राजपथ - जनपथ
महिला नेत्री को फोन करना भारी पड़ा
खबर है कि पिछले दिनों आरंग में हुए एक राजनीतिक जलसे की चर्चा खूब हुई। मगर अगले दिन ऐसा कुछ हुआ कि पार्टी के कुछ प्रमुख लोगों के बीच काफी बातें हो रही है। सुनते हैं कि एक बड़े नेता ने अपनी पार्टी की महिला नेत्री को फोन कर कुछ इधर-उधर की बातें कह दीं। नेताजी की रंगीन मिजाजी किसी से छिपी नहीं है। मगर महिला नेत्री ने नेताजी को इतना बुरी तरह हड़काया कि वो सिहर उठे।
चर्चा है कि महिला नेत्री ने तो यह तक कह दिया कि आप लोगों की वजह से अच्छे लोग पार्टी में नहीं आते हैं। बताते हैं कि महिला नेत्री ने हाईकमान तक शिकायत करने की धमकी दे दी थी, लेकिन किसी तरह अपनी बातों पर सफाई देकर मामले को शांत करने की कोशिश की। मामला तो शांत होता दिख रहा है, लेकिन पार्टी के प्रमुख नेताजी के व्यवहार की खूब चर्चा हो रही है।
खरीदी शुरू हुई नहीं, धान तस्करी चालू
पड़ोसी राज्यों और छत्तीसगढ़ की धान खरीद नीति में बड़ा फर्क है। राजीव किसान न्याय योजना को मिला दें तो 2500 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को मिल रहा है। पिछली बार तकरीबन 93 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया था इस बार 1 करोड़ 5 लाख मीट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य है। पड़ोस के झारखंड में भी वैसे तो इस साल 80 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य है पर उन्हें इसकी कीमत अधिकतम 2070 रुपये मिलेगी। इसमें केंद्र सरकार का समर्थन मूल्य और राज्य का बोनस दोनों शामिल है। ओडिशा में सरकार सीधे नहीं मिलर्स के माध्यम से खरीदती है। मिलर्स उतना ही खरीदते हैं, जितनी उनकी आवश्यकता होती है। मध्यप्रदेश में नीति है कि राइस मिलर्स की जांच में फेल होने वाली किस्म की धान को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा। जांच में पास होने वाले धान की कीमत ही समर्थन मूल्य पर ही मिलती है।
ऐसे तमाम कारण है कि सीमा से लगे छत्तीसगढ़ में धान की तस्करी होती है। किसान और कोचिये सीजन में मुस्तैद हो जाते हैं। गरियाबंद जैसे जिले ज्यादा संवेदनशील हैं।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जशपुर, महासमुंद, बलरामपुर, मुंगेली, कोरिया आदि जिले ओडिशा, झारखंड और मध्य प्रदेश सहित सात राज्यों से जो जुड़ते हैं। हर साल निगरानी के लिए चेक पोस्ट बनाने की बात होती है। यह पूर्ववर्ती सरकार के समय से चला रहा है।
हालत यह है कि खरीदी तो 1 दिसंबर से शुरू होनी है लेकिन अभी से तस्करी का धान दूसरे राज्यों से पहुंचना शुरू हो गया है। सूरजपुर जिले की ओडग़ी में 4 पिकअप वैन जब्त किये गये तो गरियाबंद में भी 12 लाख रुपए का धान सीज किया गया। दरअसल, समस्या यह है कि निगरानी के लिये जो चेक पोस्ट बनाये जाते हैं उनमें बैठने वाले कर्मचारियों पर निगरानी कौन रखे।
जनरल यात्री अब भी बेहाल
कुछ दिन पहले रेलवे ने जोर शोर से घोषणा की थी कि अब कोविड मामलों में कमी के कारण ट्रेनों का स्पेशल स्टेटस हटा दिया गया है और पहले की तरह सामान्य किराया लिया जाएगा। ट्रेनों को कोविड के पहले की स्थिति में लाया जायेगा। पर वास्तव में ऐसा नहीं हुआ है।
ज्यादातर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से महिला एवं दिव्यांग कोटे के लिए लगाए जाने वाले अलग डिब्बे वापस नहीं लगाये गए हैं। इतना ही नहीं जनरल डिब्बों को हटा दिया गया है। उनकी जगह सीटिंग सामान्य बोगी लगा दी गई है। जनरल डिब्बे जिसमें काउंटर से करंट टिकट कटा कर लोग सफर की सुविधा थी वह चालू नहीं हुई है। अब भी यात्रियों के लिये सीट नंबर जरूरी है। इन जनरल डिब्बों में रिजर्वेशन का किराया भी जुड़ गया है। लोगों को लंबी लाइन पर लगने के बाद टिकट मिल पा रही है, क्योंकि इस कतार में जनरल सीट पर सफर करने वाले भी हैं। रेलवे ने यह भी साफ नहीं है कि पहले की तरह जनरल डिब्बा कब लगाए जाएंगे, जनरल टिकट कब से दी जायेगी। महिलाओं, दिव्यांगों के लिए अलग बोगी कब शुरू की जाएगी, मासिक सीजन टिकट भी चुप्पी है।
दिवंगत अबीर के वीडियो...
मणिपुर उग्रवादी हमले में शहीद हुए कर्नल विप्लव त्रिपाठी के बेटे अबीर के वीडियो उनके गुजर जाने के बाद यू ट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे हैं। इन्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि अबीर को मौका मिला होता तो वे भी युवा होने पर फौज में ही जाना पसंद करते। ऐसे एक वीडियो में सेना को दी जाने वाली ट्रेनिंग करते दिखाई दे रहे हैं। एक वीडियो में उन्होंने शहीद भगत सिंह स्टाइल का हैट और मूंछें लगाई हैं। इसमें वे कह रहे हैं- 'जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो जनाजे उठते हैं।Ó