राजपथ - जनपथ
बृजमोहन के लिए चुनौती
बृजमोहन अग्रवाल मुश्किल में हैं। चर्चा है कि पार्टी ने उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर भिलाई-चरौदा नगर निगम का चुनाव संचालक बना दिया है। बृजमोहन चाहते थे कि भिलाई-दुर्ग के तीनों बड़े नेता सरोज पाण्डेय, विजय बघेल, और प्रेमप्रकाश पाण्डेय को एक-एक निगम का प्रभार दे दिया जाए। उनका मानना था कि स्थानीय बड़े नेता चुनाव संचालन बेहतर ढंग से कर सकते हैं। मगर पार्टी ने उनकी नहीं सुनी।
सुनते हैं कि बृजमोहन को चुनाव संचालन से परहेज नहीं है। बल्कि इस बार समस्या कुछ और है। दरअसल, पिछली बार भी भिलाई-चरौदा निगम के चुनाव का संचालन बृजमोहन ने किया था। तब उस समय पार्टी की सरकार थी। बृजमोहन ने चुनाव के दौरान स्थानीय कुछ प्रभावशाली असंतुष्ट नेताओं को एल्डरमैन, और अन्य पद दिलाने का वादा कर प्रचार के लिए मनाया था। चुनाव में भाजपा तो जीत गई, लेकिन बड़े नेताओं के विरोध के चलते बृजमोहन अपना वादा पूरा नहीं कर पाए। अब इन असंतुष्ट नेताओं को काम में लगाना बृजमोहन के लिए चुनौती बन गई है।
सिंहदेव की परीक्षा
नगरीय निकाय चुनाव के लिए सभी मंत्रियों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। रविन्द्र चौबे को बीरगांव, और दुर्ग जिले के तीन नगर निगमों का प्रभार परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर को दिया गया है। दोनों ही क्रमश: रायपुर और दुर्ग के प्रभारी मंत्री हैं। मगर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को कोरिया जिले का प्रभार दिया गया है। यहां के बैकुंठपुर, और शिवपुर चरचा नगर पालिका में चुनाव है। दोनों ही नगर पालिका में जिला विभाजन के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है, और स्थानीय संगठनों ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान भी कर दिया है। ऐसे में सिंहदेव की चुनावी कौशल की परीक्षा है। देखना है कि वो इसमें खरा उतर पाते हैं अथवा नहीं।
नामांकन के लिये खातिरदारी...
वोट के लिए मतदाताओं को ढोकर लाने की खबरें तो हर चुनाव में खूब सुनी गई हैं, मगर बैकुंठपुर में प्रत्याशियों को लाया जा रहा है। कोरिया में भाजपा और दूसरे दलों ने नगरी निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस ने भी चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की है। विरोध कोरिया जिले के विभाजन को लेकर उठे असंतोष के कारण है। सब दलों के एक हो जाने के कारण ऐसा दिखाई दे रहा था कि दोनों नगरीय निकाय शिवपुर-चरचा और बैकुंठपुर में कोई नामांकन ही दाखिल नहीं हो पायेगा और शासन की फजीहत हो जाएगी।
जैसा कि मालूम हुआ है कि कल दिन भर प्रत्याशी ढोये गये। उनसे निर्दलीय नामांकन दाखिल कराया गया। ऐसे उम्मीदवारों को तुरंत एनओसी देने के लिए अधिकारी बैठे रहे। सफलता मिली। शाम तक 16 निर्दलीय नामांकन दाखिल हो गये। भाजपा का आरोप है कि यह प्रशासन का नहीं कांग्रेस का खेल है।
पर इस पैंतरे ने कांग्रेस और भाजपा सहित सभी दलों के कान खड़े कर दिए हैं। नामांकन दाखिल करने की तारीख 3 सितंबर है, वह भी बीती जा रही है। बहिष्कार करना है या नहीं, वे जल्दी तय करेंगे वरना दोनों निकायों में निर्दलीय काबिज दिखेंगे।
कोई नई गाइडलाइन आई तो?
देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना के नये वेरिएंट ओमीक्रोन की आहट से धीरे-धीरे चिंता पसर रही है। दूसरी लहर के कमजोर होने के बाद छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक समारोहों, शादी ब्याह की छूट मिल गई है। अब पूरी क्षमता से मेरिज हाल, गार्डन खुल गये हैं। बैंड, टेंट, केटरिंग का धंधा भी दुबारा रफ्तार पकड़ चुका है। छूट तो तीन-चार महीने पहले से ही दी जा चुकी थी, पर देव शयन पर थे। देवउठनी एकादशी के बाद मुहूर्त बने। दिसंबर में खूब शादियां हैं। जिन लोगों की विवाह की योजना दिसंबर में नहीं बन पाई, उन्होंने कार्यक्रम जनवरी के लिये खिसका दिया है। 22 जनवरी के बाद कई मुहूर्त हैं।
अब चिंता यह है कि दिसंबर के समारोह तो जैसे तैसे निपट सकते हैं लेकिन यदि आगे कोविड केस बढ़े तो क्या होगा?
शराबबंदी लागू करना खेल है?
बिहार विधानसभा परिसर में सत्र के दौरान ही शराब की बोतलें मिलीं, जबकि वहां पूर्ण शराबबंदी है। पूरा प्रशासन हिल गया है। सीएम नीतिश कुमार भी बेचैन हो गये हैं। इसीलिये तो, अपने यहां अभी तक टर्म्स एंड कंडिशन्स देखे जा रहे हैं।