का समय-समय पर उनके खिलाफ इस्तेमाल भी करने से नहीं चूकते हैं। और उन्हें सफाई देनी पड़ती है।
हम नहीं सुधरेंगे
कुछ लोगों में सुधरने की कोई संभावना नहीं होती है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रविशंकर विश्वविद्यालय के लंबे-चौड़े अहाते को देखें तो वहां मौजूद पोस्ट ऑफिस रोज अपना कचरा बाहर जलाता है। उस कैंपस में घूमने वाले लोगों ने जाकर पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी से इसकी शिकायत भी की, और वहां मौजूद सफाई कर्मी महिला ने गलती मान भी ली कि अबसे कचरा नहीं जलाएंगे। लेकिन कई बार ऐसी शिकायत करने के बाद भी कचरा जलाना जारी है। यह हाल केंद्र सरकार के एक संस्थान का है जिसे नियम कायदा मानने वाला होना चाहिए था। फिर मानो इसी का संक्रमण दूसरे सफाई कर्मचारियों तक पहुंचा और विश्व विद्यालय भवन के पीछे खेल मैदान के किनारे ढेर-ढेर कचरा हर दो-तीन दिन में जलाया जाता है जिस से दूर-दूर तक हवा में धुआं फैल जाता है। पास में ही सैकड़ों छात्र-छात्राएं खेलते भी रहते हैं. विश्वविद्यालय के एक भवन के बगल में इतनी जूठन फेंकी जाती है कि आस-पास से घूमने निकलने वाले लोग बदबू से नाक बंद करने लगते हैं। लेकिन इस शिकायत का भी कोई असर देखने नहीं मिलता। जो हाल केंद्र सरकार के पोस्ट ऑफिस का है वही हाल राज्य शासन के विश्वविद्यालय का है।
स्वामिभक्ति यहां नहीं चलती
उत्तर भारत के किसानों ने हरियाणा के मिनी सचिवालय को बीते 4 दिनों से घेर रखा है। कृषि बिल के विरोध में करनाल में किये गये प्रदर्शन के दौरान वहां के एसडीएम ने कह दिया कि किसान यदि यातायात में बाधा डालते हैं तो उनका सिर फोड़ दो। इसके बाद पुलिस के हाथ खुल गये, दनादन लाठी चला दी। जो फसाद हुआ उसमें दर्जन भर लोग घायल हुए और एक किसान की मौत हो गई। एसडीएम के बयान की भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी निंदा की, सीएम खट्टर ने भी आलोचना की और असहमति जताई और उसका तबादला कर दिया। पर इससे क्या होता है? किसान जमा हैं उस एसडीएम को निलंबित करने के लिये। हरियाणा सरकार मामले को खत्म कर सकती है इस मांग को मानकर। अपने यहां छत्तीसगढ में लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर एक कलेक्टर ने बच्चे को थप्पड़ जड़ दिया, उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया। हंगामा मचा, कलेक्टरी छिन गई। जनता की बात ऐसे मानी जाती है...। बस, वो सिलगेर के मामले में कार्रवाई होना बचा है। करनाल जैसा ही आंदोलन है पर वह हाईवे का नहीं, दूर पहुंचविहीन जगह की है।
मंत्रियों का पत्ता कटेगा?
ये बात अंदर की होगी पर रामानुजगंज के चर्चित विधायक बृहस्पत सिंह ने बाहर निकाल दी है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल होने वाला है, तीन-चार बदलने जा रहे हैं। बड़ी ईमानदारी के साथ उन्होंने कहा है कि मुझे मंत्री बनने का दबाव मंजूर नहीं होगा। विधायक रहते सेवा ठीक तरह से कर लेता हूं। बताइये, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के इतने सारे सीनियर विधायक हैं जिनको चाहकर भी मंत्रिमंडल में नहीं लिया जा सका। जब चार हटाये जायेंगे तो समायोजन की भी बात तो होगी। बृहस्पत से विधायक फोन कर पूछ रहे होंगे, क्या भाई, आप तो साहब के चहेते हो.. हमारा नंबर नई सूची में लगेगा क्या?
क्या सचमुच कुछ ऐसा होने वाला है, जैसा विधायक कह रहे हैं?