राजपथ - जनपथ
जो बार नहीं गये, उनसे जवाब कौन लेगा?
बाउंसर ने पुलिस अधिकारियों को देर रात बार में घुसने से रोका, हाथापाई की हिमाकत की और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। न तो एक एफआईआर हुई न ही बार देर रात खुली रखे जाने पर कोई एक्शन। पुलिस अधिकारियों का सादी वर्दी में संडे के दिन बार में जाना शायद गुनाह नहीं होगा, पर देर रात घुसने के लिये जिद करना जरूर गलत था। शायद, नये-नवेले अधिकारियों ने समझा हो कि हमारे संरक्षण में ही खुली है। पर इनको शायद पता नहीं था कि बार और शराब के धंधे से जुड़े लोगों के हाथ उनके अनुमान से अधिक लंबे होते हैं। डीजीपी ने राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की करतूत की रिपोर्ट तो मांगी पर इसमें यह नहीं पूछा गया कि देर रात तक बार खुली रहने की दर्जनों शिकायतें सामने आने के बावजूद वे अधिकारी जो इनके ऊपर बैठते हैं, उन्होंने कब-कब क्या कार्रवाई की। युवा अधिकारी तो बेचारे रिलीव हो गये पर जिनकी शह पर इन बार संचालकों के हौसले बुलंद हैं वे सीनियर अफसर साफ बच गये हैं।
वो करें तो स्टंट, हम करें तो धरना
लखनऊ एयरपोर्ट पर जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रोका गया तो यूपी पुलिस ने उनको एयरपोर्ट पर ही रोक लिया। बघेल ने जब पूछा तो पता चला कि लखीमपुर खीरी, जहां वे नहीं जाने वाले थे वहां तो धारा 144 लागू है ही लखनऊ में भी लगी है। सीएम ने पूछा, ऐसा है तो फिर यहां प्रधानमंत्री का कार्यक्रम कैसे हो रहा है। पुलिस अधिकारियों को जैसा निर्देश मिला था, उन्होंने जवाब देने की जगह खामोशी ओढ़ ली। बघेल एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गये और वर्चुअल पीसी भी ले ली। इसकी देशव्यापी चर्चा हुई। विपक्ष ने कहा, पब्लिसिटी स्टंट, नौटंकी, हाईकमान के सामने नंबर बढ़ाने के लिये।
मगर, यही सब भाजपा ने कल कवर्धा में किया। नेता प्रतिपक्ष, कई विधायक और पूर्व मंत्री शहर में निकलना चाहते थे पर उन्हें रेस्ट हाउस में रोक लिया गया। उसी धारा 144 की वजह से। अगर, बघेल के धरने पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की निगाह गई हो तो भाजपा नेताओं का धरना भी डी. पुरंदेश्वरी के ध्यान में आ ही गया होगा।