राजपथ - जनपथ
बस यही तो होना था...
रेत तस्करों का हौसला कुछ इस तरह बढ़ता जा रहा है, जैसा मध्यप्रदेश में दिखाई देता है। वहां एक पुलिस अधिकारी को हाईवा में रौंदा भी जा चुका है। कई बार अधिकारियों के सिर, हाथ-पैर फोड़े, तोड़े जा चुके हैं।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सनावल इलाके में रेत की तस्करी रोकने पांगन नदी के तट पर गये नायब तहसीलदार विनीत सिंह पर हमला किया गया। जेसीबी से रेत खुदाई पर पर्यावरण विभाग ने रोक लगा रखी है, नायब तहसीलदार ने जब्त कर ली। इसी बीच 20-25 लोगों ने उनकी सरकारी गाड़ी में तोड़-फोड़ की।
इस कॉलम में पिछले महीने, 28 सितंबर को इसी बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में अवैध रेत उत्खनन के कारण हुए आंदोलन का जिक्र हुआ था। चक्काजाम की खबर मिलने पर कलेक्टर ने माइनिंग इंस्पेक्टर को भेजा पर हाईवा के कागजात देखकर उन्होंने सब कुछ ओके बता दिया और कोई कार्रवाई नहीं की। उस दिन रेत उत्खनन करने वालों ने भीड़ में पहुंचपर गोली चलाने की धमकी भी दी। ग्रामीणों के दबाव में पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। यानि पानी अब सिर से ऊपर जा चुका है। हाल ही में यहां कलेक्टर को पंडो आदिवासियों की मौत की वजह से बदल दिया गया है, नये कलेक्टर से उम्मीद थी कि कोई सख्ती बरतते, पर लगता है तस्करी करने वाले लोग काफी ऊपर तक पकड़ रखते हैं।
साथ ही जिक्र हो जाये कि जुलाई माह की 10 तारीख को इस कॉलम में कसडोल पर लिखा गया था, जहां एसडीएम मिथिलेश डोंडे पर दबाव बनाने के लिये महानदी से रेत निकालने वालों ने अपनी गाडिय़ां उनके दफ्तर के सामने लाइन से लगा दी थी।
संविधान के लिये सजगता
कुरुद में आदिवासी समाज ने रविवार को एक कार्यक्रम रखा। इसे चेतना शिविर का नाम दिया गया। उद्देश्य था अपने लोगों को संविधान में लिखी गई बातों की जानकारी देना। वक्ताओं ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया, उसके प्रमुख बिंदु और उद्देश्यों पर रोशनी डाली। हाल ही में बस्तर से एक पैदल यात्रा निकली थी जिसमें राजधानी पहुंचकर संविधान का हवाला देते हुए ही अंतागढ़ को नगर पंचायत घोषित करने का विरोध किया गया। वे इसे ग्राम पंचायत ही बने रहने देना चाहते हैं। उन्होंने अपने हाथों में संविधान की पुस्तिका रखी थी। इसी दिन सरगुजा से भी पैदल यात्रा राजधानी पहुंची, जो हसदेव अरण्य इलाके में कोल ब्लॉक के आवंटन को असंवैधानिक बता रहे थे। बौद्ध समाज द्वारा संचालित अनेक स्कूलों में अनिवार्य रूप से संविधान की शपथ दिलाई जाती है और मौलिक अधिकारों का वाचन कराया जाता है। दूसरे स्कूलों में इस पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता। बहुत से जोड़े अब सात फेरे लेने के दौरान संविधान की शपथ लेते हैं, बजाय मंत्रोच्चार के। लगता है यह क्रिया की ही प्रतिक्रिया है। संविधान के दायरे में रहकर ही संविधान के खिलाफ लिये जाने वाले सरकार के फैसलों को लेकर लोगों की चिंता बढ़ रही है।
विधायक की दरियादिली
मनेंद्रगढ़ के विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने सरकारी पैसे पत्रकारों को बांट दिये। अपने जेब से कुछ गया नहीं और वाहवाही भी हो गई। करीब 60 पत्रकारों को उन्होंने 5-5 हजार रुपये दिये हैं, जो स्वेच्छानुदान मद से है। विधायक ने सबको दशहरा मिलन में बुलाया और चेक सौंपे। जिन पत्रकारों ने ये पैसे लिये हैं, उनका कर्तव्य बनता है कि वे अपने पाठक नहीं, बल्कि विधायक के प्रति निष्ठावान बने रहें।