राजपथ - जनपथ
कितनी मदद मिल सकेगी इस मुआवजे से?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोविड-19 से होने वाली मौतों पर केन्द्र सरकार ने मुआवजा तय कर दिया है। जिन्हें मुआवजा चाहिये उन्हें परिजन की कोरोना से मृत्यु होने का प्रमाण पत्र हासिल करना जरूरी है, साथ ही ऐसा बैंक खाता होना चाहिये जो आधार कार्ड से जुड़ा हो। छत्तीसगढ़ सहित ज्यादातर राज्यों ने कोरोना से मौत का स्पष्ट सर्टिफिकेट नहीं दिया है।
छत्तीसगढ़ का ताजा आंकड़ा कहता है कि अब तक यहां 13 हजार 563 लोग कोरोना से जान गंवा चुके हैं। इस हिसाब से पीडि़तों को करीब 67 करोड़ 83 लाख 50 हजार रुपये बांटे जायेंगे। महामारी से बचाव के लिये स्वास्थ्य सुविधा, संसाधन जुटाने में जो खर्च किये गये हैं उसके मुकाबले यह काफी कम राशि है। याचिकाकर्ताओं ने 4 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की थी। अभी जो घोषणा हुई है उसमें सभी को एक समान 50 हजार रुपये मिलना है। केंद्र ने हाथ खींचना चाहा, पर सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत नहीं दी, पर राशि तय करने की छूट केन्द्र को दी। बहुत से ऐसे परिवार हैं, जिनके घर कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो गई। वे 50 हजार रुपये से कितनी राहत महसूस करेंगे, यह एक बड़ा संवाल है। फिर जो लोग बच गये हैं और पोस्ट कोविड गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं और अब काम भी नहीं कर पा रहे हैं उनका क्या? दरअसल महामारी का तूफान गुजरने के बाद इसके दूर तक हुए असर पर चर्चा ही नहीं हो रही है।
सिंहदेव खेमा तैयार हो गया..
कांग्रेस नेता पंकज सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर का विरोध करने बिलासपुर विधायक शैलेष पांडे खुद कोतवाली थाने पहुंच गये। उनके समर्थक पहले से वहां प्रदर्शन कर रहे थे। दूसरा मौका है जब विधायक के समर्थक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। इसके पहले ब्लॉक कांग्रेस कमेटी दो के अध्यक्ष मोती थावरानी के खिलाफ एक सिपाही से उलझने का मामला दर्ज हुआ था। कई दिनों की फरारी के बाद पुलिस ने उनको नागपुर से गिरफ्तार किया था। हालांकि कोर्ट में पेश करते ही थावरानी को जमानत मिल गई थी। इस बार पंकज सिंह को गिरफ्तार करने से पुलिस बचती रही। लॉकडाउन के दौरान राशन बांटने के लिये घर में भीड़ पहुंचने पर विधायक के विरुद्ध भी एफआईआर लिख ली गई थी। इस तरह तीन साल हुए नहीं तीन से ज्यादा मामले पुलिस ने उन पर या उनके समर्थकों पर दर्ज किया है। खास बात यह रही कि उऩ्होंने मीडिया से बात करते हुए ऐलान कर दिया कि वे सिंहदेव समर्थक हैं। इसीलिये उनको और उनके करीबियों को बार-बार ठोका जाता है। पांडे शायद खुलकर ऐसा कहने वाले पहले विधायक हैं। सिंहदेव जब विधानसभा से नाराज होकर निकले थे तो उनके पीछे निकलने वालों में अकेले विधायक शैलेष पांडे ही थे। ढाई-ढाई साल सीएम वाले विवाद के दौरान सिंहदेव कहते रहे हैं कि उनका कोई खेमा नहीं है। अब उनकी मर्जी हो न हो, खेमा तो बन ही गया है और इसमें पहला नाम शैलेष पांडे का सामने आ भी गया है।