राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा नेताओं का तिरूपति दर्शन
23-Nov-2021 5:16 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा नेताओं का तिरूपति दर्शन

भाजपा नेताओं का तिरूपति दर्शन
भाजपा नेता प्रीतेश गांधी की संगठन के कर्ता-धर्ता पवन साय के साथ तिरूपति मंदिर के दर्शन करते तस्वीर वायरल हुई, तो धमतरी के भाजपा नेताओं में हलचल मच गई। सुनते हैं कि प्रीतेश धमतरी जिले की कोर कमेटी में आना चाहते हैं लेकिन क्राइटेरिया में फिट नहीं होने के कारण उन्हें नहीं रखा गया।

प्रीतेश, केन्द्र और प्रदेश संगठन के बड़े नेताओं से अपने रिश्तों का हवाला देकर दबाव बनाने की कोशिश भी की लेकिन धमतरी जिले के पदाधिकारी टस से मस नहीं हुए। चर्चा है कि प्रीतेश धमतरी सीट से विधानसभा का चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसके  लिए वो पार्टी के भीतर जोड़-तोड़ में लगे हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी, जब छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी थे तब प्रीतेश ने मोदी से जान पहचान बना ली थी। इसका फायदा उन्हें मिला और जब भी मोदी छत्तीसगढ़ दौरे पर आए हैं प्रीतेश का नाम स्वागत करने वालों की सूची में जरूर रहता था। इस वजह से प्रदेश के बड़े नेता उन्हें काफी भाव देते हैं। अब पवन साय को लेकर दक्षिण भारत यात्रा में निकले हैं तो धमतरी के भाजपा नेताओं का दबाव में आना स्वाभाविक है।

हाईकोर्ट जाएगी सरकार?
फोन टैपिंग के प्रकरण में निलंबित आईपीएस रजनेश सिंह को कैट से राहत तो मिल गई है। कैट ने उनकी बहाली के आदेश दिए हैं लेकिन इस बात की संभावना कम है कि सरकार उन्हें बहाल कर दे। चर्चा है कि कैट के बहाली के आदेश के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट का रूख कर सकती है। हालांकि इस फैसला होना बाकी है। ईओडब्ल्यू के तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता के साथ ही रजनेश सिंह को भी निलंबित किया गया था। दोनों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज है।

रजनेश सिंह से परे पूर्व प्रमुख सचिव बाबूलाल अग्रवाल को भी कैट ने दोबारा सेवा में रखे जाने का आदेश दिया था। बाबूलाल अग्रवाल को जबरिया रिटायर कर दिया गया था। मगर बाबूलाल अग्रवाल के मामले में केेंद्र सरकार ही कैट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट चली गई। इसके बाद तो उनकी बहाली रूक गई। इसी तरह आईपीएस के.सी. अग्रवाल को भी जबरिया रिटायर किया गया था। उनके मामले में भी कैट ने बहाली के आदेश दिए थे मगर के.सी. अग्रवाल के मामले में राज्य सरकार उदार रही, और बहाल कर दिया। अब देखना है कि रजनेश के मामले में सरकार क्या निर्णय लेती है।


तब गंवाया, अब पाया
छत्तीसगढ़ में मौजूदा भूपेश सरकार ने जिस तरीके से चिटफंड कंपनियों की संपत्ति जप्त करके उसमें पूंजी लगाने वाले लोगों को उसका कुछ हिस्सा वापस देना शुरू किया है, उससे राज्य के लाखों ठगे गए लोगों के बीच एक बड़ा भरोसा पैदा हो रहा है। यह जरूरी नहीं है कि पूरी की पूरी रकम वापस मिल जाए, लेकिन मिलना शुरू हुआ है यह भरोसा भी छोटा नहीं रहता है। एक खूबी की बात यह है कि चिटफंड कंपनियों का पूरा कारोबार 15 बरस की रमन सरकार के दौरान फैला था और इस सरकार के दौरान वह रकम वापस वसूल करके लोगों को देने का काम चल रहा है। इन दोनों बातों के फर्क को देखें तो लगता है कि किसान कर्ज माफी और धान खरीदी जैसे बड़े फैसलों की तरह चिटफंड की ठगी की रकम का कुछ हिस्सा लोगों को मिलना भी एक बड़ा फैसला साबित हो सकता है। जिन लोगों को रकम अगले विधानसभा चुनाव तक नहीं मिल पाएगी उन्हें उम्मीद तो मिलेगी ही। ([email protected])

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