राजपथ - जनपथ
ईमानदारी का खुला चैलेंज..
तहसील ऑफिस में दलालों और रिश्वत के बगैर काम नहीं होता। यह कोई खबर नहीं है। खबर तब बन जाती है जब इसे झुठलाया जाये। तखतपुर अनुविभाग की सकरी तहसील में हाल ही में पदस्थ प्रभारी अश्विनी कंवर ने आम सूचना निकाली है। दफ्तर और सकरी में जगह-जगह यह रंगीन फ्लैक्स पर चस्पा की गई है। इसमें लिखा गया है कि कोई भी व्यक्ति या ब्रोकर काम कराने के बदले उनके नाम से रिश्वत मांगता है तो तुरंत सूचित करें। तहसीलदार ने अपना मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक कर दिया है। दो चार अधिकारी ऐसी हिम्मत जुटायें तो अच्छा लगेगा। दफ्तरों और अफसरों को लेकर बनी आम धारणा बदलेगी। बशर्तें, काम न रुके। वरना, जहां पैसे नहीं लिये जाते वहां ढेर सारे नियम कायदे रुकावट बन जाते हैं। लोगों को खुराक-पानी देना ज्यादा ठीक लगने लगता है।
सिलगेर नहीं तो एड़समेटा की बात कर लें...
सन् 2013 में हुए एड़समेटा मुठभेड़ पर पिछले महीने जस्टिस वीके अग्रवाल की न्यायिक जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही बस्तर का एक सिरा सुलग रहा है। एड़समेटा के ग्रामीण गंगालूर बीजापुर तक आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये ग्रामीण यूपी के लखीमपुर खीरी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बांटे गये मुआवजे के बाद ज्यादा मुखर हो गये हैं। वे कह रहे हैं कि यूपी मामले पर कोई जांच रिपोर्ट तो अभी आई नहीं, फिर भी सरकार ने दूसरे प्रदेश में तत्परता से मुआवजा दे दिया। एड़समेटा की तो रिपोर्ट भी आ गई। दूसरे प्रदेश से ज्यादा अपने प्रदेश का ख्याल रखा जाये। इसलिये यहां मारे गये सभी आठ लोगों के परिजनों को लखीमपुर से दोगुना यानि मृतकों को एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाये। इसके अलावा घायलों को भी 50 लाख रुपये दिये जायें।
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने मांग की थी कि सिलगेर के पीडि़तों को भी मुआवजा दें। सीएम ने कहा- उनके प्रतिनिधि उनसे मिलकर जा चुके हैं, उन्होंने मुआवजा लेने से मना कर दिया है।
पर बस्तर में आंदोलन तो एडसमेटा के मुठभेड़ को लेकर चल रहा है, जिसकी राजधानी में नेताओं को खबर ही नहीं। इस पर न भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया दी है न कांग्रेस ने।
मूंगफली बेचते भावी शिक्षक...
बस्तर और सरगुजा में शिक्षक भर्ती के लिये मेरिट में स्थान बनाने वाले अभ्यर्थी दो साल से भटक रहे हैं। उनके पास ज्वाइनिंग लेटर भी है, पर नियुक्ति दी नहीं जा रही है। विभाग का कहना है हाईकोर्ट से स्टे है। अभ्यर्थी इसे भ्रामक उत्तर बताते हैं। बहरहाल, वे बस्तर, सरगुजा से लेकर राजधानी तक आंदोलन व प्रदर्शन कर रहे हैं। जगदलपुर में एक चयनित शिक्षक लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिये मूंगफली बेच रहे हैं। साथ ही गले पर तख्ती लगाकर अपनी मांग बता रहे हैं।