राजपथ - जनपथ
कहानी सवन्नी की...
प्रदेश में भले ही भाजपा सरकार नहीं है लेकिन सवन्नी बंधुओं का जलवा बरकरार है। बात भूपेन्द्र सिंह सवन्नी और उनके छोटे भाई महेन्द्र सिंह सवन्नी की हो रही है। भूपेन्द्र प्रदेश भाजपा के महामंत्री हैं, तो महेन्द्र सरकारी नौकर हैं। वो मंडी बोर्ड के एडिशनल एमडी हैं। दोनों ही मिलनसार हैं, और गुस्से से परहेज करते हैं। इन्हीं विशिष्ट गुणों की वजह से दोनों अपनी-अपनी संस्था में बेहद पॉवरफुल हैं।
दोनों भाइयों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले आए। जांच एजेंसियों तक शिकायत पहुंची लेकिन जांच किसी किनारे नहीं लग पाई। भाजपा मेें सौदान सिंह के छत्तीसगढ़ के प्रभार से मुक्त होने के बाद पवन साय सर्वेसर्वा हुए, तो सवन्नी उनके विश्वासपात्र हो गए। यह चर्चा आम है कि पार्टी संगठन के बड़े फैसलों में सवन्नी का सीधा दखल रहता है।
दूसरी तरफ, सरकार बदलने के बाद भी छोटे भाई महेन्द्र सिंह सवन्नी की सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ा है। महेन्द्र सिंह की अब भी मंडी बोर्ड में तूती बोलती है। दोनों भाइयों की हैसियत को देखकर लोग अब चुटकी लेने लगे हैं कि खाता न बही, सवन्नी जो कहे वह सही।
और सन्नी की...
राजीव भवन में मोहन मरकाम की मौजूदगी में महामंत्री अमरजीत चावला के साथ गाली-गलौज करना अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन सन्नी अग्रवाल को भारी पड़ रहा है। वो पार्टी से निलंबित हैं। उन्हें भरोसा था कि पीएल पुनिया रायपुर आते ही उनका निलंबन खत्म करा देंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ।
होटल में सन्नी, पुनिया के आगे-पीछे होते रहे। वो दीवाली की बधाई देने के लिए एक कारोबारी को साथ लेकर पहुंचे थे। पुनिया ने कारोबारी की बधाई तो स्वीकारी, लेकिन सन्नी को उलटे पांव लौटा दिया। उन्हें पद से हटाने के लिए दबाव बन रहा है। चर्चा है कि सन्नी, अमरजीत से माफी मांगकर और संगठन में लिखित माफीनामा देकर बहाली की कोशिश में हैं। उनसे जुड़े लोग अमरजीत को गुस्सा थूकने के लिए कह रहे हैं, लेकिन अमरजीत अभी पसीजते नहीं दिख रहे हैं। देखना है कि पार्टी से निलंबन के बाद सन्नी को पद से हटाया जाता है, अथवा नहीं।
डीजीपी का बदला जाना..
डीजीपी की छुट्टी का संदेश क्या है? अपने छत्तीसगढ़ में यूपी और बिहार की तरह क्राइम नहीं है, पर तस्करी का धंधा जोरों से चल रहा है। गांजा और शराब दूसरे राज्यों से ट्रकों में भर के लाई जा रही है। चौराहों पर आए दिन चाकूबाजी और तलवार बाजी हो रही है। बहुत से लोग घायल हो रहे हैं तो कुछ की मौत भी हो रही है। यह बात लगातार दिखाई दे रही है कि जनता से पुलिस का संपर्क टूट चुका है। सीएम ने गृह विभाग को ठीक तो कर दिया, अब स्वास्थ्य विभाग बाकी है।
खुल गया, खुल गया... बंद है, बंद है
सस्ती दवाइयां मुहैया कराने के लिए बीते अक्टूबर महीने में छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के अधिकांश जिलों में धनवंतरी योजना के अंतर्गत दुकानों का उद्घाटन किया। लोग बड़े खुश हुए कि ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयां सस्ते में मिल सकती है। आदिवासी इलाकों के लिए तो यह योजना वरदान थी मगर बीजापुर से जो खबर आई है वह हैरान करती है। यहां की दवा दुकान है खुली पर दो-चार दिन बाद ही बंद हो गई। अब सरकार को चाहिए कि जितना जोर शोर से उसने खबर फैलाई की सस्ती दुकान खुल गई इसी तरह से शोर करके बताएं की दुकानें तो बंद हो गई हैं।
नीलामी से व्यापारियों को दुकानें खोलने की निविदा स्वीकृत की गई थी। उन्होंने प्रतियोगिता के बाद दुकानें तो हासिल कर ली लेकिन दवा भेजने में शायद दिक्कत हो रही हो। दवा लिखने वाले भी तो सहयोग करें। सरकार में तय किया गया था सरकारी डॉक्टर ब्रांडेड दवाइयां नहीं सिर्फ जेनेरिक लिखेंगे मगर ताबड़तोड़ आज ब्रांडेड ही लिखी जा रही हैं।