राजपथ - जनपथ
ऐसे स्मार्ट बनाएंगे किसी शहर को?
पिछले मई महीने में इसी कॉलम में राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब परिसर, गांधी उद्यान और कुछ दूसरी जगहों पर तस्वीरों के साथ बताया गया था कि पेड़ों में पेंटिंग के कारण उनकी मौत हो रही है। और अब बिलासपुर में वही हो रहा है। नेहरू चौक से सिंधी कॉलोनी की तरफ पेड़ों में बिना सोचे समझे पेंटिंग की जा रही है। इससे पेड़ों की सेहत पर क्या असर पड़ेगा स्मार्ट सिटी के योजनाकारों को इसकी बिल्कुल चिंता नहीं है।
सोशल मीडिया पर पर्यावरण प्रेमी प्राण चड्डा ने जब ऐसी कुछ तस्वीरें साझा की तो रायपुर के नितिन सिंघवी ने नगरीय प्रशासन संचालनालय के 31 अक्टूबर 2021 के आदेश को शेयर किया और बताया कि सन् 2019 से ही आयुक्तों और नगर पालिका के अधिकारियों को साफ निर्देश है कि पेड़ों को मारने के लिए लाखों रुपए का खर्च कर प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करें। स्मार्ट सिटी के बजट को विवेक का इस्तेमाल किये बगैर अनाप-शनाप कामों में लुटाने का यह एक और नमूना है। साल डेढ़ साल पहले चंडीगढ़ में रेलवे स्टेशन के बाहर पेड़ों को रंगने के खिलाफ वहां के नागरिकों ने मोर्चा खोल दिया था, पर यहां खामोशी है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आदेश दिया है कि स्मार्ट सिटी के लिये कोई भी नया काम मंजूर करने से पहले उससे अनुमति ली जाएगी, लेकिन लगता है पहले के चल रहे कामों पर भी रोक ना लग जाए इस डर से पैसे बहाये जा रहे हैं।
पुलिस का जनदर्शन
मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस के जनदर्शन में अलग-अलग नजारे दिखाई दे रहे हैं। कोरबा के जनदर्शन में 88 साल के एक बुजुर्ग अपनी कोई समस्या बताने के लिए पहुंचे थे। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल अपनी कुर्सी छोडक़र उनके पास पहुंच गये। उनके लिए नाश्ता मंगवाया और कहा जब इसे पूरा खा लेंगे तब आपकी समस्या सुनेंगे। ऐसा ही किया। गद्गद् वृद्ध ने उन्हें अपना मुक्तक भी सुना दिया। एसपी ने ताली बजाई, तो मातहतों ने भी बजाई। उम्मीद करनी चाहिए कि अगर एसपी के दायरे में होगी तो बुजुर्ग की समस्या हल हो गई होगी। एसपी से रोज कोई कहां मिल पाता है? लोगों को तो टीआई से लेकर सिपाही तक ही काम रहता है। काश, उनका भी ऐसा ही बर्ताव थाना पहुंचने वालों के साथ हो जाये।
कांग्रेस नेता का जलवा बरकरार..
कांग्रेस हो या कोई और दल, पद पाने के लिए, खासकर जब सत्ता हो तो होड़ क्यों मची रहती है, उसे जांजगीर में हुई एक घटना से समझा जा सकता है। एक कांग्रेस नेता के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों ने मोर्चा खोल दिया। शिकायत थी कि नेता ने अपने साथियों के साथ वसूली के लिये रात 2 बजे एक के बाद एक 40 ट्रकों को रोक लिया। एक ड्राइवर से मारपीट की, जातिगत टिप्पणी की। नेता ट्रांसपोर्टरों से कह रहे हैं जब तक पैसे नहीं बांधोगे, गाडिय़ां नहीं चलेंगीं। गुस्साये ट्रांसपोर्टर थाने में अपनी चाबी रखकर लौट रहे थे, नहीं करना है धंधा। टीआई के समझाने पर माने।
ट्रांसपोर्टरों की शिकायत के अनुसार ये नेता डॉ. चौलेश्वर चंद्राकर हैं। वही, जिन्हें डॉ. चरण दास महंत और जांजगीर-कोरबा के कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के कारण प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने जिला अध्यक्ष बनाने के बाद पद से हटा दिया था। मगर, हटाये जाने के एक सप्ताह बाद ही उससे बड़ा ओहदा दे दिया गया- पिछड़ा वर्ग विभाग का प्रदेश अध्यक्ष।